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बीमार पत्नी को अस्पताल में भर्ती कराकर कर ली दूसरी शादी, 1 करोड़ तक पहुंचा बिल और फिर...

Kolkata News: कोलकाता से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. यहां एक पति अपनी पत्नी को अस्पताल में भर्ती कराने के बाद चला गया और अब तक 2 साल से ज्यादा हो चुके हैं. अस्पताल का बिल भी 1 करोड़ से ऊपर पहुंच गया है. 

बीमार पत्नी को अस्पताल में भर्ती कराकर कर ली दूसरी शादी, 1 करोड़ तक पहुंचा बिल और फिर...
Tahir Kamran|Updated: Apr 06, 2025, 11:39 AM IST
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Kolkata News: अगर हमारे या किसी के भी परिवार का सदस्य बीमार होगा तो हम उसे अस्पताल लेकर जाएंगे और कोई ना कोई उसकी देखभाल के लिए वहां जरूर मौजूद होगा लेकिन कोलकाता में एक एक ऐसा मामला सामने आया है कि एक महिला को उसका पति अस्पताल में ही छोड़कर भाग गया. महिला का इस अस्पताल में दो वर्षों से इलाज चल रहा है और अब तक तकरीबन 1 करोड़ रुपये का बिल भी बन चुका है. 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यह महिला आंशिक रूप से लकवाग्रस्त हो चुकी है और बोलने की ताकत भी खो चुकी है. इसके इलाज का बिल भी करीब 1 करोड़ तक पहुंच गया है. महिला को 2021 में सिर में चोट लगने के बाद अपोलो मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उसके इस इलाज के लिए कई बड़ी सर्जरी भी करनी पड़ी थी. जिनमें जान बचाने वाली न्यूरो-सर्जरी भी शामिल थी.

6 लाख की बीमा पॉलिसी

सर्जियों के बाद महिला की हालत स्थिर हो गई लेकिन वह बोल नहीं पा रही है और शरीर का निचला हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया है. सांस लेने के लिए ट्रैकियोस्टोमी की गई है और अब वह सामान्य बेड पर भर्ती हैं. महिला का इलाज दो साल तक अस्पताल में चलता रहा, लेकिन अब अस्पताल का कहना है कि उनका 1 करोड़ का बिल बकाया है. वैसे तो महिला की बीमा पॉलिसी भी है लेकिन वो सिर्फ 6 लाख तक की है, जो इलाज के शुरुआती दिनों में खर्च हो गया.

पति ने शुरू किया दूसरा परिवार

अस्पताल का कहना है कि अब वे और जिम्मेदारी नहीं उठा सकते, इसलिए अदालत में गुहार लगाई गई है. इस मामले में एम्हर्स्ट थाना पुलिस ने महिला के पति को अदालत में पेश किया, जहां उन्होंने कहा कि उनके पास अपनी पत्नी की देखभाल करने के साधन नहीं हैं. अदालत में यह भी बताया गया कि पति ने दूसरी जगह 'वैकल्पिक परिवार' शुरू कर लिया है.

अदालत ने मांगा जवाब

जस्टिस अमृता सिन्हा ने पारिवारिक मामलों में दखल देने से इनकार किया लेकिन उन्होंने राज्य के एडवोकेट जनरल को 9 अप्रैल को अदालत में उपस्थित होकर जानकारी देने को कहा कि इस तरह के मामलों में राज्य सरकार की क्या नीति है और क्या कोई समाधान निकल सकता है. राज्य के वकील ने बताया कि सरकारी शेल्टर होम मुफ्त सेवा देते हैं लेकिन वहां बीमार और अपंग मरीजों की देखभाल की कोई खास व्यवस्था नहीं है. अदालत ने महिला के पति को भी अगली सुनवाई में मौजूद रहने का आदेश दिया.

अस्पताल के एक अधिकारी ने कहा,'हमारे नर्सों को सलाम, जिन्होंने इस महिला की देखभाल परिवार की तरह की लेकिन इस महिला को अब अपने परिवार के प्यार और सहारे की जरूरत है.'

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