Zee Education Conclave on NEP 2020: भारत के शिक्षा क्षेत्र में नई शिक्षा नीति (NEP) 2020 के साथ एक क्रांतिकारी बदलाव की शुरुआत हो चुकी है. यह नीति न केवल देश के युवाओं को नई दिशा दे रही है, बल्कि उन्हें वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार भी कर रही है. हाल ही में जी न्यूज के 'Zee Education Conclave' में केंद्रीय राज्य शिक्षा मंत्री सुकांता मजूमदार ने इस नीति के महत्व और इसके दूरगामी फायदों पर विस्तार से चर्चा की. उन्होंने बताया कि कैसे यह नीति भारत की युवा शक्ति को एक बोझ से संपत्ति में बदल रही है और देश को 2047 तक ‘विकसित भारत’ बनाने के सपने को साकार करने की नींव रख रही है. यह खबर उन सभी के लिए प्रेरणादायक है जो शिक्षा के जरिए देश के भविष्य को उज्ज्वल देखना चाहते हैं.
युवा शक्ति: बर्डन से अपॉर्चुनिटी तक
सुकांता मजूमदार ने बताया कि भारत की 50 फीसदी से ज्यादा आबादी की औसत उम्र 30 साल से कम है. पहले इस युवा आबादी को बोझ माना जाता था, लेकिन अब इसे 'डेमोग्राफिक डिविडेंड' यानी जनसांख्यिकीय लाभ के रूप में देखा जा रहा है. यह युवा शक्ति देश का भविष्य तय कर सकती है, बशर्ते इसे सही दिशा और अवसर दिए जाएं. मजूमदार ने कहा कि अगर हम इस शक्ति को अर्थव्यवस्था, इनोवेशन और नेतृत्व में शामिल नहीं कर पाए, तो यह अवसर हाथ से निकल सकता है. नई शिक्षा नीति 2020 इसी दिशा में एक मजबूत कदम है, जो युवाओं को रोजगार, कौशल और वैश्विक मंच पर नेतृत्व के लिए तैयार कर रही है.
तैयार किया गया है ब्लू प्रिंट
इसी डेमोग्रेटिक डिविडेंट का लाभ उठाने के देश के पीएम मोदी के नेतृत्व में एक ब्लू प्रिंट तैयार किया गया है. मजूमदार ने बताया कि NEP 2020 को तैयार करने में देश भर के हितधारकों (स्टेकहोल्डर्स) के साथ व्यापक विचार-विमर्श किया गया. शायद ही किसी नीति को इतने बड़े स्तर पर चर्चा के बाद बनाया गया हो. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में यह नीति 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल करने की नींव है. यह नीति पुरानी औपनिवेशिक मानसिकता (Colonial Hangover) को खत्म कर एक आधुनिक, समावेशी और भविष्योन्मुखी शिक्षा प्रणाली की शुरुआत करती है. इसमें व्यावहारिक शिक्षा (Experiential Learning) और व्यावसायिक प्रशिक्षण (Vocational Education) पर जोर दिया गया है, ताकि युवा न केवल डिग्रीधारी हों, बल्कि कौशलयुक्त भी बनें.
स्किल-बेस्ड एजुकेशन है बदलते दौर की मांग
पहले शिक्षा का मतलब था किताबी ज्ञान और डिग्रियां. लोग पूछते थे, “तुमने क्या पढ़ाई की?” लेकिन अब सवाल बदल गया है. अब पूछा जाता है, “तुम्हें क्या आता है?” सुकांता मजूमदार ने कहा कि NEP 2020 इस बदलते दौर की मांग को समझती है. यह नीति स्किल-बेस्ड, लचीली और बहु-विषयक (Multi-Disciplinary) शिक्षा को बढ़ावा देती है. इसमें भारी-भरकम पाठ्यक्रम और परीक्षा-केंद्रित मॉडल को हटाकर ऐसी शिक्षा पर जोर दिया गया है जो युवाओं को उद्योग और समाज की जरूरतों के लिए तैयार करे. इससे युवा न केवल भारत में, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी अपनी पहचान बना सकेंगे.
वैश्विक मंच पर भारत की पहचान
NEP 2020 का एक बड़ा लक्ष्य है भारत को वैश्विक शिक्षा का केंद्र बनाना. मजूमदार ने बताया कि इस नीति के तहत मातृभाषा में शिक्षा, तकनीकी प्रशिक्षण और विदेशी भाषाओं को सीखने पर जोर दिया जा रहा है. छठी कक्षा से कोडिंग जैसी तकनीकी शिक्षा शुरू की जाएगी, ताकि बच्चे सॉफ्टवेयर और ऐप डेवलपमेंट जैसे क्षेत्रों में आत्मनिर्भर बन सकें. साथ ही, विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ सहयोग और डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देकर भारत के छात्रों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार किया जा रहा है. यह नीति सुनिश्चित करती है कि भारत का हर छात्र दुनिया की मांग के हिसाब से तैयार हो.
भविष्य की नींव
नई शिक्षा नीति का उद्देश्य केवल रोजगार देना नहीं, बल्कि युवाओं का समग्र विकास करना है. मजूमदार ने कहा कि यह नीति बच्चों में रचनात्मकता, समस्या समाधान और संचार जैसे 21वीं सदी के कौशल विकसित करती है. यह शिक्षा प्रणाली बच्चों को न केवल नौकरी पाने के लिए, बल्कि स्वरोजगार और उद्यमिता के लिए भी तैयार करती है. NEP 2020 के तहत इंटर्नशिप और व्यावहारिक प्रशिक्षण को अनिवार्य किया गया है, ताकि छात्र पढ़ाई के साथ-साथ वास्तविक दुनिया के अनुभव भी हासिल कर सकें. यह नीति भारत को एक ज्ञान-आधारित अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है.
यह नीति भारत की शिक्षा प्रणाली को आधुनिक, समावेशी और भविष्य के लिए तैयार बनाने का वादा करती है. जैसे-जैसे यह नीति लागू हो रही है, यह उम्मीद की जा रही है कि यह भारत को शिक्षा और इनोवेशन का ग्लोबल मंच बनाएगी.