Kangana Ranaut: हिमाचल प्रदेश की मंडी सीट से सांसद कंगना रनौत इन दिनों किन हालात से गुजर रही हैं, ये भी हम आपको बताते हैं. लेकिन सबसे पहले आपको ये समझना चाहिए कि एक सांसद के परम कर्तव्य यानी समाज सेवा पर कंगना के क्या विचार हैं. एक पॉडकास्ट में कंगना रनौत ने कहा है कि उन्हें राजनीति में मजा नहीं आ रहा.
कंगना रनौत को राजनीति में नहीं आ रहा मजा
कंगना ने राजनीति को एक अलग किस्म का काम बताया और कहा कि राजनीति में समाजसेवा एक ऐसा क्षेत्र है, जिससे वो पहले कभी नहीं जुड़ी रहीं. यानी राजनीति में कंगना रनौत को मजा नहीं आ रहा. सांसद बन जाने के बाद भी उन्हें मजा नहीं आ रहा. जनता की समस्याओं को सुनने में भी उन्हें मजा नहीं आ रहा. यहां मजा का मतलब अपनी जिम्मेदारी का आनंद लेना है. उन्हें लगता है कि नाली या सड़क बनवाने जैसी जनता की मांग उनसे नहीं जुड़ी है.
हम कंगना रनौत से ये पूछना चाहते हैं कि जब उन्हें जनसेवा में मजा आ ही नहीं रहा था तो फिर वो सांसद क्यों बनीं? क्या कंगना को लग रहा था कि जनप्रतिनिधि होना किसी फिल्म की शूटिंग जैसा है, जहां वो अपनी मर्जी की कहानी तैयार कर लेंगी? अपनी ही मर्जी के हिसाब से सीन भी शूट कर लेंगी? अगर ये जनसेवा उनके मिजाज या मजे के मुताबिक की चीज नहीं थी तो फिर कंगना ने मंडी की जनता के कीमती वोट को क्यों बर्बाद किया? सवाल सिर्फ हम ही नहीं बल्कि कंगना के संसदीय क्षेत्र मंडी के वो लोग भी पूछ रहे हैं, जिन्होंने हालिया मॉनसून में कुदरत के रौद्र रूप का सामना किया है. जनता के सवाल सुनने से पहले आपको मंडी में हुए नुकसान की पूरी जानकारी देखनी चाहिए.
मंडी में बारिश से बुरा हाल
मंडी में भारी बारिश की वजह से 138 रास्ते बाधित हो चुके हैं. जिले में बिजली और पानी की सप्लाई बुरी तरह प्रभावित हुई है. बादल फटने और बाढ़ की वजह से सबसे ज्यादा लोगों की मौत भी मंडी में ही हुई है और बाढ़ में लापता हुए लोगों की तलाश अब तक जारी है. प्राकृतिक आपदा के बाद कंगना रनौत को अपने संसदीय क्षेत्र की याद आई. वो मंडी गईं, लेकिन जनता को मुश्किल वक्त में भी कंगना की ये लेट लतीफी बर्दाश्त नहीं हुई.
मतदाताओं का दुख-दर्द समझने में क्यों लगा इतना वक्त
अपने ही मतदाताओं का दुख-दर्द साझा करने में कंगना को इतना वक्त क्यों लगा? इसका जवाब कंगना रनौत ही दे सकती हैं. लेकिन जब मीडिया ने जनता की नाराजगी से जुड़ा सवाल पूछा तो कंगना के जवाब में कथित मजा नहीं बल्कि मजबूरी सुनाई दी. आपको भी गौर से सुनना चाहिए. कंगना रनौत की जनसेवा को कौन सी मजबूरी रोक रही है?
कंगना रनौत को सांसद बने हुए एक साल का वक्त बीत चुका है. लेकिन अफसोस है कि वो एक साल में ये नहीं समझ पाईं कि जनसेवा के लिए किसी मंत्रालय की जरूरत नहीं. जिस संसद में जनता ने उन्हें चुनकर भेजा है, उसी संसद के मंच और सांसद फंड से भी वो जनता की सेवा कर सकती हैं.
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