Shubhanshu Shukla Axiom Mission 4: भारत के लिए अंतरिक्ष में एक नया इतिहास बनने जा रहा है! ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला पहले ऐसे भारतीय अंतरिक्ष यात्री बनने वाले हैं जो अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर 14 दिन बिताएंगे. यह जर्नी भारत के लिए एक बहुत बड़ा मील का पत्थर है, खासकर राकेश शर्मा की ऐतिहासिक उड़ान के 41 साल बाद. यह पहली बार होगा जब कोई भारतीय नागरिक ISS पर रहेगा और वहां वैज्ञानिक प्रयोग करेगा. शुक्ला की पढ़ाई और उनके प्रोफेशनल बैकग्राउंड ने उन्हें नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA) से लेकर इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (IISc) तक और अब NASA-ISRO के एक असाधारण सहयोग तक पहुंचने में अहम भूमिका निभाई है.
क्या की पढ़ाई?
शुभांशु शुक्ला को बचपन से ही एविएशन और स्पेस से गहरा लगाव था. उनकी पढ़ाई का सफर उनकी लगन और एक्सपर्टीज का प्रमाण है. उन्होंने NDA से कंप्यूटर साइंस में बैचलर ऑफ साइंस की डिग्री हासिल की. इसके बाद, उन्होंने IISc बेंगलुरु से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में एम.टेक (Master of Technology) की डिग्री ली, जिसने उन्हें एयरोस्पेस और डिफेंस के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए जरूरी साइंटिफिक और टेक्निकल नॉलेज से लैस किया. उनकी पढ़ाई ने एक मजबूत नींव रखी, जिसने उन्हें भारतीय वायु सेना (IAF) में एक लड़ाकू और टेस्ट पायलट के रूप में जगह दिलाई, और अब वे ग्लोबल मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले एक एस्ट्रोनॉट हैं.
NDA से भारतीय वायु सेना तक और उससे आगे का सफर
शुभांशु शुक्ला ने 2003 में NDA जॉइन किया, जहां उन्होंने मिलिट्री एजुकेशन प्राप्त की, जिसमें फिजिकल और अकादमिक ट्रेनिंग दोनों शामिल थे. भारतीय वायु सेना में उनका सफर 2006 में शुरू हुआ, जहां उन्होंने Su-30 MKI, MiG-21, MiG-29, Jaguar, Hawk, Dornier 228, और An-32 सहित कई लड़ाकू विमानों पर 2,000 घंटे से ज़्यादा उड़ान का एक्सपीरिएंस हासिल किया. एक टेस्ट पायलट और लड़ाकू लीडर के रूप में अपनी स्किल्स के लिए जाने जाने वाले, शुक्ला के NDA में ट्रेनिंग और एक्सपीरिएंस ने उनके नेतृत्व और एविएशन एक्सपर्टीज को निखारने में अहम भूमिका निभाई.
NASA और ISRO के साथ एक ऐतिहासिक सहयोग
शुभांशु शुक्ला का आने वाला मिशन, Axiom Mission 4 (Ax-4), NASA, SpaceX और ISRO के साथ मिलकर किया गया एक अनोखा प्रोजेक्ट है. यह मिशन, जो पहले लॉन्च होने वाला था, अब कैनेडी स्पेस सेंटर से SpaceX के क्रू ड्रैगन अंतरिक्ष यान पर रवाना होने वाला है. शुक्ला के साथ इस क्रू में अमेरिका की मिशन कमांडर पेगी व्हिट्सन और पोलैंड और हंगरी के अंतरिक्ष यात्री भी शामिल हैं, जो एक इंटरनेशनल सहयोगात्मक प्रयास को दर्शाता है.
इस मिशन में शुक्ला ISS पर 14 दिनों तक रहेंगे, जिसके दौरान वे सात प्रयोगों में हिस्सा लेंगे. इनमें सूक्ष्मगुरुत्वाकर्षण (microgravity) में मेथी और मूंग के बीजों के अंकुरण पर स्टडी शामिल हैं, जो ISRO और भारत के डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी (DBT) के सहयोग से किए जाएंगे. इसका लक्ष्य यह पता लगाना है कि सूक्ष्मगुरुत्वाकर्षण पौधों के विकास को कैसे प्रभावित करता है और लंबी अवधि के अंतरिक्ष मिशनों के लिए स्थायी फूड प्रॉडक्शन सिस्टम कैसे विकसित की जाए. इसके अलावा, शुक्ला NASA के साथ संयुक्त रूप से प्रयोग भी करेंगे, जिससे भविष्य की अंतरिक्ष खोज के लिए अहम साइंटिफिक नॉलेज का विस्तार होगा.
Axiom Mission 4 न केवल भारत के लिए एक मील का पत्थर है, बल्कि लखनऊ में अपनी साधारण शुरुआत से लेकर वैश्विक अंतरिक्ष समुदाय में एक प्रमुख व्यक्ति बनने तक शुक्ला की उल्लेखनीय यात्रा का भी प्रमाण है. NDA और IISc से उनकी शिक्षा उनकी अंतरिक्ष यात्रा के पिलर रहे हैं, जो NASA और ISRO के साथ सहयोग के माध्यम से मानव अंतरिक्ष उड़ान में भारत के बढ़ते महत्व को दर्शाता है.
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जैसे-जैसे कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च की उलटी गिनती जारी है, सभी की निगाहें ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला पर टिकी हैं - जो एजुकेशन, ट्रेनिंग और इंटरनेशनल साझेदारी में मजबूती से टिके भारत के सपनों को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने का प्रतीक हैं.
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