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कार में मिली उस बारीक चीज से कैसे पकड़े गए कातिल, शव के टुकड़े नदी में बहा दिए थे

Kerala Murder: एक बिजनसमैन ने अपने घर के ही एक कमरे में वैद्य को बंधक बनाकर रखा. एक साल बाद उसकी हत्या कर दी. टुकड़े किए फिर नदीं में बहा दिया. घरवालों को खबर नहीं. शव भी नहीं मिला फिर भी तीन लोगों को अदालत ने कैसे दोषी ठहराया?

कार में मिली उस बारीक चीज से कैसे पकड़े गए कातिल, शव के टुकड़े नदी में बहा दिए थे
Anurag Mishra|Updated: Mar 21, 2025, 03:02 PM IST
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आप उन्हें वैद्य मान सकते हैं. वह पारंपरिक तरीके से बवासीर ठीक करते थे. एक बिजनसमैन ने उनके जादुई फॉर्मूले को छीनकर पैसे कमाने की साजिश बुनी. आगे जो हुआ, पढ़कर आप हिल जाएंगे. शबा शरीफ का शव भी नहीं मिला. महीनों फिर साल बीत गए. अगस्त 2019 में उन्हें अगवा किया गया था. 14 महीने घर में बंधक बनाकर यातना दी गई. बाद में शरीफ की हत्या कर शव के कई टुकड़े किए गए और नदी में फेंक दिया गया. शव मिला नहीं तो मामला ठंडा होता जा रहा था. परिवार ने गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखवाई थी. तीन साल बाद फिर एक दिन पुलिस के पास चोरी की शिकायत दर्ज हुई और परतें खुलनी शुरू हो गईं.

गाड़ी में बाल

ये कहानी है मैसूर के वैद्य शबा शरीफ (60) की. मंजेरी की अतिरिक्त सत्र अदालत ने एक दिन पहले ही इस सनसनीखेज मामले में तीन लोगों को गैर इरादतन हत्या का दोषी ठहराया. गौर करने वाली बात यह है कि पीड़ित का शव नहीं मिला लेकिन जांच में उनके शरीर के अंगों को ले जाने वाली जिस गाड़ी का इस्तेमाल किया गया था उसमें कुछ बाल मिल गए.

हां, उन बालों का डीएनए मिलान किया गया तो वह सबूत मजबूत बन गया. न्यायाधीश एम. तुषार ने पहले आरोपी मुक्कता के बिजनसमैन शैबिन अशरफ (37), दूसरे आरोपी और शैबिन के मैनेजर शिहाबुद्दीन (39) और छठे आरोपी शैबिन के ड्राइवर एन. निषाद (32) को 2020 में मैसूर के एक पारंपरिक चिकित्सक की हत्या के मामले में दोषी ठहराया. यह केस केरल के दुर्लभ मामलों में से एक है जिसमें पीड़ित का शव मिले बिना ही गैर इरादतन हत्या का दोष सिद्ध हो गया. शुरू में पुलिस ने 15 लोगों को आरोपी बनाया था.

आरोप और सजा

TOI की रिपोर्ट के मुताबिक आरोपियों को आईपीसी की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या), साजिश (120 बी), 365 (अपहरण), 347 (बंधक बनाना) और 201 (सबूतों को नष्ट करना) के तहत दोषी ठहराया गया. अभियोजन पक्ष ने आईपीसी की धारा 302 (हत्या) के तहत दोषसिद्धि की मांग की थी, लेकिन शव या पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट न होने से पेच फंस गया. अदालत शनिवार को सजा सुनाएगी.

क्राइम की क्रोनोलॉजी

अभियोजन पक्ष ने घटना की पूरी क्रोनोलॉजी समझाई. शैबिन और दूसरे आरोपियों ने 1 अगस्त 2019 को शबा का अपहरण कर लिया और उन्हें घर में 14 महीने तक बंदी बनाकर रखा. इस दौरान उन्हें काफी प्रताड़ित किया गया. बताया गया कि वे कथित तौर पर 'ओट्टामुली' (एक लोक उपचार) का गुप्त फॉर्मूला चाहते थे, जिससे वह बवासीर का इलाज करते थे. बिजनसमैन उस दवा से पैसे कमाना चाहता था इसीलिए उसने शबा को केरल आने के लिए राजी किया था. वैद्य ने मना किया तो उन्हें घर के एक कमरे में बंद कर दिया गया.

अप्रैल 2022 में शैबिन ने अपने शिहाबुद्दीन, नौशाद और निशाद के खिलाफ चोरी की रिपोर्ट दर्ज कराई. उनके बीच में मतभेद हो गए थे. 7 लाख कैश और लैपटॉप चोरी का आरोप लगाया गया था. पुलिस ने गिरफ्तारी शुरू की तो इस मामले का पता चला.

अभियोजकों ने खुशी जताई है कि अदालत ने स्पष्ट संदेश दिया है कि अपराधी भले ही सबूत नष्ट कर दें लेकिन वे बच नहीं पाएंगे.

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