Headmaster kills daughter low NEET marks: महाराष्ट्र के सांगली जिले से एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है, जहां एक पिता ने अपनी 17 साल की बेटी को सिर्फ इसलिए पीट-पीटकर मार डाला क्योंकि उसे टेस्ट में कम नंबर मिले थे. ये घटना शनिवार रात अटपाडी तालुका के नेलकरंजी गांव में हुई. पुलिस के मुताबिक, आरोपी धोंडीराम भोसले (45 साल) खुद एक स्कूल टीचर हैं, लेकिन अपनी बेटी साधना के कम नंबरों से इतने नाराज हो गए कि उन्होंने उसे बेरहमी से इतना पीटा की मौत हो गई.
लाइवमिंट में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, 17 साल की लड़की साधना भोसले जो 12वीं क्लास में पढ़ती थी और डॉक्टर बनने का सपना देख रही थी उसके उसके पिता धोंडीराम भोसले ने सिर्फ इसलिए पिटाई कर दी, क्योंकि उसका NEET मॉक टेस्ट में नंबर कम आया था. इस पिटाई में साधना इतनी बुरी तरह घायल हो गई कि उसकी जान चली गई.
"पापा, आप कौन सा कलेक्टर बन गए?"
शुक्रवार की रात को धोंडीराम, जो खुद एक प्राइवेट स्कूल में टीचर हैं. उन्होंने अपनी बेटी साधना से उसके कम नंबरों का कारण पूछा. बातचीत के दौरान साधना ने गुस्से में अपने पिता से कह दिया, "पापा, आप कौन सा कलेक्टर बन गए?" बस, यही बात धोंडीराम को इतनी चुभ गई कि उन्होंने गुस्से में आकर साधना पर हमला कर दिया. पिटाई से साधना को गंभीर चोटें आईं, खासकर सिर पर. कथित तौर पर पिटाई करने के बाद आरोपी हेडमास्टर पिता बेटी को इलाज के लिए अस्पताल ले जाने के बजाय अगली सुबह योग दिवस मनाने के लिए स्कूल चले गए. साधना के पिता स्कूल से लौटकर जब घर आए तो को बेहोश मिली. इसके बाद उसे इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया लेकिन इलाज से पहले ही उसकी मौत हो गई.
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में गहरी चोट का खुलासा
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में पता चला कि उसकी मौत कई गहरी चोटों की वजह से हुई. अटपाडी पुलिस स्टेशन के सीनियर इंस्पेक्टर विनय बहिर ने बताया, "साधना को हॉस्पिटल ले जाया गया, लेकिन वहां उसकी जान नहीं बचाई जा सकी." इसके बाद साधना की मां ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, जिसके आधार पर धोंडीराम को गिरफ्तार कर लिया गया है. पुलिस मामले की जांच कर रही है. ये घटना पूरे इलाके में सनसनी फैला रही है और लोगों में गुस्सा भी देखा जा रहा है.
बच्चों पर नंबर का इतना बोझ ठीक नहीं
सांगली की इस घटना ने सोशल मीडिया पर हंगामा मचा दिया है. कई लोग कह रहे हैं कि बच्चों पर पढ़ाई का इतना दबाव नहीं डालना चाहिए. कुछ का मानना है कि पैरेंट्स को अपने बच्चों के सपनों को समझना चाहिए, न कि सिर्फ नंबरों पर ध्यान देना चाहिए. दूसरी तरफ मुंबई की घटना पर लोग हैरान हैं.