Jammu And Kashmir News: जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग की एक अदालत ने शुक्रवार यानी 27 जून को 70 साल की बुजुर्ग महिला से रेप के आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी. यह दिल दहला देने वाली घटना मशहूर पर्यटन स्थल पहलगाम के एक होटल के कमरे में हुई, जहां हाल ही में हुए आतंकी हमले 26 लोगों की जान चली गई थी. पीड़िता महाराष्ट्र की रहने वाली टूरिस्ट हैं. अदालत ने अपने आदेश में इस घटना को समाज की 'बीमार मानसिकता' और 'नैतिक पतन' का चिंताजनक मिसाल बताया. अदालत ने यह भी कहा कि इंसानियत को शर्मसार करने वाला यह हादसा उस महिला के लिए उसके कश्मीर दौरे की एक डरावनी याद बन गई है, जिसे वह शायद ही कभी भुला पाएगी.
आरोपी की पहचान जुबैर अहमद नाम के रूप में हुई है, जो वहीं का लोकल है. अदालत ने कहा कि ऐसे घिनौने जुर्म में किसी भी तरह की राहत नहीं दी जा सकती और आरोपी को ज़मानत देने का कोई आधार नहीं है. यह मामला न सिर्फ कानून और व्यवस्था की गंभीर चुनौती को दर्शाता है, बल्कि टूरिस्ट्स की सुरक्षा को लेकर भी कई सवाल खड़े करता है.
'जमानत नियम है, जेल अपवाद है'
सेशन जज ताहिर खुर्शीद रैना ने कहा, 'मुझे (अहमद द्वारा) दिए गए तर्क इस कोर्ट की न्यायिक अंतरात्मा को प्रभावित करने के लिए पर्याप्त नहीं लगते हैं, ताकि अभियुक्त की कैद को 'जांच के इस फेज में कानूनी रूप से अस्थिर और अनुचित' बताया जा सके.' अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के इस कथन को खारिज कर दिया कि 'जमानत नियम है, जेल अपवाद है' और तर्क दिया कि ऐसे भयावह हमले के आरोपी शख्स को रिहा करना एक गलत मिसाल कायम करेगा.
'कोर्ट जोखिम नहीं उठा सकता'
कोर्ट ने यह भी कहा कि प्रारंभिक मेडिकल और फोरेंसिक रिपोर्ट महिला के बयान का सपोर्ट करती है, और कोर्ट अहमद के भागने या सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने का जोखिम नहीं उठा सकता. जज रैना ने कहा कि इस घटना को एक अलग घटना के रूप में नहीं देखा जा सकता. अपने सख्त फैसले में उन्होंने रेप को 'समाज में सबसे ज्यादा भ्रष्टता और बीमार मानसिकता का प्रतिबिंब' करार दिया और सोशल वैल्यूज और रीति-रिवाजों के 'गंभीर आत्मनिरीक्षण' की मांग की.
जज रैना की चेतावनी
अदालत ने दुख जताते हुए कहा, 'एक सम्मानित मेहमान, एक वरिष्ठ महिला, जो संतों और ऋषियों की इस भूमि पर आई थीं. उनके साथ इतना बुरा और चौंकाने वाला व्यवहार किया गया कि, आने वाले वक्त में उन्हें अपने बच्चों के साथ बुढ़ापे के दिन बिताने के लिए स्थान के चयन पर हमेशा पछतावा रहेगा.' जज ताहिर खुर्शीद रैना ने आगे चेतावनी देते हुए कहा, 'केवल घास के मैदान, पहाड़, हरे-भरे खेत, जंगल, झरने, नदियां, छोटी नदियां और उद्यान कश्मीर को एक वांछित पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने में सहायक नहीं होंगे.'
आरोपी ने अदालत में दिया ये तर्क
वहीं, इससे पहले आरोपी अहमद ने तर्क दिया था कि पुलिस ने उसे झूठा फंसाया है. उन्होंने यह भी तर्क दिया कि पीड़िता ने रेपिस्ट के रूप में उनकी कोई औपचारिक पहचान नहीं की है और उन्होंने अधिकारियों के साथ सहयोग किया है तथा आगे भी करते रहेंगे.
कब हुई थी ये घटना
पुलिस के मुताबिक 11 अप्रैल को हुए इस रेप में महिला को गंभीर चोटें आईं. अहमद ने कथित तौर पर उसके होटल के कमरे में घुसकर उसे कंबल से दबा दिया और भागने से पहले उसके साथ रेप किया.