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मेरे रिटायरमेंट का इंतजार कौन कर रहा था? सुप्रीम कोर्ट में क्रिकेट मैच फिक्सिंग की सुनवाई के दौरान जज साहब की सख्त टिप्पणी

 सुप्रीम कोर्ट ने 2019 के T20 कर्नाटक प्रीमियर लीग (KPL) सट्टेबाजी प्रकरण की तह तक जांच किये जाने की जरूरत बताते हुए मंगलवार को कहा कि क्रिकेट ‘मैच फिक्सिंग’ का देश की अर्थव्यवस्था पर गंभीर वित्तीय प्रभाव पड़ता है.

मेरे रिटायरमेंट का इंतजार कौन कर रहा था? सुप्रीम कोर्ट में क्रिकेट मैच फिक्सिंग की सुनवाई के दौरान जज साहब की सख्त टिप्पणी
Shwetank Ratnamber|Updated: Apr 23, 2025, 12:42 AM IST
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Supreme Court on Cricket Match Fixing : सुप्रीम कोर्ट ने 2019 के T20 कर्नाटक प्रीमियर लीग (KPL) सट्टेबाजी प्रकरण की तह तक जांच किये जाने की जरूरत बताते हुए मंगलवार को कहा कि क्रिकेट ‘मैच फिक्सिंग’ का देश की अर्थव्यवस्था पर गंभीर वित्तीय प्रभाव पड़ता है. न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने उच्च न्यायालय के 10 जनवरी 2022 के आदेश के खिलाफ कर्नाटक पुलिस द्वारा दायर याचिका में सहायता के लिए अधिवक्ता शिवम सिंह को न्याय मित्र नियुक्त किया.

मेरी सेवानिवृत्ति का इंतजार कौन कर रहा था: जस्टिस कांत

बेंच ने कहा, ‘हम इस मुद्दे की तह तक जांच करने को इच्छुक हैं. इसका (मैच फिक्सिंग) अर्थव्यवस्था पर बहुत गंभीर प्रभाव पड़ता है. आज हम ऐसा कुछ भी नहीं कहना चाहते जिससे लगे कि हम इस मुद्दे पर पहले से ही अपनी राय बना रहे हैं. लेकिन इस तरह की सट्टेबाजी का अर्थव्यवस्था पर बहुत गंभीर वित्तीय प्रभाव पड़ता है.’

जस्टिस कांत ने इस तथ्य पर गौर किया कि कर्नाटक सरकार की अपील 2022 में दायर की गई थी और अब तीन साल बाद अदालत के समक्ष सुनवाई के लिए आई है. न्यायाधीश ने कहा, ‘यह मामला कहां गायब हो गया था? 3 साल तक इसे सूचीबद्ध नहीं किया गया. हमें बताएं कि मेरी सेवानिवृत्ति का इंतजार कौन कर रहा था.’

इसके बाद, अदालत ने निर्देश दिया कि मामले को चार सप्ताह के बाद मामला सूची से नहीं हटाया जाए और मामले को सूचीबद्ध न करने के लिए रजिस्ट्री से स्पष्टीकरण मांगा.

केंद्र की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज ने कहा कि ‘मैच फिक्सिंग’ खेल समुदाय के लिए हानिकारक है. बेंच ने अधिवक्ता सिंह से कहा कि वो कोर्ट की सहायता करें क्योंकि वह खेल कानून में अच्छे हैं और उन्होंने इस विषय पर किताब भी लिखी है.

जज साहब ने याद दिलाया वाकया

जस्टिस कांत ने कहा, ‘आप इस मामले में हमारी सहायता कर सकते हैं. यह भारतीय दंड संहिता की धारा 419 या 420 या इससे कुछ अधिक है. राज्य सरकार का अपना दृष्टिकोण होगा, लेकिन हम एक तटस्थ व्यक्ति चाहते हैं, जैसे खेलों में अंपायर होते हैं.’

न्यायाधीश ने जमानत के एक मामले को याद किया, जिसमें एक व्यक्ति को सट्टेबाजी के लिए लालच दिया गया और उसने अपना सब कुछ खो दिया. न्यायाधीश ने कहा, ‘‘वह वस्तुतः कंगाल हो गया और जेल के अंदर है. पूरा परिवार अब संकट में है. वे एक अच्छी जिंदगी जी रहे थे और अब पूरी तरह से बर्बाद हो गए हैं.’’ न्यायालय ने ‘‘परिणामों और निहितार्थों’’ को रेखांकित करते हुए न्याय मित्र नियुक्त किया और आदेश दिया, ‘रजिस्ट्री को निर्देश दिया जाता है कि वह उन्हें संपूर्ण रिकॉर्ड और भारत सरकार द्वारा दाखिल जवाबी हलफनामा उपलब्ध कराए.’

सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया था नोटिस

शीर्ष अदालत ने 30 सितंबर 2022 को मामले पर नोटिस जारी किया था. दस जनवरी 2022 को, उच्च न्यायालय ने कहा था कि कर्नाटक प्रीमियर लीग (केपीएल) टी20 टूर्नामेंट में क्रिकेट खिलाड़ियों और टीम प्रबंधन से जुड़े भ्रष्टाचार की जांच के दौरान 2019 में बेंगलुरु पुलिस की अपराध शाखा द्वारा उजागर किये गए ‘मैच फिक्सिंग’ के मामले धोखाधड़ी के नहीं थे. न्यायालय ने मामले में तीन खिलाड़ियों और केपीएल के एक टीम अधिकारी के खिलाफ दाखिल आरोपपत्र को खारिज कर दिया था. कर्नाटक क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सी एम गौतम, दो खिलाड़ियों अबरार काजी और अमित मावी तथा बेलगावी पैंथर्स टीम के मालिक असफाक अली थारा सहित कई आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया था. (भाषा)

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