Tripura Third Fully Literate State: मिजोरम और गोवा के बाद त्रिपुरा देश का तीसरा ऐसा राज्य बन गया है, जो पूर्ण रूप से साक्षर राज्य की सूची में आ गया है. राज्य की लिटरेसी रेट पिछले एक दशक से भी ज्यादा समय से 90 प्रतिशत से ज्यादा थी, लेकिन कुछ मानदंडों पर पीछे रहने के कारण ये पूर्ण रूप से साक्षर राज्य नहीं बन पा रहा था. लंबे समय के इंतजार के बाद अब त्रिपुरा भी देश का पूर्ण साक्षर राज्य बन गया है. प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. माणिक साहा की मौजूदगी में शिक्षा मंत्री ने सोमवार 23 जून, 2025 को एक समारोह में इस बात की घोषणा की. उन्होंने केंद्र सरकार के अधिकारियों की उपस्थिति में इस ऐतिहासिक उपलब्धि के बारे में सभी को बताया.
केंद्र सरकार साक्षरता मानदंड
बता दें, केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित मानदंडों के अनुसार, किसी भी राज्य या फिर केंद्र शासित प्रदेश को पूर्ण साक्षरता का दर्जा तभी दिया जाता है, जब वहां का साक्षरता दर 95 प्रतिशत से अधिक दर्ज किया जाता है. वहीं, केंद्र सरकार की साक्षरता मानदंड के अनुसार, 15 वर्ष या उससे अधिक आयु का कोई भी व्यक्ति जो किसी भी भाषा को समझ कर पढ़ और लिख सकता है, उसे साक्षर माना जाता है.
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1961 में लिटरेसी रेट केवल 20.24 प्रतिशत
जानकारी के लिए बता दें, साल 1961 में त्रिपुरा का साक्षरता दर केवल 20.24 प्रतिशत था. वहीं, 2011 की जनगणना में त्रिपुरा की लिटरेसी रेट 87.22 प्रतिशत तक पहुंच गई और अब साल 2025 में यह राज्य देश का तीसरा सबसे अधिक साक्षर राज्य बन गया है. देश के सबसे साक्षर राज्य की लिस्ट में पहले नंबर पर मिजोरम और दूसरे नंबर पर गोवा है, जहां की साक्षरता दर त्रिपुरा से भी ज्यादा है. बता दें, कई दशकों तक केरल की लिटरेसी रेट देश में सबसे ज्यादा थी. यूनेस्को ने 18 अप्रैल, 1991 को ही केरल को पूर्ण रूप से साक्षर राज्य घोषित कर दिया था, लेकिन अब केरल को पीछे छोड़ते हुए मिजोरम, गोवा और त्रिपुरा ने इतिहास रच दिया है.
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