NEET 2025 Success Story: इस साल जब NEET UG का रिजल्ट आया, तो एक छोटे से घर में खुशियों का माहौल छा गया. मोहम्मद सुहैल नाम के एक युवा ने अपने तीसरे अटैंप्ट में 609 नंबर लाकर NEET परीक्षा पास कर ली. यह वही सुहैल है जो कभी अपने पिता का ई-रिक्शा चलाकर घर चलाने में मदद करता था.
परिवार में पहली बार किसी ने देखा डॉक्टर बनने का सपना
सुहैल के परिवार में किसी ने भी 12वीं क्लास से आगे पढ़ाई नहीं की है. यही वजह है कि यह उपलब्धि उनके लिए इतनी खास है. सुहैल बताते हैं, "मेरा नाम मोहम्मद सुहैल है और मैं उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर से हूं. मैं एक निम्न-मध्यम वर्गीय परिवार से आता हूं, जहां साधन सीमित थे, लेकिन सपने बड़े थे."
लेकिन डॉक्टर बनने का सपना पहले सुहैल का नहीं था, यह उनकी मां का सपना था. सुहैल कहते हैं, "डॉक्टर बनना कभी मेरी अपनी महत्वाकांक्षा नहीं थी, यह मेरी मां का सपना था. उनका लगातार सपोर्ट और मुझ पर विश्वास ही था जिसने मुझे इस रास्ते पर चलने और उनके सपने को अपना लक्ष्य बनाने के लिए प्रेरित किया."
दिन में ई-रिक्शा, रात में पढ़ाई
2021 में अपने भाई के साथ 12वीं क्लास पूरी करने के बाद, परिवार केवल उनमें से एक को कॉलेज भेज सकता था. उनके भाई ने BCom कोर्स शुरू किया, और सुहैल ने परिवार का खर्च चलाने के लिए ई-रिक्शा चलाना शुरू कर दिया.
सुहैल बताते हैं, "मैं दिन के समय ई-रिक्शा चलाने लगा. मेरी रातें पढ़ाई में बीतती थीं, अक्सर आधी रात या उससे भी ज़्यादा देर तक पढ़ता रहता था."
उन्हें NEET के बारे में पता नहीं था, लेकिन एक दोस्त ने उन्हें इसके बारे में बताया, और इसके जरिए सस्ती MBBS सीटों की संभावना के बारे में भी.
इसने सब कुछ बदल दिया: "मुझे एहसास हुआ कि अगर मैं NEET पास कर लेता हूं, तो मैं अपने परिवार पर कोई वित्तीय बोझ डाले बिना MBBS कर सकता हूं." सुहैल के पहले NEET में 369 नंबर आए. अपने तीसरे अटेंप्ट में, वह 609 तक पहुंच गए.
कमरा नहीं, लेकिन दृढ़ निश्चय बहुत था
सुहैल बताते हैं, "मेरे घर पर पढ़ाई के लिए कोई सही जगह नहीं थी. मेरे एक टीचर, हाशिम सर ने तो मुझे शांति से पढ़ने के लिए एक कमरा भी दिया था."
सुहैल ने कोई सख्त रूटीन फॉलो नहीं किया - बस एक नियम: जो शुरू करो, उसे खत्म करो. "मेरे लिए, टारगेट घड़ी से ज़्यादा जरूरी था."
उनके परिवार ने भी बलिदान दिए. सुहैल कहते हैं, "मेरे भाई ने तो मुझे सहारा देने के लिए अपनी पढ़ाई छोड़ दी और काम करना शुरू कर दिया." वह कहते हैं, "इन बलिदानों ने मुझे और ज़्यादा फोकस्ड और दृढ़ बना दिया - मैं जानता था कि मैं उनकी मेहनत को बेकार नहीं जाने दे सकता."
एक ऐसे घर में जश्न जहां किसी ने डॉक्टर बनने का सपना भी नहीं देखा था
जब रिजल्ट आया, तो सुहैल अपनी दादी के घर पर थे. "जिस पल हमने स्कोर देखा, कमरा खुशी से भर गया. लोग चिल्ला रहे थे, जश्न मना रहे थे, और मुझे गले लगा रहे थे, एक ऐसे परिवार के लिए ढोल बज रहे थे जहां किसी ने कभी डॉक्टर बनने का सपना भी नहीं देखा था," वह कहते हैं.
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आगे क्या?
सुहैल कहते हैं, "मेरी NEET रैंक 11,000 है - यह मुझे टॉप कॉलेजों में नहीं ले जा सकती, लेकिन एक अच्छी सरकारी सीट के लिए यह काफी है."
वह MBBS के दौरान सर्जरी की पढ़ाई करने की उम्मीद कर रहे हैं. "मुझे विश्वास है कि आने वाले साल मुझे यह जानने में मदद करेंगे कि मेडिकल के फील्ड में मेरा जुनून ठीक कहां है." और उनकी मां का सपना? अब यह उनकी हकीकत बन गया है.