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NEP School Education: फाउंडेशनल लिटरेसी और न्यूमेरेसी से कैसे कम हो सकता है स्कूल ड्रॉपआउट रेट?

Foundational Literacy: ऐसे प्रोग्राम ड्रॉपआउट रेट कम करने, जेंडर और सोशल कैटेगरी में असमानताओं को खत्म करने और एजुकेशन की क्वालिटी में सुधार करने का प्रयास करते हैं.

NEP School Education: फाउंडेशनल लिटरेसी और न्यूमेरेसी से कैसे कम हो सकता है स्कूल ड्रॉपआउट रेट?
chetan sharma|Updated: Jan 30, 2025, 08:57 PM IST
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Reduce School Dropout Rate: शिक्षा हर एक राष्ट्र की प्रगति की नींव होती है, जो लोगों और समुदायों को उनकी क्षमता को पहचानने और समाजिक विकास में अहम योगदान देने का अवसर प्रदान करती है. भारत विविध देश में, जहां क्वालिटी एजुकेशन तक पहुंच एक बड़ी चुनौती है, शिक्षा के अंतर को पाटना लगातार विकास के लिए बहुत जरूरी है. राष्ट्रीय प्राथमिकताओं और नीतियों के अनुरूप, आईटीसी जैसे कई कंपनियां भारत के एजुकेशन क्षेत्र में अहम योगदान दे रही हैं, जो इनोवेशन और समावेशी पहलों के माध्यम से लाखों बच्चों के लिए एक उज्जवल भविष्य बनाने में जुटी हैं.

भारत के सर्व शिक्षा अभियान और राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के मुताबिक, आईटीसी का प्राइमरी एजुकेशन प्रोग्राम राष्ट्र के शिक्षा लक्ष्यों में अहम योगदान कर रहा है. NEP 2020, भारत के एजुकेशन सिस्टम के लिए एक ट्रांसफोर्मेशनल डिजाइन है, जो बेसिक साक्षरता और अर्थमैटिक, समान पहुंच और समावेशी एजुकेशनल एनवायरमेंट पर जोर देती है. जो समाज के कमजोर वर्गों के बच्चों को एजुकेशन तक पहुंच प्रदान करती हैं.

फाउंडेशनल लिटरेसी और न्यूमेरेसी

फाउंडेशनल लिटरेसी और न्यूमेरेसी (FLN) के प्रति अप्रोच यह सुनिश्चित करती है कि प्राथमिक कक्षाओं के बच्चे शैक्षिक सफलता के लिए जरूरी स्किल डेवलप करें. बच्चों को उनके सीखने के लेवल के आधार पर ग्रुप में शामिल किया जाता है और एक्टिविटी-बेस्ड एजुकेशन कैंप्स में शामिल किया जाता है, यह प्रोग्राम बच्चों के पिछड़ने के जोखिम को काफी हद तक कम करता है.

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ऐसे प्रोग्राम्स से ड्रॉपआउट रेट को कम करने, जेंडर और सोशल कैटेगरी में असमानताओं को खत्म करने और एजुकेशन की क्वालिटी में सुधार करने का प्रयास करता है. इस पहल से अब तक 15 लाख से ज्यादा बच्चों को फायदा मिल चुका है. संपूरक शिक्षा केंद्र स्कूल से बाहर बच्चों को एजुकेशनल रूप से पकड़ बनाने में मदद करते हैं और ड्रॉपआउट्स को स्कूल वापस भेजने के लिए मोटिवेट करते हैं. ऐसी पहल टीचर्स को मॉडर्न ट्रेनिंग टेक्निक्स से सपोर्ट प्रदान करती है और जरूरी बेसिक इन्फ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध कराता है, जिससे चाइल्ड-फ्रेंडली और क्लाइमेट-स्मार्ट मॉडल स्कूलों का निर्माण होता है, जो एजुकेशन के पॉजिटिव एनवायरमेंट को बढ़ावा देते हैं.

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