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UPSC Interview Question: 15 अगस्त और लाल किला; क्या है इस ऐतिहासिक परंपरा का राज?

Independence Day: 15 अगस्त आने वाला है. इस खास मौके पर भारत की शान का प्रतीक लाल किले पर तिरंगा फहराया जाता है, लेकिन क्या आपको पता क्यों लाल किला पर ही तिरंगा फहराया जाता. 

UPSC Interview Question: 15 अगस्त और लाल किला; क्या है इस ऐतिहासिक परंपरा का राज?
Muskan Chaurasia|Updated: Aug 03, 2025, 11:00 PM IST
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Red Fort History: हर साल 15 अगस्त को भारत का राष्ट्रीय पर्व स्वतंत्रता दिवस हम सभी मनाते हैं. इस खास दिन पर एक खास परंपरा हर साल निभाई जाती है. देश के प्रधानमंत्री द्वारा दिल्ली के लाल किले से तिरंगा फहराया जाता है और वह देश को संबोधित करते हैं, लेकिन क्या कभी आपने ये सोचा है कि क्यों तिरंगा सिर्फ लाल किले पर ही फहराया जाता है? क्या है इसके पीछे की कहानी. अगर नहीं जानते तो इस खबर में जानिए जवाब भारत के इतिहास और लाल किले की संस्कृति की. 

देश के शासन का प्रतीक
दरअसल, लाल किला सिर्फ एक किला नहीं है बल्कि ये देश की राजनीति, शासन और आजादी की लड़ाई का साक्षी रहा है. लाल किला का निर्माण 17वीं शताब्दी में मुगल सम्राट शाहजहां ने कराया था. यह किला उस समय की राजधानी शाहजहांनाबाद (जो अब पुरानी दिल्ली है) में स्थित है. ऐसा माना जाता है कि इसके निर्माण में 8 से 10 साल का समय लगा था. ये किला देश के सत्ता और शासन का भी प्रतीक रहा है.   

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लाखों लोगों की कुर्बानियां देखी 
बता दें, जब देश आजाद हुआ था.  यानी 15 अगस्त 1947 को..तब भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने पहली बार लाल किले (Red Fort) से ही तिरंगा फहराया था. ये वो पल था जब देश के लोगों ने सदियों की गुलामी से आजादी की सांसें ले थी. 15 अगस्त को लाल किला पर तिरंगा फहराना सिर्फ एक औपचारिकता नहीं बल्कि आजादी की उस लड़ाई की याद है जो लाखों लोगों की कुर्बानियों से मिली थी.

क्या है वजह?
दरअसल, स्वतंत्रता के बाद लाल किले को इसलिए प्रतीक के रूप में चुना गया क्योंकि सबसे पहले तो देश की राजधानी दिल्ली में स्थित है. साथ ही लाल किले से स्वतंत्रता संग्राम की कई सारी यादें जुड़ी हैं. लाल किला न केवल ऐतिहासिक महत्व रखता है, बल्कि यहां की विशाल प्राचीर और दीवान-ए-आम इसे राष्ट्रीय समारोहों के लिए उपयुक्त बनाते हैं. अन्य मुगल इमारतें भी हैं, लेकिन वह शासकीय और राष्ट्रीय एकता का प्रतीक नहीं है.

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