पतंजलि आयुर्वेद, जिसे बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने मिलकर शुरू किया. ने स्पिरिचुअल सोच ने बिजनेस और स्पिरिचुअल सोच को साथ लाकर एक नया तरीका दिखाया है. कंपनी सिर्फ प्रॉफिट बढ़ाने के लिए नहीं, बल्कि लोगों की भलाई और समाज की सेवा के लिए काम करती है. पतंजलि की लीडरशिप इस बात की मिसाल है कि कैसे पुराने जमाने के ज्ञान को आज के बिजनेस के तरीके से मिलाकर कैसे बड़ी सक्सेस पाई जा सकती है.
पतंजलि को लीड बाबा रामदेव एक योग गुरु और आचार्य बालकृष्ण कंपनी के CEO द्वारा किया जाता है. बाबा रामदेव लोगों को स्पिरिचुअल रास्ता दिखाते हैं. वहीं आचार्य बालकृष्ण बिजनेस की सारी प्लानिंग और काम संभालते हैं. ऐसा लगता है कि ये दोनों मिलकर अपने काम में भारतीय पुराने विचारों जैसे ईमानदारी, समाज की जिम्मेदारी और नेचुरल इलाज को भी शामिल करते हैं. जिनका सारा सिस्टम योग और आयुर्वेद पर टिका हुआ है.
हां, लेकिन एक सवाल जो लोगों के मन में आता है कि आखिर पतंजलि की लीडरशिप कैसे स्पिरिचुअल विजडम और बिजनेस की समझ को साथ लेकर चलती है? आइए जानते है.
पतंजलि स्पिरिचुअल बिजनेस मॉडल
पतंजलि की लीडरशिप सबसे बड़ी ताकत ये है कि उन्होंने अपने बिज़नेस मॉडल को स्पिरिचुअल सोच पर खड़ा किया है. बाबा रामदेव का मानना है कि 'सेहत, पैसे और मन की शांति ये तीनों आपस में जुड़े हुए हैं'. इसी सोच के चलते पतंजलि के प्रोडक्ट्स में आयुर्वेद और योग की बातें शामिल की गई हैं. पतंजलि ने अपने योग कैंप और टीवी शो से लोगों को सिर्फ एक्सरसाइज करना ही नहीं, बल्कि दिमाग को शांत रखना और अंदर से जागरूक होना भी सिखाया गया है.
योग और आयुर्वेद
पतंजलि ने योग को सिर्फ एक फिजिकल एक्सरसाइज नहीं, बल्कि 'जीवन जीने की कला' बताया। इसी तरह, आयुर्वेद को उन्होंने केमिकल फ्री हेल्थ के लिए समाधान के रूप में पेश किया. जिस वजह से योग और आयुर्वेद को बिजनेस से जोड़कर उन्होंने लोगों की जरूरतें भी पूरी कीं और उनकी आस्था का भी ख्याल रखा. जैसे कि पतंजलि के प्रोडक्ट्स की पैकिंग पर योग के फायदे लिखे होते हैं, जिससे लोगों को लगता है कि वो सिर्फ साबुन या चाय नहीं ले रहे, बल्कि एक हेल्दी लाइफस्टाइल की तरफ बढ़ रहे हैं.
पतंजलि का स्वदेशी विजन
पतंजलि का बिजनेस मॉडल 'स्वदेशी' के सिद्धांत पर बेस है. उन्होंने विदेशी कंपनियों के कंट्रोल वाले मार्केट में भारतीय प्रोडक्ट को बढ़ावा देकर एक नई लहर शुरू की. उनके एड्स में भी साफ-साफ सुनाई देता है. 'भारत बनाए, भारत खरीदे' का नारा. इस सोच से न सिर्फ गांव के किसानों और लोकल लोगों को काम मिला. बल्कि देश की इकोनॉमी को भी फायदा हुआ और उसे मजबूत बनाने में मदद मिली.
इसके अलावा पतंजलि ने क्वालिटी के साथ समझौता किए बिना प्रोडक्ट्स को सस्ता रखा. उदाहरण के लिए, उनके शैंपू और टूथपेस्ट कई विदेशी कंपनियों के मुकाबले आधी कीमत पर मिलते हैं, वहीं ग्राहकों का मानना है कि ये प्रोडक्ट केमिकल फ्री होने के वजह से बेहतर हैं. यह भरोसा ही पतंजलि की सक्सेस का राज है. क्योंकि उनका कहना है कि हमारा उद्देश्य पैसा कमाना नहीं, बल्कि लोगों की हेल्थ और देश की इकोनॉमी को बेहतर करना है.