पतंजलि का प्रकृति और पर्यावरण के प्रति प्यार उसकी सोच में गहराई से बसा हुआ है. पतंजलि हमेशा से पूरे जीवन के लिए अच्छी हेल्थ और प्रकृति के साथ तालमेल बनाकर जीने पर जोर देता आया है. कंपनी अपने ग्रीन कैंपेन, पर्यावरण के अनुकूल तरीके और ऑर्गेनिक फॉर्मिंग को बढ़ावा देने जैसे स्टेप्स आने वाली जेनरेशन के लिए प्रकृति को बचाने और पर्यावरण पर पड़ने वाले असर को कम करने की कोशिश हैं.
पतंजलि का मानना है कि सस्टेनेबिलिटी डेवलपमेंट सिर्फ एक ऑफिशियल प्रॉमिस नहीं है, बल्कि उसके पूरे बिजनेस मॉडल और सोच का अहम हिस्सा है. कंपनी का सपना है एक ऐसी दुनिया बनाना, जहां लोग प्रकृति के साथ मेलजोल से रहें और नेचुरल इलाज के जरिए पूरी तरह से हेल्थ का ध्यान रख सके. आइए जानते है कि पतंजलि में सस्टेनेबिलिटी को सिर्फ कॉरपोरेट जिम्मेदारी क्यों नहीं समझा जाता, बल्कि वो उससे कहीं ज़्यादा क्या है?
सनातन कल्चर के जरिए ग्लोबल प्रॉब्लम्स का समाधान
पतंजलि की सोच की जड़ें हमारी भारत की पुरानी सनातन कल्चर में हैं. यहां सस्टेनेबिलिटी कोई बिजनेस स्ट्रैटेजी नहीं, बल्कि जीने का सही तरीका है. जैसे स्वामी बाबा रामदेव जी कहते हैं, 'अगर योग जिंदगी का अहम पार्ट बन जाए तो पूरी जिंदगी बदल जाती है. 'पतंजलि के लिए सस्टेनेबिलिटी का मतलब सिर्फ धरती और नेचुरल रिसोर्सेज को बचाने तक ही सीमित नहीं हैं. बल्कि हर इंसान के अच्छे विकास और पूरे समाज को आगे बढ़ाने से भी हैं.
योग और आयुर्वेद का शानदार संगम
पतंजलि ने योग और आयुर्वेद जैसे पुराने ज्ञान को मॉडर्न समय की जरूरतों के हिसाब से लोगों तक पहुंचाया है. इससे वो न सिर्फ लोगों को फिटनेस फ्रीक बना रहे हैं, बल्कि मेंटल और स्पिरिचुअल हेल्थ की अहमियत भी समझा रहे हैं. स्वामी रामदेव ने अपनी मेहनत से योग को एक ऐसी इंडस्ट्री बना दिया है जो सिर्फ पैसे कमाने तक सीमित नहीं है, बल्कि लोगों की जिंदगी बेहतर बनाने पर भी जोर देता है. उनका तरीका कॉमन बिजनेसमैन की सोच से अलग है, जहां प्रॉफिट के साथ-साथ लोगों का भलाई करना भी उद्देश्य हैं.
स्वदेशी प्रोडक्ट्स का प्रोडक्शन
पतंजलि ने स्वदेशी प्रोडक्ट्स के प्रोडक्शन पर जोर देकर न सिर्फ इंडियन इकोनॉनी को बेहतर करने का काम किया है बल्कि लोगों को विदेशी प्रोडक्ट पर निर्भरता से भी फ्री किया है. आजाद भारत के हिस्ट्री में पहला पतंजलि स्वदेशी ब्रांड है जो करोड़ों घरों तक पहुंचा. यह चीज बताता है कि पतंजलि की पहुंच और प्रभाव कितना व्यापक है.
लोकल से ग्लोबल की यात्रा
पतंजलि की सोच है कि सच्ची सस्टेनेबिलिटी तभी है जब लोकल प्रोडक्ट्स और विचारों को ग्लोबल लेवल पर पहचान मिले. स्वामी रामदेव का विजन है कि 100 करोड़ से ज्यादा घरों तक और 100 से ज्यादा दुनिया के देशों तक पहुंचने का. इस तरह से वे 'लोकल को ग्लोबल' बनाने की कांसेप्ट को पूरा कर रहे है.