Dr Motiur Rahman Khan: भारत में हर साल लाखों छात्र IAS, IPS और मेडिकल जैसे कठिन परीक्षाओं की तैयारी करते हैं. वे अच्छे कोचिंग की तलाश में समय और पैसा दोनों खर्च करते हैं. लेकिन कुछ छात्र ऐसे भी होते हैं, जिनमें काबिलियत तो होती है, पर संसाधनों या सही मार्गदर्शन की कमी के कारण वे पीछे रह जाते हैं. आज हम एक ऐसे गुरु की बता रहे हैं, जो सिर्फ 11 रुपये में गरीब छात्रों को अफसर बनाते हैं. उनका नाम है डॉ. मोतिउर रहमान खान, जिन्हें लोग प्यार से गुरु रहमान कहते हैं.
कौन हैं डॉ. मोतिउर रहमान खान?
डीएनए की रिपोर्ट के मुताबिक पटना के रहने वाले डॉ. मोतिउर रहमान खान ने 1994 में कोचिंग देना शुरू किया था. आज वे "अदम्य अदिति गुरुकुल" नाम से एक कोचिंग संस्थान चलाते हैं, जहां वे केवल 11 रुपये की फीस लेकर गरीब छात्रों को UPSC, पुलिस भर्ती और अन्य सरकारी नौकरियों के लिए तैयार करते हैं. उनके पढ़ाए हुए 1100 से ज्यादा छात्र अब सरकारी अफसर बन चुके हैं. उनका सपना था कि वे खुद IPS बनें, लेकिन अब वे दूसरे स्टूडेंट्स को अफसर बना रहे हैं.
कैसे हुई पत्नी से मुलाकात?
एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि उनकी पत्नी अमिता से उनकी मुलाकात कॉलेज में हुई थी और उन्हीं को इम्प्रेस करने के लिए उन्होंने बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से MA में टॉप किया. वे दोनों अलग-अलग धर्म के थे और समाज ने उनके रिश्ते को स्वीकार नहीं किया. उन्होंने बिना परिवार की मंजूरी के शादी की और तय किया कि कोई भी अपना धर्म नहीं बदलेगा. इस फैसले की वजह से समाज ने उनका बहिष्कार कर दिया, और उन्हें नौकरी तक नहीं मिल पाई.
कैसे शुरू की पढ़ाई की क्लास?
गुरु रहमान ने एक छोटे से किराए के कमरे से पढ़ाना शुरू किया था. 1994 में जब बिहार में 4,000 सब-इंस्पेक्टर की भर्ती हुई थी, तब 1,100 छात्र उनके क्लास से पास हुए थे. इसके बाद उनकी पॉपुलरिटी बढ़ती गई. एक बार उन्होंने एक होनहार लेकिन गरीब छात्र शदिक आलम को सिर्फ 11 रुपये में पढ़ाया, जो अब ओडिशा के नुआपाड़ा जिले के जिलाधिकारी हैं. तभी से उन्होंने तय कर लिया कि वे गरीब छात्रों से सिर्फ 11 रुपये ही लेंगे.
कितने छात्रों ने पाई सफलता?
गुरु रहमान के पास तीन MA डिग्री और प्राचीन इतिहास में PhD है. अब तक वे 10,000 से ज्यादा छात्रों को पढ़ा चुके हैं, जिनमें से
3,000 सब-इंस्पेक्टर,
60 IPS अधिकारी,
और 5 IAS अधिकारी बने हैं.
मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों से भी छात्र उनके पास पढ़ने आते हैं. खास बात ये है कि जो छात्र सफल हो जाते हैं, वे गुरुकुल में लौटकर दूसरों की मदद करते हैं और समाजसेवा से जुड़ते हैं.
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