विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A गठबंधन के नेताओं ने पिछले दिनों चुनाव आयोग से गुजारिश करते हुए कहा कि ईवीएम से पहले पोस्टल बैलेट की गणना की जाए. दरअसल विश्लेषक उसके पीछे मुख्य कारण ये देख रहे हैं कि 2019 के लोकसभा चुनावों में आठ राज्यों की 9 सीटों पर इन्हीं की गणना के आधार पर जीत-हार तय हुई थी. 2019 के चुनाव में ये 9 सीटें उन 14 लोकसभा क्षेत्रों में शामिल थीं जहां जीत-हार का अंतर 5000 से कम रहा.
181 वोटों का किस्सा
पिछली बार इस तरह की सबसे कांटे की लड़ाई यूपी की मछलीशहर सीट में देखने को मिली. इस सीट पर पोस्टल बैलेट की संख्या 2,814 थी और जीत-हार का अंतर केवल 181 वोटों का रहा. बीजेपी के प्रत्याशी ने बसपा के उम्मीदवार को इस मामूली अंतर से हरा दिया. यानी पोस्टल बैलेट इस सीट पर निर्णायक साबित हुआ. इसी तरह पश्चिम बंगाल की आरामबाग का मामला है. ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी ने बीजेपी को यहां 1,142 वोटों से हरा दिया. जबकि पोस्टल बैलेट की संख्या 1,549 रही.
खूंटी और जहानाबाद
2019 में बिहार की जहानाबाद सीट पर जेडीयू ने कब्जा किया. राजद के प्रत्याशी को यहां पर केवल 1,751 वोटों से हार मिली. इस सीट पर पोस्टल बैलटों की संख्या 5,091 थी. यानी पोस्टल बैलेट ने जेडीयू की जीत में अहम भूमिका निभाई.
इसी तरह झारखंड की खूंटी का किस्सा रहा. यहां कांग्रेस के प्रत्याशी को 1,445 वोट मिले जबकि पोस्टल बैलेट की संख्या 1,951 थी.
इसी तरह चामराजनगर (कर्नाटक), चिदंबरम (तमिलनाडु), कोरापुट (ओडिशा), गुंटूर और विशाखापत्तनम का किस्सा रहा. जहां पोस्टल बैलेट की संख्या ज्यादा थी और हार-जीत का मार्जिन उससे काफी कम रहा.
विपक्ष की मांग
दरअसल एक तरफ जहां सभी लोग दम साधे 4 जून को आने जा रहे लोकसभा चुनावों के नतीजों का इंतजार कर रहे हैं. उससे पहले विपक्षी I.N.D.I.A गठबंधन ने अचानक ईवीएम से पहले पोस्टल बैलेट की काउंटिंग की बात कहकर सबको चौंकाया. इस गठबंधन के नेताओं ने चुनाव आयोग से ऐसा करने का आग्रह किया. आयोग को सौंपे गए एक पत्र में विपक्षी नेताओं ने कहा कि लोकसभा चुनाव में डाक मत पत्रों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है क्योंकि वरिष्ठ नागरिकों (85 वर्ष और इससे अधिक आयु के) और दिव्यांगजनों को इस प्रक्रिया के जरिये मतदान करने की अनुमति दी गई थी. उन्होंने विभिन्न नियमों एवं दिशानिर्देशों का हवाला दिया, जिनमें निर्वाचनों का संचालन नियम,1961 और रिटर्निंग अधिकारियों एवं मतगणना एजेंटों के लिए पुस्तिका (अगस्त 2023) शामिल हैं जिनमें कहा गया है कि डाक मत पत्रों की गिनती पहले की जाएगी.
कांग्रेस के मुताबिक यहह एक बहुत स्पष्ट सांविधिक नियम है, जो यह प्रावधान करता है कि आपको पहले डाक मत पत्रों की गिनती करनी चाहिए.' उन्होंने कहा, 'हमारी यह शिकायत है कि इस दिशानिर्देश को दरकिनार कर दिया गया है. इस परंपरा को तोड़ दिया गया है. निर्वाचन आयोग ने सोमवार को कहा कि सबसे पहले बैलेट पेपर की ही गणना की जाएगी. इस पर विपक्ष ने मतणगना के दौरान पहले डाक मत पत्रों की गिनती करने की निर्वाचन आयोग की घोषणा पर खुशी जताते हुए सोमवार को कहा कि यह लोकतंत्र की भावना को बढ़ावा देने का भागीदारीपूर्ण तरीका है.