Kishore Kumar National Film Award: बॉलीवुड में 30 साल से ज्यादा समय बिता चुके शाहरुख खान और रानी मुखर्जी को हाल ही में पहली बार 71वें नेशनल फिल्म अवॉर्ड में सम्मानित किया गया. हालांकि, ये काफी हैरानी की बात है क्योंकि उन्होंने अपने करियर के दौरान ऐसी कई फिल्में दी हैं, जिसके लिए उनको पहले भी ये सम्मान दिया जा सकता था, लेकिन क्या आप जानते हैं कि हिंदी सिनेमा में कई ऐसा कलाकार रहे हैं, जिनको ये अवॉर्ड कभी मिला ही नहीं.
जी हां, इस लिस्ट में किशोर कुमार, राजेश खन्ना, देव आनंद और मधुबाला जैसे दिग्गज कलाकारों के नाम शामिल हैं, जिनको कभी नेशनल अवॉर्ड नहीं मिला. इतना ही नहीं, आपको ये जानकर भी हैरानी होगी कि कि किशोर कुमार को एक बार नेशनल अवॉर्ड पाने के लिए घूस देने तक को कहा गया था. इस बात का खुलासा किशोर कुमार के बेटे अमित कुमार ने एक पुराने इंटरव्यू में किया था, जो काफी हैरानी की बात है.
फिल्म को मिलने वाला था नेशनल अवॉर्ड
उन्होंने बताया था कि उनके पिता की फिल्म ‘दूर गगन की छांव में’ को नेशनल अवॉर्ड मिलने वाला था. इस फिल्म में किशोर कुमार ने एक गंभीर किरदार निभाया था और उनके बेटे अमित कुमार ने भी इसमें काम किया था. फिल्म को खूब पसंद किया गया और ये बॉक्स ऑफिस पर हिट भी रही. लेकिन अवॉर्ड मिलने की राह में एक मुश्किल आ गई. अमित कुमार ने बताया कि दिल्ली से मंत्रालय में किसी शख्स का फोन आया था.
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रिश्वत के लिए आया था फोन
उन्होंने बताया कि उस समय ‘हकीकत’, ‘दोस्ती’ और ‘दूर गगन की छांव में’ जैसी फिल्में अवॉर्ड की रेस में थीं. फोन करने वाले ने कहा था कि अगर किशोर कुमार कुछ देते हैं तो उन्हें नॉमिनेट किया जा सकता है. इस पर किशोर कुमार ने गुस्से में कहा, 'मेरी फिल्म तो हिट है, फिर क्यों पीछे पड़े हो?'. अमित कुमार के मुताबिक, फिल्म मुंबई के सुपर सिनेमा में 23 हफ्तों तक चली थी और दिल्ली-यूपी में सिल्वर जुबली घोषित हुई थी.
हॉलीवुड फिल्म का था हिंदी रीमेक
इसके बाद किशोर कुमार ने इसके राइट्स एक तमिल फिल्ममेकर को बेच दिए. तमिल में इसका रीमेक ‘रामु’ नाम से बना और मजे की बात ये है कि उसी फिल्म को नेशनल अवॉर्ड मिल गया. ये बात कई लोगों को आज भी चौंका देती है. 'दूर गगन की छांव' में अमेरिकी फिल्म The Proud Rebel पर आधारित थी. इसकी लोकप्रियता इतनी थी कि इसे तेलुगु, तमिल और मलयालम में भी बनाया गया.
41 साल में कभी नहीं मिला नेशनल अवॉर्ड
फिल्म में एक पिता और बेटे की इमोशनल कहानी दिखाई गई थी, जिसे दर्शकों ने खूब सराहा. लेकिन ये अफसोस की बात है कि इतनी अच्छी फिल्म को नेशनल अवॉर्ड नहीं मिल पाया. बता दें, किशोर कुमार का निधन 13 अक्टूबर, 1987 को हुआ था. उन्होंने भारतीय सिनेमा को कई यादगार फिल्में, गाने और परफॉर्मेंस दीं. चाहे ‘चलती का नाम गाड़ी’, ‘पड़ोसन’ या ‘हाफ टिकट’ हो, उनकी अदाकारी और गायकी आज भी लोगों के दिलों में बसी है.
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