RG Kar rape murder case: कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में नाइट ड्यूटी पर तैनात जूनियर लेडी डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के मामले में आरोपी संजय रॉय को अदालत ने दोषी करार दिया है. इस जघन्य अपराध के बाद न सिर्फ कोलकाता में महीनों प्रदर्शन हुआ और वो आक्रोश पूरे देशभर में फैल गया था. इस मामले की सुनवाई कर रही सियालदह कोर्ट के अतिरिक्त जिला एवं सत्र जस्टिस अनिर्बान दास ने सजा पर फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा, कि वह सोमवार को सजा सुनाएंगे.
'अभया' और 'तिलोत्तमा'... 5 महीने, 9 दिन में हुआ इंसाफ
यह फैसला पिछले साल नवंबर में बंद कमरे में शुरू हुई सुनवाई के लगभग दो महीने बाद और नौ अगस्त 2024 को घटित इस जघन्य अपराध के 162 दिन बाद सुनाया गया. आरोपी संजय रॉय को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 64, 66 और 103(1) के तहत बलात्कार और हत्या का दोषी पाया गया. BNS 103(1) के तहत कम से कम आजीवन कारावास और अधिकतम फांसी की सजा के प्रावधान हैं.
जस्टिस ने कहा कि रॉय को ट्रेनी डॉक्टर का यौन उत्पीड़न करने और उसकी गला घोंटकर हत्या करने का दोषी पाया गया है. सीबीआई (CBI) ने उसके खिलाफ सभी आरोप साबित कर दिए हैं. दास ने कहा, 'रॉय का बयान सोमवार दोपहर 12:30 बजे सुनाने के बाद सजा सुनाई जाएगी'.
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रॉय का दावा मैं बेकसूर.... मैं रेप और मर्डर करता तो मेरा रुद्राक्ष का माला टूट जाता
दोषसिद्धि का फैसला सुनाये जाने के वक्त रॉय ने अदालत के समक्ष दावा किया कि उसे फंसाया गया है. रॉय ने अपने बचाव में कहा, ‘मैं रुद्राक्ष की माला पहनता हूं और अगर मैंने अपराध किया होता तो वह टूट जाती.’ फैसले के बाद रॉय को कड़ी निगरानी में कोर्ट रूम से प्रेसीडेंसी सुधार गृह ले जाया गया जहां पुलिस ने मौजूद मीडियाकर्मियों को दोषी से किसी भी तरह की बातचीत करने से रोक दिया.
परिजनों ने जताया न्यायापालिका का आभार
मृतका के माता-पिता ने आरोपी को दोषी करार दिए जाने के लिए जस्टिस को धन्यवाद दिया. सीबीआई ने अपने आरोप-पत्र में कोलकाता पुलिस के एक नागरिक स्वयंसेवक रॉय को राज्य-संचालित अस्पताल में स्नातकोत्तर प्रशिक्षु के साथ जघन्य बलात्कार और हत्या करने का मुख्य और एकमात्र संदिग्ध बताया था. मामले की शुरुआत में जांच कर रही कोलकाता पुलिस ने 10 अगस्त को रॉय को गिरफ्तार किया. इससे एक दिन पहले ही चिकित्सक का शव अस्पताल के सेमिनार रूम से बरामद किया गया था. बाद में कलकत्ता उच्च न्यायालय ने मामले को सीबीआई को सौंप दिया था. जांच एजेंसी ने आरोपी के लिए मृत्युदंड की मांग की थी. प्रशिक्षु चिकित्सक के साथ बलात्कार और हत्या के मामले में 12 नवंबर को बंद कमरे में सुनवाई शुरू हुई और 50 गवाहों से पूछताछ की गई. सुनवाई नौ जनवरी को समाप्त हुई.
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इस अपराध के कारण देश भर में आक्रोश फैल गया और कोलकाता में कनिष्ठ चिकित्सकों ने पीड़िता के लिए न्याय और राज्य सरकार द्वारा संचालित अस्पतालों में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की मांग करते हुए लंबे समय तक प्रदर्शन का दौर चला था.
कोलकाता और कुछ अन्य शहरों में नागरिक समाज संगठनों के सदस्यों ने भी इस भयावह घटना के खिलाफ प्रदर्शन किया और मृतका के प्रति न्याय की मांग करते हुए आधी रात को रैलियां निकालीं, जिन्हें 'रिक्लेम द नाइट' कहा गया.
मृतका को लोगों के एक वर्ग ने 'अभया' और 'तिलोत्तमा' नाम दिया था. इससे राजनीतिक विवाद भी शुरू हो गया था, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) जैसे विपक्षी दलों ने कानून-व्यवस्था की स्थिति को लेकर ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली सरकार पर हमला किया था. (इनपुट: भाषा)