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ईंटें उठाकर 300 रुपये कमाने वाले मजदूर ने NEET एग्जाम किया पास! युवाओं के लिए पेश की मिसाल

NEET Success Story: मजदूर के डॉक्टर बनने की कहानी लाखों युवाओं के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं है. रोजाना ईंटें उठाकर 300 रुपये कमाता था. साथ में मेडिकल की तैयारी की और NEET एग्जाम पास किया. पढ़ें सरफराज के सक्सेस की कहानी.

ईंटें उठाकर 300 रुपये कमाने वाले मजदूर ने NEET एग्जाम किया पास! युवाओं के लिए पेश की मिसाल
Muskan Chaurasia|Updated: Mar 10, 2025, 06:30 AM IST
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Success Story: कहते हैं कि हर किसी काम के लिए अपनी मेहनत लगा दी जाए तो वहां सफलता मिलना निश्चित है. ऐसी ही कहानी है एक युवा की, जो कभी लेबर का काम करता था. लोगों के घरों में ईंटे ढोंने के लिए उसे दिन के 300 रुपये मिलते थे. हालांकि, मजदूरी के साथ उसने अपने पढ़ाई-लिखाई को कभी नहीं छोड़ा. यही वजह है कि आज वह NEET Exam पास करके अपने सपने को पूरा करने की राह पर है.  

लोगों के लिए पेश की मिसाल
नीट एग्जाम देश के सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है. लाखों स्टूडेट्स इस परीक्षा के लिए अप्लाई करते हैं, लेकिन हर किसी को सफलता नहीं मिलती है, लेकिन अगर मेहनत पूरी हो तो ये सफलता हासिल हो सकती है. हम बात कर रहे हैं पश्चिम बंगाल के 21 साल के सरफराज की, जो आज युवाओं के लिए एक मिसाल बन गए हैं. 

सुबह काम और रात में की पढ़ाई
ईंटें उठाकर हर दिन 300 रुपये कमाने के बावजूद, सरफराज ने डॉक्टर बनने के अपने सपने के लिए कड़ी मेहनत की. सरफराज ने NEET 2024 परीक्षा में 720 में से 677 अंक हासिल किए. वह सुबह 6 बजे से दोपहर 2 बजे तक मजदूरी करते थे और फिर शाम को पढ़ाई करते थे. कई लोगों ने उनका मजाक उड़ाया और उनकी क्षमताओं पर संदेह जताया, लेकिन सरफराज अपने लक्ष्य पर केंद्रित रहे और सफलता हासिल की. 

पैसे की दिक्कत के चलते नहीं कर पाए कोचिंग
दरअसल, सरफराज भारतीय सेना में शामिल होना चाहते थे, लेकिन एक गंभीर दुर्घटना ने उन्हें अपना लक्ष्य छोड़ने पर मजबूर कर दिया. वहीं, कोविड के दौरान उन्होंने एक फोन खरीदा वो भी उधार पर ताकी वो पढ़ाई कर सके. पैसे की कमी के कारण ऑनलाइन पढ़ाई की. 

डॉक्टर बनने के बाद जरुरतमंद लोगों की करेंगे फ्री में सेवा
एक इंटरव्यू के दौरान सरफराज ने बताया कि वो सुबह 6 बजे उठकर काम पर जाते थे. फिर पढ़ाई करने के लिए दोपहर 2 बजे घर वापस जाते थे. एक घंटे सोने के बाद ऑनलाइन लेक्चर देखकर पढ़ाई और रिवीजन करते थे. साथ ही बीते साल के प्रश्नों को हल करते थे. सरफराज ने आगे बताया कि डॉक्टर बनने के बाद वो उन लोगों का फ्री में इलाज करेंगे, जो इसका खर्च नहीं उठा सकते. 

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सरफराज की ये कहानी युवाओं को यही संदेश देती है कि कभी भी हार नहीं माननी चाहिए. अगर परेशानी है तो उसका हल निकालना चाहिए. साथ ही समय को कभी बर्बाद नहीं करना चाहिए. 

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