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पतंजलि की सफलता के पीछे आचार्य बालकृष्ण की लीडरशिप का इतना बड़ा रोल क्यों है?

Acharya Balkrishna: पतंजलि के फॉलोअर्स के मन यह सवाल आता है कि आचार्य बालकृष्ण की लीडरशिप पतंजलि की कामयाबी की ताकत क्यों मानी जाती है? आइए जानते है.  

पतंजलि की सफलता के पीछे आचार्य बालकृष्ण की लीडरशिप का इतना बड़ा रोल क्यों है?
Zee News Desk|Updated: May 12, 2025, 04:57 PM IST
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Patanjali Ayurved: आचार्य बालकृष्ण की लीडरशिप पतंजलि की जबरदस्त सक्सेसफुल होने की एक बड़ी वजह रही है. उनकी वजह से ही पतंजलि आज भारत के सबसे बड़े और असरदार हेल्थ ब्रांड्स में से एक है. जहां स्वामी रामदेव ने पतंजलि का फेस बनकर लोगों से जुड़ाव बनाया और विजन दिया. वहीं, आचार्य बालकृष्ण ने अपने ज्ञान, मेहनत और सोच-समझ से कंपनी की मजबूत नींव बनाने में एक बड़ा रोल निभाया है.

आचार्य बालकृष्ण की लीडरशिप 

अगर आचार्य बालकृष्ण को पतंजलि की कामयाबी का 'दिमाग' कहा जाए, तो ये बात उन पर फिट बैठती हैं. वो सिर्फ कंपनी के सीईओ ही नहीं हैं, बल्कि उनकी मेहनत, दूर की सोच और आयुर्वेद के लिए जुनून ने पतंजलि को भारत की सबसे बड़ी वेलनेस कंपनियों में ला खड़ा किया हैं. उनकी लीडरशिप सिर्फ बिजनेस चलाने तक नहीं है, ये एक ऐसा मिशन है, जिसमें सेहत, आत्मनिर्भरता और हमारी भारतीय परंपराओं को जिंदा रखने की कोशिश शामिल है.

आयुर्वेद की बेहतरीन नॉलेज और क्वालिटी पर फोकस 

पतंजलि की कामयाबी में आचार्य बालकृष्ण की सबसे बड़ी ताकत है उन्हें आयुर्वेद की काफी गहरी समझ है. उन्होंने हमेशा प्रोडक्ट बनाते टाइम देसी जड़ी-बूटियों और नैचुरल चीजों को प्रायोरिटी दी है. इसी वजह से पतंजलि का कोई प्रोडक्ट टूथपेस्ट हो, हर्बल चाय या ब्यूटी प्रोडक्ट लोग इन पर ट्रस्ट करते हैं. उनका मानना है कि अगर चीज सच में अच्छी हो, तो उसे बेचने के लिए ज्यादा बोलना नहीं पड़ता है और इस विचारधारा को उन्होंने पतंजलि में अपनाया भी है.

बिना ये समझे कि लोग क्या चाहते हैं, नया प्रोडक्ट लॉन्च कर देना

दूसरी कंपनियां जहां नया प्रोडक्ट लॉन्च करने से पहले महीनों की रिसर्च करती हैं, लेकिन आचार्य बालकृष्ण ने इस परंपरा को तोड़ते हुए, बाकी सब से कुछ अलग किया. उन्होंने सीधे ग्राहकों की जरूरतों पर ध्यान देकर प्रोडक्ट्स बनाए. जैसे- आंवला जूस या गिलोय की गोलियां जैसे प्रोडक्ट्स का आइडिया. ये बात उनके दिमाग में इस तरह आई कि भारतीय घरों में इन चीजों का इस्तेमाल पहले से होता आ रहा हैं. इससे पतंजलि को मार्केट में तेजी से पैर जमाने में मदद मिली.

स्वदेशी और आत्मनिर्भरता का विजन 

पतंजलि सिर्फ एक कंपनी नहीं, बल्कि 'आत्मनिर्भर भारत' के सपने को सच करने का जरिया है. आचार्य बालकृष्ण ने किसानों से सीधे जड़ी-बूटियां खरीदने की सुविधा की, जिससे हजारों किसानों को रोजगार मिला और उनकी इनकम बढ़ी. साथ ही पतंजलि के 5,000 से ज्यादा स्वदेशी प्रोडक्ट ने भारतीय मार्केट में विदेशी कंपनियों को कड़ी टक्कर दी हैं.

इसके अलावा आचार्य बालकृष्ण ने पतंजलि के जरिए गांवों को आर्थिक रूप से बेहतर बनाने पर खूब ध्यान दिया हैं. कंपनी ने ग्रामीण इलाकों में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स लगाईं, जिससे लोकल लोगों को नौकरियां मिलीं और उनके स्किल्स का विकास हुआ. इस तरह पतंजलि की सफलता सिर्फ प्रॉफिट तक सीमित नहीं, बल्कि समाज के हर तबके को फायदा पहुंचाने वाली है.

नई टेक्नोलॉजी और ऑर्गेनिक फार्मिंग में इन्वेस्टमेंट

आचार्य बालकृष्ण ने पतंजलि ऑर्गेनिक रिसर्च इंस्टीट्यूट की स्थापना करके ऑर्गेनिक फार्मिंग को बढ़ावा दिया है. यहां बायो-फर्टिलाइजर और बायो-पेस्टिसाइड्स बनाए जाते हैं. जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना फसलों की पैदावार बढ़ाते हैं. इससे न सिर्फ किसानों को फायदा हुआ, बल्कि पतंजलि के प्रोडक्ट की क्वालिटी भी बेहतर हुई. क्योंकि उन्हें शुद्ध कच्चे माल मिलने लगे.

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