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'तब तक मेरे शव को मत उठाना...', होली के दिन किसान ने दी जान, सुसाइड लेटर में क्या लिखा?

Farmer Suicide: मृतक किसान की पत्नी ने कहा कि मेरे पति ने किसानों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया लेकिन प्रशासन ने उनकी एक न सुनी. अगर सरकार ने समय पर कार्रवाई की होती तो आज वह जिंदा होते.

'तब तक मेरे शव को मत उठाना...', होली के दिन किसान ने दी जान, सुसाइड लेटर में क्या लिखा?
Gaurav Pandey|Updated: Mar 15, 2025, 06:53 AM IST
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Maharashtra Farmer: होली का दिन खुशियों का होता है लेकिन महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले के एक अवार्ड विनिंग किसान ने होली के दिन सुसाइड कर लिया है. 'यंग फार्मर अवॉर्ड' विजेता कैलाश अर्जुन नागरे ने होली के दिन जहर खाकर सुसाइड कर लिया. उनका शव गुरुवार सुबह शिवनी अरमल गांव स्थित खेत में मिला. नागरे कई सालों से खड़कपुरना जलाशय से 14 गांवों को सिंचाई का पानी देने की मांग कर रहे थे. पिछले साल उन्होंने 10 दिनों तक भूख हड़ताल भी की थी लेकिन प्रशासन ने उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया.

किसान नेता के रूप में..
असल में शव के पास से तीन पेज का सुसाइड नोट मिला. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक इसमें साफ लिखा है कि प्रशासन किसानों की समस्याओं की अनदेखी कर रहा है. जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होतीं मेरे शव को मत उठाना. नागरे इलाके में एक प्रमुख किसान नेता के रूप में जाने जाते थे. उनकी मौत से गांव में भारी आक्रोश फैल गया और हजारों किसानों ने प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की. प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि जब तक जिले के संरक्षक मंत्री या कलेक्टर मौके पर आकर आश्वासन नहीं देते, शव का पोस्टमार्टम नहीं होने दिया जाएगा.

...तो आज वह जिंदा होते
मृतक किसान की पत्नी सुशीला नागरे ने मीडिया से बात करते हुए रोते हुए कहा कि मेरे पति ने किसानों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया लेकिन प्रशासन ने उनकी एक न सुनी. अगर सरकार ने समय पर कार्रवाई की होती तो आज वह जिंदा होते.

उधर महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने इस घटना को लेकर सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि यह सरकार हिंदू-मुस्लिम राजनीति में उलझी है. लेकिन किसानों की समस्याओं पर ध्यान नहीं दे रही. नागरे किसानों के हक की लड़ाई लड़ रहे थे लेकिन सरकार ने उन्हें आत्महत्या के लिए मजबूर कर दिया.

सरकारी नीतियों की असफलता

किसान संगठन 'क्रांति किसान संघटन' के नेता रवीकांत तुपकर ने इसे सरकारी नीतियों की असफलता बताया. उन्होंने कहा कि यह आत्महत्या नहीं बल्कि सरकार की गलत नीतियों के कारण हुई हत्या है. हम मांग करते हैं कि सरकार को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाए और दोषियों पर हत्या का मुकदमा चले. नागरे के घर में उनके पिता पत्नी और तीन बच्चे हैं.

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