वो दौर राजेश खन्ना, जीतेंद्र और धर्मेंद्र जैसे एक्टर्स का था. लोग इनकी हर फिल्म और हर किरदार को पसंद करते थे. उस समय खूंखार सा दिखने वाला, चेहरे पर एक कट का निशान और मूंछ पर ताव देता हुआ! विलेन ने एंट्री मारी, जिसने स्क्रीन पर आग लगा दी थी. ये कोई और नहीं बल्कि लोगों के चहेते एक्टर विनोद खन्ना थे. उन्होंने बतौर विलेन एंट्री मारी थी. एक समय तो ऐसा भी आया था कि वह संन्यासी बन गए थे. चलिए 6 अक्टूबर को विनोद खन्ना की जयंती पर उनकी जिंदगी से रूबरू करवाते हैं.
विनोद खन्ना का परिवार बिजनेस वाला था. मगर वह थे कि उन्हें एक्टर बनने की ललक थी. वह हैंडसम इतने थे कि एक्टर भी कहते थे ऐसे हिट-हैंडसम-फिट गुंडे से आखिर कोई हीरो कैसे पंगा लेगा. 1971 का साल खास था. विनोद खन्ना की दो फिल्में आईं और लोगों के दिलोदिमाग पर छा गई. गुलजार की 'मेरे अपने' के श्याम और राज खोसला की 'मेरा गांव मेरा देश' के जब्बार सिंह ने बॉलीवुड को बता दिया कि ये खलनायक एक बड़ा नायक है और इसमें अपने बूते राज करने का माद्दा भी है.
एक पुराना इंटरव्यू है जिसमें विनोद कहते हैं उनकी तुलना जब अमिताभ से होती थी तो भला वो खुद कैसे किसी और को अपना कॉम्पटीटर मानते? उन्होंने बिग बी यानी अमिताभ के साथ10 फिल्में की. दोनों में एक समानता भी थी कि दोनों ही गजब के एक्शन हीरो लगते थे.
अमिताभ और विनोद खन्ना को साथ में कौन लाया
अमिताभ और विनोद दोनों को पर्दे पर एक ही शख्स लेकर आए थे और वो थे सुनील दत्त. बच्चन ने 'रेशमा और शेरा' से एंट्री की तो खन्ना की पहली फिल्म बतौर विलेन थी 'मन का मीत'. दोनों एक्टर्स पहली बार 'रेशमा और शेरा' में साथ दिखे तो आखिरी बार 'मुकद्दर का सिकंदर' में नजर आए. 1978 में साथ काम करने के बाद दोनों की राह जुदा हो गई और इसकी वजह थे विनोद खन्ना की ठुड्डी पर लगे 16 टांके!
केबीसी के चौदहवें सीजन में अमिताभ बच्चन ने भी इस पर बात की थी. उन्होंने बताया था कि कांच की गिलास का निशाना चूक गया और विनोद की ठुड्डी पर जा लगा था. वह लहूलुहान हो गए और 16 टांके भी लगे. हालांकि बच्चन ने माफी भी मांग ली थी. लेकिन कहते हैं कि विनोद इतना नाराज हुए कि इसके बाद अमिताभ-विनोद की सफल जोड़ी कभी पर्दे पर दिखी ही नहीं.
वो 'कुर्बानी' जिसका अमिताभ को काफी पछतावा हुआ
एक फिल्म ने विनोद खन्ना को सबसे बड़ा स्टार बना दिया था. ये वो फिल्म थी जिसकी 'कुर्बानी' का अमिताभ को काफी पछतावा हुआ. फिल्म थी 1980 में रिलीज हुई 'कुर्बानी'. फिरोज खान और विनोद खन्ना की जबरदस्त फिल्म. गाने से लेकर एक्नश सीक्वेंस तक सब बेजोड़. 2.5 करोड़ में बनी लेकिन बॉक्स ऑफिस पर 25 करोड़ कमाए. इस एक फिल्म ने अमिताभ के सुपरस्टारडम को तगड़ी चुनौती दी.
बन गए थे संन्यासी
मगर विनोद खन्ना ने सबको हैरान तब कर दिया था जब उन्होंने संन्यास का रास्ता चुन लिया. ओशो को गुरु माना और सब कुछ छोड़ छाड़कर अमेरिका के रजनीशपुरम में जा बसे. वहां माली का काम किया, बर्तन धोए. पांच साल रहे लेकिन फिर मन विचलित होने लगाय करियर पर विराम लगा चुका था और दूसरी ओर भारत में परिवार बिखर चुका था. पत्नी ने तलाक ले लिया था.
विनोद खन्ना की दूसरी शादी
एक इंटरव्यू में एक्टर ने कहा था कि वो मन से विवश थे, फैसला सही था या नहीं इस बारे में कुछ नहीं कह सकते। खैर जब लौटे तो फिल्मों में भी रमे और दूसरी शादी भी की. 90 का दशक कई नए एक्टर्स का बांहें फैला स्वागत कर रहा था. इस दौर में ही विनोद ने बंटवारा, सीआईडी, जुर्म, क्षत्रिय जैसी फिल्में की.
राजनीति में विनोद खन्ना
साल1997 में एक्टिव पॉलिटिक्स में कदम रखा. एक नहीं बल्कि चार बार गुरदासपुर सीट से सांसद चुने गए. मंत्री भी रहे. लेकिन, फिल्मों से नाता नहीं तोड़ा. सलमान खान की दबंग और दबंग 2 में भी दिखे. मगर एक चीज का मलाल था. वह खुद ही कहते थे कि एक्टिंग से ज्यादा उन्हें क्रिकेट पसंद था लेकिन करियर स्पोर्ट्स में नहीं बना पाए. 27 अप्रैल 2017 को विनोद एक लंबी बीमारी के बाद दुनिया से रुखसत हो गए.
एजेंसी; इनपुट
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