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दूसरे चरण की वोटिंग आते-आते गरमाया 'मुस्लिम आरक्षण' का मुद्दा, आंकड़ों से समझ लीजिए

Muslim Reservation: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनावी रैली में जहां भी जा रहे हैं, मुस्लिम आरक्षण के मुद्दे को जोर-शोर से उठा रहे हैं. दूसरे चरण के मतदान से ठीक पहले पीएम मोदी को आखिर ऐसा कौन सा डॉक्यूमेंट मिल गया?

दूसरे चरण की वोटिंग आते-आते गरमाया 'मुस्लिम आरक्षण' का मुद्दा, आंकड़ों से समझ लीजिए
Zee News Desk|Updated: Apr 25, 2024, 11:19 PM IST
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Second Phase Loksabha Election: लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग होने जा रही है. लेकिन सबसे बड़ी बात ये है कि दूसरा चरण..मुस्लिम आरक्षण पर छिड़े सियासी रण के बीच होने जा रहा है. कई लोगों के मन में इसको लेकर सवाल हैं. जहां कांग्रेस की सरकार है, क्या वहां OBC से छीनकर मुसलमानों को आरक्षण दिया जा रहा है? अगर कांग्रेस की सरकार देश में बनी तो क्या भारतीय सेना में भी मुस्लिम आरक्षण लागू होने वाला है?

असल में इन सवालों का आधार क्या है. आधार ये है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ-साथ पूरी बीजेपी दावा कर रही है कि 13 प्रतिशत मुस्लिम आबादी वाले कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार OBC के रिजर्वेशन में से मुस्लिमों को आरक्षण दे रही है. यानी पिछड़ी जातियों का हक छीनकर मुसलमानों को दिया जा रहा है. 

'अगर कांग्रेस की सरकार आई तो..'
दूसरे सवाल का आधार ये है कि देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आशंका जताई है कि अगर कांग्रेस की सरकार आई तो सेना में भी मुस्लिमों को आरक्षण दिया जा सकता है? मुस्लिम आरक्षण को लेकर बीजेपी के दावों पर कांग्रेस क्या कह रही है और मुस्लिम आरक्षण का सच क्या है...इसे भी जानना जरूरी है.

OBC के हक पर डाका?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनावी रैली में जहां भी जा रहे हैं...मुस्लिम आरक्षण के मुद्दे को जोर-शोर से उठा रहे हैं. दूसरे चरण के मतदान से ठीक पहले पीएम मोदी को आखिर ऐसा कौन सा डॉक्यूमेंट मिल गया..जिसके आधार पर पीएम मोदी दावा कर रहे हैं कि कांग्रेस की सरकार आई तो OBC को मिलने वाला आरक्षण लूटकर मुसलमानों को दे दिया जाएगा. देखिए कर्नाकट ने क्या किया.. वहां की सरकार ने रातों रात कर्नाटक में जितनी भी मुस्लिम जातियां हैं - एक कागज पर ठप्पा लगा दिया कि आप OBC हैं...OBC के हक पर डाका डाला है... कांग्रेस का इरादा यूपी में भी यही खेल करने का है

मुस्लिम आरक्षण का हिसाब..
कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग की मांग पर मुस्लिम आरक्षण का हिसाब दिया है. कर्नाटक सरकार के इस डॉक्यूमेंट में पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण की 5 श्रेणी हैं और कुल 32 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है. कैटेगरी-एक में 4 प्रतिशत आरक्षण है. इनमें कुल 391 जातियां हैं जिनमें 17 मुस्लिम जातियां हैं. कैटेगरी-2 (A) में 15 प्रतिशत आरक्षण है...इसमें 393 जातियां हैं, जिनमें 19 मुस्लिम जातियां हैं. और कैटेगरी-2 (B) के तहत 4 प्रतिशत आरक्षण दिया जाता है..और इसमें सभी मुसलमान शामिल हैं.

मुस्लिमों के लिए यही 4% आरक्षण..सियासी रण की वजह बन गया है. सिर्फ यही नहीं, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग का दावा है कि कर्नाटक में 4 प्रतिशत भी नहीं, मुस्लिमों को 16 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है. बीजेपी नेता और राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष हंसराज अहीर की बात आपको जरूर सुननी चाहिए. 4 प्रतिशत आरक्षण मुस्लिम भाइयों को है कैटेगरी 2 बी में. यहां मेडिकल में 930 सीटें आई हैं पीजी की, उसमें 150 सीटें मुस्लिम समुदाय को गई है ओबीसी कैटेगरी में. 930 में 150 सीटें गई हैं तो इसका मतलब है कि आपने 16 प्रतिशत सीट दे दी है. 4 प्रतिशत देना था.

कर्नाटक सरकार का पक्ष.. 
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने राज्य सरकार के जवाब का एक दस्तावेज सोशल मीडिया पर शेयर किया है. जिसमें लिखा है साल 2022 के अध्यादेश के हिसाब से एससी के लिए 17 प्रतिशत, एसटी के लिए 7 प्रतिशत और ओबीसी प्लस माइनॉरिटी को मिलाकर 32 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है. उन्होंने पीएम मोदी को भी जवाब दिया.

