Kolkata ED: प्रवर्तन निदेशालय (ED) की कोलकाता ज़ोनल टीम ने एक फर्जीवाड़ा और जबरन वसूली के मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए 2 जुलाई 2025 को कोलकाता और बर्द्धमान के कई ठिकानों पर छापेमारी की. इस मामले में गिरोह का मास्टरमाइंड एस. के. जिन्नार अली को गिरफ्तार कर लिया गया है, जिसे कोर्ट ने 16 जुलाई तक ईडी की हिरासत में भेजा है. ईडी ने यह जांच बिधाननगर साउथ पुलिस स्टेशन में दर्ज एक एफआईआर के आधार पर शुरू की थी. जांच में सामने आया कि आरोपी खुद को ईडी का अधिकारी बताकर कारोबारियों से करोड़ों रुपये ठग रहे थे.
जो फंसा वो बच नहीं सकता था
इनका तरीका काफी शातिर था. पहले ये आरोपी किसी कारोबारी को फोन करते और खुद को ईडी अधिकारी बताकर जांच की धमकी देते. इसके बाद उन्हें बिधाननगर पुलिस कमिश्नर ऑफिस बुलाया जाता, ताकि लगे कि जांच असली है. गिरोह के सदस्य एक टोयोटा फॉर्च्यूनर गाड़ी में आते थे जिस पर ईडी का लोगो लगा होता था, ताकि डर और भरोसा दोनों पैदा किया जा सके. कारोबारी को यह डर दिखाया जाता था कि अगर पैसे नहीं दिए तो उसके ठिकानों पर रेड पड़ जाएगी, संपत्ति जब्त हो जाएगी और उसे जेल भी हो सकती है. इसी डर से एक कारोबारी ने करीब ₹1.30 करोड़ नकद और ₹20 लाख आरोपी के बैंक खाते में ट्रांसफर कर दिए.
करोड़ों की ठगी का खुलासा-संपत्ति सीज
जांच में यह भी पता चला कि एस. के. जिन्नार अली ने खुद को सरकारी जांचों में मदद का झांसा देकर कई और लोगों से भी पैसे ऐंठे हैं. एक अन्य मामले में उसने एक पीड़ित से ₹1.5 करोड़ की ठगी की. ईडी की छापेमारी में आरोपी और उसकी पत्नी के नाम पर दर्ज दो गाड़ियां, जिनमें से एक होंडा अमेज़ और दूसरी ह्यूंडई ऑरा जब्त की गई. वहीं इसके अलावा उनके बैंक खातों और एक कंपनी स्पार्कलिंक मैनेजमेंट सर्विस प्राइवेट लिमिटेड के खाते में जमा ₹45.89 लाख रुपये को फ्रीज किया गया है.
फर्जी दस्तावेज बरामद
तलाशी के दौरान ईडी ने कई फर्जी दस्तावेज, लैपटॉप, मोबाइल, और डिजिटल सबूत भी जब्त किए हैं. इनमें ईडी और अन्य सरकारी विभागों के फर्जी लेटरहेड, नकली सील और दस्तखत शामिल हैं. आरोपी के घर से भारत सरकार लिखी हुई कई फर्जी लैनयार्ड (गले में पहनने वाले पहचान पत्र) और एक नकली मंत्रालय पत्र भी मिला, जिस पर गृह मंत्रालय, भारत सरकार और आरोपी का नाम डॉ. एस. के. जिन्नार अली लिखा था.
मामले की जांच जारी
जिन्नार अली खुद को नेशनल एंटी-ट्रैफिकिंग कमेटी (NATC) का चेयरमैन बताता था और उसकी वेबसाइट https://natcgov.in एकदम सरकारी वेबसाइट जैसी बनाई गई थी ताकि लोग इसे असली सरकारी संस्था समझकर जाल में फंसे. इस वेबसाइट पर दावा किया गया है कि संस्था 1962 में बनी थी जो नीति आयोग में रजिस्टर्ड है, जबकि इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं है. ED ने जनता को चेतावनी दी है कि ऐसे फर्जी अफसरों और वेबसाइटों से सावधान रहें. ईडी ने अपने बयान में कहा है कि कोई भी समन आधिकारिक वेबसाइट https://enforcementdirectorate.gov.in के VERIFY YOUR SUMMONS सेक्शन में जाकर जांचा जा सकता है. फिलहाल इस पूरे मामले की जांच जारी है.