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जब मौत से हुआ था मनोज बाजपेयी का आमना-सामना, मानव कौल की वजह से मरते-मरते बचे थे एक्टर; बोले- 'आज भी..'

Manoj Bajpayee: हिंदी सिनेमा के शानदार अभिनेताओं में से एक मनोज बाजपेयी ने हाल ही में अपने एक इंटरव्यू में उस समय को याद किया जब वो मानव कौल की वजह से मरते-मरते बचे थे. उन्होंने बताया कैसे शूटिंग के सेट पर मौज-मस्ती करने की कोशिश में अनजाने में सभी की जान खतरे में आ गई थी. 

Manoj Bajpayee Recalls Near-Death Experience
Manoj Bajpayee Recalls Near-Death Experience
Vandana Saini|Updated: Dec 19, 2024, 07:42 AM IST
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Manoj Bajpayee Recalls Near-Death Experience: जब भी हिंदी सिनेमा के बेहतरीन कलाकारों की बात होती है, तो उसमें मनोज बाजपेयी का नाम जरूर आता है. जिन्होंने 30 साल पहले 1994 में 'बैंडिट क्वीन' फिल्म से अपने करियर की शुरुआत की थी और आज वो 100 से ज्यादा फिल्मों में काम कर चुके हैं. उनकी फिल्मों के साथ-साथ फैंस उनके अभिनय के भी दीवाने हैं. उन्होंने अपने करियर में हर तरह के किरदार निभाए हैं, जिनको दर्शकों और क्रिटिक्स ने खूब सराहा. 

हाल ही में उन्होंने एक ऐसा किस्सा सुनाया, जिसने उनके फैंस के बीच रोगंटे खड़े कर दिए. मनोज ने अपने हालिया इंटरव्यू में उस समय को याद किया जब उनकी फिल्म '1971' की शूटिंग के दौरान उनकी जान पर बन आई थी और वो बाल-बाल चले थे. उन्होंने बताया कि मानव कौल ने मस्ती के चक्कर में सभी की जान खतरे में डाल दी थी. इसके अलावा, उन्होंने एक और वाकया साझा किया जब शूटिंग में मग्न होने के कारण उन्हें ठंड से फ्रॉस्टबाइट हो गया था. 

मस्तीखोर स्वभाव के थे मानव कौल 

जिसके बाद एक पूर्व सेना के जवान ने समय रहते उनके पैर की मालिश कर उन्हें ठीक किया था. हाल ही में एक मीडिया पोर्टल से बाद करते हुए मनोज ने बताया, 'फिल्म '1971' की शूटिंग के दौरान 2-3 बार जान पर बन आई थी. सबसे डरावना हादसा तब हुआ, जब हम सभी- रवि किशन, मैं, मानव कौल, कुमुद मिश्रा और दीपक डोबरियाल एक जीप में बैठे थे. सीन में जीप को पहाड़ी से उतरते हुए कैमरे के पास आना था, जबकि दाईं तरफ गहरी खाई थी. मानव उस वक्त मस्तीखोर स्वभाव के थे और मुझे चिढ़ाने में मजा लेते थे'.

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जान पर बन आई थी मस्ती 

उन्होंने आगे कहा, 'मैंने मानव को समझाया कि रास्ता खतरनाक है, सावधानी से गाड़ी चलाएं. लेकिन उन्होंने मेरी बात मजाक में ले ली. मजाक करते-करते उन्होंने जीप का कंट्रोल खो दिया. गाड़ी खाई की तरफ बढ़ने लगी और हमें लगा कि हमारी जान चली जाएगी. मानव भी डर के मारे सहम गए थे. तभी एक बड़े पत्थर ने जीप को रोक लिया. मैंने सबको जीप में शांत रहने को कहा. फिर टीम ने हमें एक-एक कर सावधानी से बाहर निकाला. वो हादसा वाकई जानलेवा था'. 

आज भी करते हैं उससे किस्से को याद

जब उनसे पूछा गया कि वो मानव से अब मिलते हैं तो क्या कहते हैं? मनोज ने हंसते हुए कहा, 'जब भी मिलते हैं, बस गालियां देता हूं!'. बता दें, '1971' अमृत सागर द्वारा निर्देशित और अमृत सागर व पीयूष मिश्रा द्वारा लिखी गई फिल्म है. ये 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान पाकिस्तान में बंद भारतीय युद्धबंदियों की सच्ची कहानी पर आधारित है. फिल्म में छह सैनिकों की बहादुरी और उनके भागने की कोशिश को दिखाया गया है. इस फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर भी खूब पसंद किया गया था. 

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