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क्यों वोट काउंटिंग के दिन सबसे पहले की जाती है पोस्टल बैलेट की गिनती? जानिए क्या होता है डाक मतपत्र

Postal Ballot: झारखंड और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों समेत उपचुनावों में सबसे पहले पोस्टल बैलेट के वोटों की काउंटिंग हुई. क्या आप जानते हैं कि पोस्टल बैलेट  क्या है और इनके जरिए वोटिंग कैसे होती है...

क्यों वोट काउंटिंग के दिन सबसे पहले की जाती है पोस्टल बैलेट की गिनती? जानिए क्या होता है डाक मतपत्र
Arti Azad|Updated: Nov 23, 2024, 11:29 AM IST
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Postal Ballot Counting In Election Results: महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा के साथ ही देश में हुए उपचुनावों के लिए आज वोटों की गिनती की जा रही है. वोटिंग की काउंटिंग के दौरान सबसे पहले पोस्टल बैलेट की गिनती होती है.  इन्हें डाक मतपत्र के नाम से भा जाना जाता है. क्या आपको पता है कि पोस्टल बैलेट क्या हैं और इन्हें सबसे पहले क्यों गिना जाता है. चलिए  यहां जानते हैं सबकुछ...

इस समस्या का समाधान है पोस्टल बैलेट 
भारत में होने वाले चुनाव के दौरान इलेक्शन कमीशन की यह कोशिश रहती है कि ज्यादा से ज्यादा लोग वोटिंग कर सकें, लेकिन बहुत से लोग अपने गृहनगर जाकर वोट दे पाने की स्थिति में नहीं होती है. ऐसे लोगों के लिए जो व्यवस्था की गई है, उसे पोस्टल बैलेट या डाकमतपत्र कहा जाता है. इसके जरिए यह सुनिश्चित किया जाता है कि अपने होम टाउन से दूर रहने वाले लोग भी वोटिंग में हिस्सा ले सके. 

चुनाव आयोग लोगों को पोस्टल बैलेट के जरिए वोट डालने की सुविधा देता है. इलेक्शन कमीशन द्वारा यह पहले ही तय कर लिया जाता कि कितने लोगों को पोस्टल बैलेट देना है. इसके बाद कागज पर मुद्रित मतपत्र भेजा जाता है. इस प्रक्रिया को इलेक्ट्रॉनिकली ट्रांस्मिटेड पोस्टल बैलेट सिस्टम (ETPBS) कहा जाता है. पोस्टल बैलेट प्राप्त करने वाला अपने पसंदीदा प्रत्याशी के  इलेक्ट्रॉनाम पर ठप्पा लगाकर इसे इलेक्ट्रॉनिक या पोस्ट के जरिए आयोग को लौटा देता है.

किन लोगों द्वारा होता है इस्तेमाल?

  • जिनके लिए इलेक्शन में वोट डालना संभव नहीं है, इनमें सबसे प्रमुख हैं देश की सीमा पर तैनात हमारे फौजी. सैनिक अपने गृहनगर पर जाकर वोट नहीं ही दे पाते हैं. पोस्टल बैलेट की धारणा इन्हीं के लिए बनी है. सबसे ज्यादा डाकमतपत्र का इस्तेमाल इन्हीं के लिए होता है. 
  • सरकारी कर्मचारी और पुलिस और अन्य सुरक्षा कर्मी भी पोस्टल बैलेट के जरिए वोटिंग करते हैं, क्योंकि इनकी चुनाव में ड्यूटी लगी होने के कारण ये लोग भी अपने गृहनगर जाकर वोट नहीं दे पाते हैं. 
  • देश से या अपने गृह नगर से बाहर पोस्टेड सरकारी ऑफिसर्स के लिए भी पोस्टल बैलेट की सुविधा होती है. भारत में ऐसे लोगों की संख्या बहुत ज्यादा है. 
  • वहीं, दिव्यांग व्यक्ति जो मतदान केंद्र तक नहीं पहुंच सकते, उन्हें आवेदन देने के बाद इस तरह से मतदान करने की सुविधा मिल सकती है. 
  • 80 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्ग भी इसके जरिए लोग वोट दे सकते हैं.  इनके लिए पहले से ही रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होता है. 

क्यों पहले होती है पोस्टल बैलेट की गिनती? 
वोटों की गिनती के दौरान सबसे पहले पोस्टल बैलेट की गिनती शुरू होती है. इसके बाद ईवीएम में दर्ज वोटों की गिनती की जाती है, क्योंक डाक मत पत्र कम होते हैं और ये इनकी काउंटिग आसानी से हो जाती है. यही वजह है की पोस्टल बैलेट कीकाउंटिंग सबसे पहले की जाती है.

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