सिद्धारमैया ने कहा, पीएम मोदी का ये दावा कि कांग्रेस ने पिछड़े वर्ग और दलित समाज से आरक्षण कोटा लेकर मुस्लिमों को दे दिया है. ये सफेद झूठ है. जयराम रमेश ने कहा कर्नाटक मे मुस्लिम आरक्षण को लेकर जो कर्नाटक को लेकर आरक्षण की बात की है पीएम ने ये बिल्कुल झूठ है. कर्नाटक मे ये आरक्षण पिछले 30 साल से लागू है.

कर्नाटक में मुस्लिम आरक्षण का अब सच जान लीजिए...
साल 1994 में एच डी देवगौड़ा की सरकार ने मुस्लिमों को आरक्षण देने के लिए ओबीसी की आरक्षण सूची में अलग से 2 बी कैटेगरी बनाई थी. साल 2023 में बीजेपी सरकार ने कर्नाटक में मुस्लिमों के लिए 4 प्रतिशत का आरक्षण खत्म कर दिया था. दोबारा जब कांग्रेस की सरकार बनी तो उसने फिर से मुस्लिम आरक्षण लागू कर दिया। और इसी आधार पर बीजेपी दावा कर रही है कि अगर कांग्रेस की सरकार केंद्र में आई तो देश भर में मुस्लिम आरक्षण लागू हो जाएगा.

दूसरे राज्यों में मुस्लिम आरक्षण के आंकड़े..
- तेलंगाना में 4 प्रतिशत मुस्लिम आरक्षण है. इसे केसीआर सरकार ने साल 2014 में लागू किया था. वो अब भी लागू है. 
- तमिलनाडु में साढ़े 3 प्रतिशत मुस्लिम आरक्षण है. इसके लिए डीएमके सरकार ने साल 2007 में अलग से एक कैटेगरी बनाई थी.
- केरल में सरकारी नौकरी में 10 प्रतिशत आरक्षण है. और इस आरक्षण को साल 1957 में वहां की कम्युनिस्ट सरकार ने ही लागू किया था. 
- आंध्र प्रदेश में साल 2004 के दौरान कांग्रेस सरकार मुस्लिमों के लिए 5 प्रतिशत आरक्षण का फॉर्मूला लेकर आई थी...लेकिन अदालत ने इसे खारिज कर दिया. इस वजह से ये लागू नहीं हो पाया.
- पश्चिम बंगाल में मुस्लिमों के लिए 10 प्रतिशत का आरक्षण है. इसे उस समय की कम्यूनिस्ट सरकार..सीपीआईएम की सरकार लेकर आई थी...ये साल 2010 की बात है. लेकिन अब बंगाल में ममता बनर्जी का शासन है, जो इस समय खुद को मुस्लिमों की मसीहा के तौर पर पेश कर रही हैं।

कांग्रेस पर सिर्फ ओबीसी का हक छीनकर मुस्लिमों को देने के आरोप नहीं लग रहे. आरोप ये भी लग रहा है कि अगर कांग्रेस की सरकार आई तो सेना में भी मुस्लिम आरक्षण लागू किया जा सकता है. और ये दावा देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कल आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में एक कार्यक्रम के दौरान किया. वहीं आज पीएम मोदी ने बरेली में लोगों से कहा कि कांग्रेस आपकी नौकरी छीनकर मुस्लिमों को दे देगी. प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री के बयान सुनिए.

राजनाथ सिंह ने इस पर क्या कहा?
राजनाथ सिंह का कहना है कि साथियों इस बार के घोषणापत्र में कांग्रेस ने सरकारी नौकरियों में अल्पसंख्यकों को नौकरी देने की बात कही है. अगर ये लागू किया तो आर्म्ड फोर्सेज को भी इसके दायरे में ले सकता है. बीजेपी का आरोप है कि कांग्रेस अपने घोषणा पत्र में लगातार मुस्लिमों को सरकारी नौकरी में आरक्षण देने की गारंटी देती आ रही है. इस बार कांग्रेस ने 48 पेज के घोषणा पत्र में पेज नंबर 9 पर लिखा है कि कांग्रेस यह सुनिश्चित करेगी कि अल्पसंख्यकों को शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, सरकारी नौकरी, लोक निर्माण अनुबंध, कौशल विकास, खेल और सांस्कृतिक गतिविधियों में बिना किसी भेदभाव के उचित अवसर मिले. 

इस सरकारी नौकरी वाली बात को ही बीजेपी...सेना में मुस्लिम आरक्षण से जोड़कर देख रही है. वैसे आपको बता दूं, कांग्रेस सरकार के दौरान सच्चर कमेटी का गठन हुआ था. उसने साल 2006 में रिपोर्ट दी थी और ये सलाह दी थी कि भारतीय सेना में मजहब के आधार पर गणना हो. यानी मकसद ये पता करना था कि सेना में कितने हिंदू हैं, कितने मुसलमान हैं, कितने सिख हैं और कितने ईसाई हैं. हालांकि अच्छी बात ये है कि सेना में जाति-धर्म के लिए कोई जगह नहीं है. हमारी सेना हमारा गुरूर है. हमारी सबसे बड़ी ताकत है. भारत के पास साढ़े 14 लाख सैनिक हैं. और सैनिकों की संख्या में हम चीन के बाद दूसरे नंबर पर हैं.

सबसे बड़ी बात ये है कि सेना में जाति-धर्म पर सिर्फ रेजिमेंट के नाम रखे गए हैं...लेकिन जाति और धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं दिया जाता. जिसके पास टैलेंट और जुनून है...सेना में सिर्फ उसके लिए जगह है.

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