Weather Alert Today: मानसून ने देश के अधिकतर राज्यों में दस्तक दे दी है. वहीं, कुछ राज्यों में भारी बारिश और बाढ़ से लोगों का हाल बेहाल है. बारिश जुलाई के शुरुआत में ही इतनी हो गई है कि जगह-जगह बाढ़, लैंडस्लाइड जैसे हालात हो गए हैं. जैसे, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड आदि जगहों पर बारिश के कारण काफी नुकसान भी हुआ है और कई लोगों की जान में गई है, लेकिन क्या आपने कभी ये सोचा है कि कैसे पता लगाया जाता है कि आज शहर में कितनी बारिश हुई है. अगर नहीं तो इस खबर में जानें जवाब.
दरअसल, बारिश को नापने के लिए जिस यंत्र का इस्तेमाल किया जाता है उसे वर्षामापी () कहते हैं. दुनिया के किसी भी कोने में मौसम विभाग बारिश को रिकॉर्ड करने के लिए वर्षामापी यंत्र का ही इस्तेमाल करता है, जिससे बारिश को इंच या फिर मिलीमीटर में नापा जा सकता है.
यंत्र का नाम
किसी स्थान पर होने वाली बारिश को मापने के लिए जिस यंत्र को काम में लाया जाता है, उसे वर्षामापी (rain gauge) कहते हैं. संसार के सभी देशों में वहां का मौसम विभाग बारिश का रिकॉर्ड रखने के लिए जगह जगह वर्षामापी यंत्र लगाता है, जिससे बारिश को इंचों या मिलीमीटर में नापा जाता है.
रेन गेज कैसा होता है?
बता दें, यह एक तरह का बर्तन जैसा इक्विपमेंट होता है. जिसे खुले में रखा जाता है. ऐसे में इसमें जितना भी पानी भरता है उसके आधार पर ही रेनफॉल की जानकारी दी जाती है. जैसे- रेन गेज में 10 मिमी तक पानी इक्ठ्ठा हुआ तो इसका मतलब है कि 10 मिमी बारिश हुई है. रेन गेज भी दो तरह के होते हैं. पहला जिससे मैनुअली रेनफॉल मापा जाता है. वहीं, दूसरा ऑटोमेटिक होता है, इसमें सेंसर लगे होते हैं, जो बताते हैं बारिश कितनी हुई है.
ऐसे भी कर सकते हैं चेक
रेन गेज के अलावा सैटेलाइट डाटा के जरिए भी बारिश को मापा जा सकता है. हालांकि, इसका इसका इस्तेमाल खासतौर पर उन जगहों के लिए किया जाता है जहां पर ग्राउंड स्टेशन नहीं होते हैं. जैसे- पहाड़ या फिर समुद्र. इसके अलावा बारिश को एक कीप के जरिए नापा जाता है. इसमें पैमाना लगी हुई कांच की बोतल को एक जगह पर रख दिया जाता है.