Why Kashmiri Students Go To Iran: इजरायल और ईरान के बीच तनाव की स्थिति बढ़ती जा रही है. 13 जून, 2025 से इजरायल और ईरान के बीच शुरू हुए युद्ध का आज 15वां दिन है. दोनों देशों के बीच चल रहे जंग में जान-माल का भारी नुकसान हुआ है और ये सिलसिला लगातार जारी है. दोनों देशों के बीच की इसी बिगड़ती हालात को देखते हुए ईरान में फंसे भारतीय छात्रों को सुरक्षित वहां से निकालने के लिए भारत सरकार द्वारा ‘ऑपरेशन सिंधु’ शुरू किया गया और इसी के तहत कई छात्रों को सुरक्षित देश में वापस लाया जा चुका है. बता दें, ईरान से सुरक्षित वापस अपने देश लौटे छात्रों में कश्मीरी बच्चों की संख्या ज्यादा है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ज्यादातर कश्मीरी बच्चे हायर एजुकेशन के लिए ईरान का ही रुख क्यों करते हैं. क्या है इसके पीछे की वजह? चलिए हम आपको इसके बारे में बताते हैं.
सांस्कृतिक समानता
ज्यादातर कश्मीरी छात्र हायर एजुकेशन के लिए ईरान जाते हैं, क्योंकि अन्य देशों की तुलना में वहां पर पढ़ाई करना सस्ता है. ईरान में सांस्कृतिक समानता है. वहां का रहन-सहन कश्मीर से मिलता है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मौजूदा समय में ईरान में करीब 4000 छात्र पढ़ाई कर रहे हैं, जिसमें से लगभग आधे छात्र कश्मीर से आते हैं. इसके पीछे की वजह यह है कि कश्मीर और ईरान का मौसम काफी हद एक जैसा है. जिस कारण कश्मीरी बच्चों को वहां पढ़ाई करने में ज्यादा मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ता है.
मेडिकल की पढ़ाई
भारतीय और कश्मीरी छात्र ज्यादातर ईरान मेडिकल की पढ़ाई के लिए जाते हैं, क्योंकि हमारे देश में सरकारी मेडिकल कॉलेजों में MBBS की सीटें सीमित है और प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की फीस बहुत ज्यादा होती है. जिसे आर्थिक रूप से कमजोर छात्र नहीं दे सकते. इसलिए छात्र मेडिकल की पढ़ाई के लिए ईरान जाते हैं, जिसमें कश्मीरी छात्रों की संख्या ज्यादा होती है. कश्मीरी छात्रों का ईरान पढ़ाई के लिए जाने का कारण सिर्फ आर्थिक सहुलियत ही नहीं. बल्कि, इसके पीछे सांस्कृतिक और ऐतिहासिक कारण भी छुपा है.
NMC से मान्यता
दरअसल, कश्मीर की भौगोलिक स्थिति और संस्कृति ईरान से काफी हद तक मिलती है. कश्मीर में शिया मुसलमानों की संख्या ईरान के तरह की ज्यादा है. इसलिए कश्मीरी छात्रों को ईरान में पढ़ाई के लिए कई सुविधाएं मिलती है. उन्हें वहां के कॉलेजों में एडमिशन आसानी से मिल जाता है. मेडिकल के साथ ईरान धार्मिक शिक्षा का भी प्रमुख केंद्र है, जिसके लिए ईरान सरकार खर्च भी उठाती है. इसके साथ ही वहां के मेडिकल विश्वविद्यालयों को भारत के राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) से मान्यता मिली है. जिस कारण ईरान से मेडिकल की पढ़ाई करके भारत लौटे छात्र प्रैक्टिस कर सकते हैं.
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जानकारी के लिए बता दें, जिस तरह इजरायल और ईरान के बीच युद्ध की स्थिति को देखते हुए भारत सरकार ने वहां से पढ़ रहे भारतीय छात्रों को सुरक्षित देश मे लाने के लिए ‘ऑपरेशन सिंधु’ शुरू किया. इसी प्रकार साल 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान भी भारत सरकार द्वारा ‘ऑपरेशन गंगा’ के तहत वहां पढ़ रहे हजारों छात्रों को सुरक्षित देश वापस लाया गया था.
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