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पतंजलि का स्वदेशी आंदोलन कैसे आत्मनिर्भरता और आर्थिक विकास को दे रहा बढ़ावा, जानें पूरी कहानी

Patanjali Swadeshi Movement: पतंजलि रोजगार बढ़ाने और स्वदेशी प्रोडक्ट पर खूब ध्यान दे रहा हैं. कंपनी ने अपने फैक्टरी सेंटर, डिलीवरी नेटवर्क और शॉप्स के जरिए हजारों लोगों को काम के मौके दिए हैं.

पतंजलि का स्वदेशी आंदोलन कैसे आत्मनिर्भरता और आर्थिक विकास को दे रहा बढ़ावा, जानें पूरी कहानी
Zee News Desk|Updated: May 08, 2025, 01:22 PM IST
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 Patanjali: भारत आज दुनिया की सबसे तेज़ी से ग्रो करती इकोनॉमी बन गया है. जिसमें देश की कई बड़ी-बड़ी कंपनियों का योगदान है. स्पेशली वो कंपनियां जो स्वदेशी प्रोडक्ट को बढ़ावा दे रही हैं. अपने प्रोडक्ट्स देश में ही बना रही हैं और लोगों को नौकरी दे रही हैं. इससे देश के बने हुए सामानों को दुनिया के अलग-अलग मार्केट तक पहुंचाने में भी मदद मिल रही है. ऐसी ही कंपनियों में एक बड़ा नाम है पतंजलि. बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण की लीडरशिप में ये कंपनी देश की इकोनॉमी को एक नई ऊंचाई पर ले जाने में अपना योगदान दे रही हैं.

पतंजलि कंपनी का रेवेन्यू और प्रॉफिट लगातार बढ़ रहा है. देश की टॉप एफएमसीजी कंपनियों में से एक पतंजलि ने अपने विकास, रोजगार देने और स्वदेशी प्रोडक्ट पर ध्यान दिया है. पतंजलि ने अपने अलग तरीके से काम करने के स्टाइल और कम प्राइजिंग की वजह से एफएमसीजी और आयुर्वेदिक प्रोडक्ट्स के मार्केट में अच्छी पकड़ बना ली है. आइए जानते हैं कि पतंजलि का स्वदेशी आंदोलन आत्मनिर्भरता और आर्थिक विकास को कैसे बढ़ावा दे रहा है?

पतंजलि का स्वदेशी आंदोलन
स्वामी रामदेव ने पतंजलि के जरिए स्वदेशी आंदोलन को एक नया रास्ता दिखाया हैं. कंपनी का मानना है कि 'स्वदेशी से आत्मनिर्भर भारत और स्वस्थ भारत' का सपना पूरा हो सकता है. इसी सपने को सच करने के लिए पतंजलि ने भारतीय परंपराओं और नेचुरल चीजों पर बेस कई तरह-तरह के आयुर्वेदिक प्रोडक्ट तैयार किए हैं. पतंजलि के स्वदेशी प्रोडक्ट्स न सिर्फ देश की इकोनॉमी को बेहतर कर रहे हैं. साथ ही ये सेहत और पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद साबित होते हैं. इन प्रोडक्ट्स को देश के किसान और एंटरप्रेन्योर बनाते हैं. जिससे लोगों को रोजगार भी मिलता हैं, और गांवों की इकोनॉमी भी ग्रो करती हैं.

पतंजलि का स्वदेशी बिजनेस मॉडल
पतंजलि का बिजनेस मॉडल पूरी तरह से स्वदेशी है. कंपनी ने अपने प्रोडक्ट्स के लिए देश के अंदर ही सप्लाई चेन को विकसित कर रखा है. और पुराने आयुर्वेदिक ज्ञान को आज की नई टेक्नोलॉजी के साथ जोड़ दिया है. पतंजलि की मार्केटिंग स्ट्रैटजी भी बाकी कंपनियों से अलग रही हैं. इसी वजह से पतंजलि के प्रोडक्ट लोगों के बीच तेजी से पॉपुलर हो गए. स्वामी रामदेव और आचार्य बालकृष्ण की लीडरशिप में पतंजलि ने स्वदेशी बिजनेस को बढ़ावा दिया है. इससे न सिर्फ विदेशी प्रोडक्ट्स पर निर्भरता कम हुई है, बल्कि लोगों को रोजगार भी मिला है और 'आत्मनिर्भर भारत' के सपने को सच करने में मदद मिली है.

पतंजलि ने आयुर्वेद, हर्बल चीज़ों और पारंपरिक भारतीय मैन्युफैक्चरिंग को फिर से जिंदा किया. जिससे ये विदेशी ब्रांड्स को कड़ी टक्कर दे रहे हैं. कंपनी ने एफएमसीजी, हेल्थकेयर, कपड़ा और डेयरी जैसे कई सेक्टर्स में अपने पैर पसारे हैं, जो ये दिखाता है कि भारतीय कंपनियां भी इंटरनेशनल मार्केट में मुकाबला कर सकती हैं. पतंजलि ने कई ऐसे स्वदेशी प्रोडक्ट्स तैयार किए हैं जो विदेशी प्रोडक्ट्स अच्छा ऑप्शन बन गए हैं. हर्बल कॉस्मेटिक, खाने-पीने की चीजें और मेडिसिन जैसे प्रोडक्ट्स ने बाहर से आने वाली कई चीजों की जगह ले ली है.

आर्थिक विकास में पतंजलि का योगदान
पतंजलि रोजगार बढ़ाने और स्वदेशी प्रोडक्ट पर खूब ध्यान दे रहा हैं. कंपनी ने अपने फैक्टरी सेंटर, डिलीवरी नेटवर्क और शॉप्स के जरिए हजारों लोगों को काम के मौके दिए हैं. साथ ही, गांवों के किसानों से कच्चा माल खरीदकर और देसी प्रोडक्ट्स को बढ़ावा देकर गांव की इकोनॉमी को भी बेहतर किया हैं. इसके अलावा कंपनी ने कई राज्यों में अपने मैन्युफैक्चरिंग प्लांट्स शुरू किए हैं, जिससे लोकल स्तर पर औद्योगीकरण को बढ़ावा मिला है. इसके अलावा, पतंजलि के प्रोडक्ट की सेल्स से छोटे शॉपकीपर और डिस्ट्रीब्यूटर्स को भी फायदा हुआ है.

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