Congress Seat Sharing News: लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले विपक्षी दलों का INDIA गठबंधन बड़ी चुनौती से जूझ रहा है. सीट शेयरिंग का मुद्दा सुलझे तब तो चुनाव की तैयारियों पर बात हो. सबसे खराब हाल कांग्रेस का है जिसे कई राज्यों में क्षेत्रीय दलों से सीटों पर समझौते करने हैं. पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस ने उसे और गठबंधन को करारा झटका दिया है. ममता ने बुधवार को कहा कि TMC ने आगामी लोकसभा चुनाव राज्य में अकेले लड़ने का फैसला किया है. वहीं, पंजाब में अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने भी सीटें बांटने से मना कर दिया. सीट बंटवारे को लेकर INDIA ब्लॉक का गतिरोध खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा. दूसरी ओर, बीजेपी की चुनाव मशीनरी पूरी ताकत से 400 से ज्यादा सीटों का लक्ष्य हासिल करने में जुट गई है. परिस्थितियां देखते हुए कांग्रेस ने सीट शेयरिंग पर बातचीत की रणनीति बदलने का फैसला किया है.
अब पहले उन पार्टियों से बात की जाएगी जिनके साथ कांग्रेस पहले ही राज्यों में किसी तरह के समझौते में है. मुकुल वासनिक की अगुवाई में बनी कांग्रेस की नेशनल अलायंस कमेटी को भूतपूर्व UPA दलों से पहले बात करने को कहा गया है.
हाईकमान के जिम्मे बंगाल और बिहार
मतलब यह कि कांग्रेस अब 'मोहब्बत की दुकान' फिलहाल उन्हीं पार्टियों के साथ लगाएगी जो पहले से ही किसी न किसी रूप में उसके साथ हैं. तमिलनाडु और पुडुचेरी में डीएमके, महाराष्ट्र में शिवसेना-यूबीटी और एनसीपी, झारखंड मुक्ति मोर्चा जैसे दल सहयोगी हैं, पहले उनसे बात होगी. कांग्रेस उत्तर प्रदेश में भी समाजवादी पार्टी से सीट बंटवारे पर फिर बातचीत शुरू करने वाली है. 'द इकॉनमिक टाइम्स' ने कमेटी के सीनियर मेंबर के हवाले से लिखा कि कुछ राज्यों में सीट बंटवारे का जिम्मा आलाकमान पर छोड़ा जाएगा. इनमें पश्चिम बंगाल और बिहार शामिल हैं.
बुधवार को ममता के अकेले लड़ने के ऐलान के बाद, गुरुवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने उनसे बातचीत की. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि सीट बंटवारे से जुड़े गतिरोध पर TMC के साथ मिलकर बीच का रास्ता निकाल लिया जाएगा. बिहार में भी राजनीतिक उठापठक चल रही है और कांग्रेस को स्थिति साफ होने का इंतजार है.
कांग्रेस की AAP से भी नहीं बन पा रही बात
TMC के अलावा कांग्रेस की आम आदमी पार्टी (AAP) से भी डील नहीं हो पाई है. दोनों पार्टियों ने पंजाब में सीटें बांटने से कदम पीछे खींच लिए. दिल्ली में कौन चार सीट पर लड़े और कौन तीन पर, इसे लेकर उधेड़बुन चल रही है. विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, AAP ने हरियाणा की 10 में से तीन, गुजरात में 5 सीट और गोवा में 1 सीट मांगी है. AAP की एक दलील यह भी है कि चंडीगढ़ में उसके ज्यादा पार्षद जीते हैं, इसलिए वह लोकसभा सीट भी उसे लड़ने को मिलनी चाहिए. कांग्रेस और AAP, दोनों ने अलग-अलग लोकसभा चुनाव प्रचार अभियान शुरू किए हैं.