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‘जब वे गुजरे...’, टाइगर पटौदी का वो ‘350 नॉट-आउट’ मैच, जिसका बेटी सोहा ने सुनाया दिलचस्प किस्सा

Soha Ali Khan: हाल ही में शर्मिला टैगोर और दिवंगत मंसूर अली खान पटौदी की बेटी सोहा अली खान ने अपने पिता को याद किया. साथ ही उन्होंने अपने पिता के ‘350 नॉट-आउट’ मैच को भी याद किया और एक बड़ा ही दिलचस्प किस्सा शेयर किया.  

Soha Ali Khan Recalls Dad Tiger Pataudi
Soha Ali Khan Recalls Dad Tiger Pataudi
Vandana Saini|Updated: Apr 19, 2025, 06:57 AM IST
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Soha Ali Khan Recalls Dad Tiger Pataudi: हिंदी सिनेमा की दिग्गज अदाकारा शर्मिला टैगोर और दिवंगत भारतीय क्रिकेटर मंसूर अली खान पटौदी की बेटी-एक्ट्रेस सोहा अली खान ने हाल ही में अपने पिता को याद करते हुए इस बात का दुख जताया कि BCCI पटौदी ट्रॉफी को बंद करने पर विचार कर रहा है. ये ट्रॉफी उनके पिता मंसूर अली खान पटौदी के नाम पर है, जिन्हें लोग प्यार से ‘टाइगर पटौदी’ भी कहा करते थे, जो दुनिया के बेहतरीन फील्डरों में गिने जाते थे. 

साल 1975 में उन्होंने इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास लिया और 2011 में उनका निधन हो गया. अपने हालिया इंटरव्यू में सोहा ने बताया कि अगर वो लड़का होतीं, तो उनके पापा उन्हें फास्ट बॉलर बनाना चाहते थे. सोहा ने बताया कि उन्हें हमेशा पता था कि उनके पापा कितने बड़े क्रिकेटर थे, लेकिन असली असर उन्हें उनके निधन के बाद महसूस हुआ. उन्होंने कहा, 'मैं 1978 में पैदा हुई थी और पापा तब तक रिटायर हो चुके थे. जब मैं बड़ी हो रही थी, तब पापा घर पर रहते थे और मम्मी काम पर जाती थीं'.

सोहा को याद आया पापा का ‘350 नॉट-आउट’ मैच

सोहा ने आगे बताया, 'लेकिन जब पापा नहीं रहे, तब बहुत सारे लोग मेरे पास आए और उनकी जिंदगी से जुड़ी अनमोल कहानियां मुझे सुनाईं'. सोहा ने उनके एक मैच की याद करते हुए बताया, 'एक बार मैंने उन्हें एक फादर-सन क्रिकेट मैच में खेलते देखा था, जिसमें सामने 13 साल के बच्चे थे. पापा ने उस मैच में 350 रन बनाए थे और कोई उन्हें आउट करने को कह रहा था, लेकिन पापा ने मना कर दिया. वो कहते रहे – नहीं, मैं खेलता रहूंगा. वो लगातार छक्के मार रहे थे और बहुत कॉम्पिटिटिव थे'.

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सोहा भी खेल लेती हैं ठीक-ठाक क्रिकेट

हालांकि सोहा ने कभी क्रिकेट की ट्रेनिंग नहीं ली, लेकिन उन्हें लगता है कि वो इस खेल में ठीक-ठाक हैं. सोहा कहती हैं, 'मैंने बल्लेबाजी या गेंदबाजी नहीं सीखी, लेकिन मेरी हैंड-आई कोऑर्डिनेशन काफी अच्छी है. मैं अच्छी फील्डिंग कर लेती हूं. आज भी मैं स्पोर्ट्स एन्जॉय करती हूं. बैडमिंटन बहुत जोश से खेलती हूं. हमारे परिवार में सभी लोग फिट रहना पसंद करते हैं और खुद पर निर्भर रहना हमें अच्छा लगता है'. सोहा ने बताया कि उनके पिता सख्त किस्म के इंसान नहीं थे और इसलिए उन्हें गलतियां करने की आज़ादी मिलती थी. 

पढ़ाई को लेकर कभी सख्त नहीं रहे मम्मी-पापा

सोहा ने बताया, 'मम्मी थोड़ी सख्त थीं. लेकिन पढ़ाई को लेकर मम्मी-पापा दोनों ज्यादा दबाव नहीं डालते थे. उन्हें बस इतना चाहिए था कि मैं मन लगाकर पढ़ाई करूं और आगे की पढ़ाई भी करूं. लेकिन अगर रिपोर्ट कार्ड में सारे A न भी आएं, तो उन्हें फर्क नहीं पड़ता था. असल में मैं खुद ही ज्यादा परेशान हो जाती थी'. सोहा अपनी परवरिश को थोड़ा अलग मानती हैं. वो कहती हैं, 'मेरे माता-पिता का बैकग्राउंड थोड़ा आर्टिस्टिक था. मम्मी ने यूनिवर्सिटी नहीं जॉइन की थी और पापा क्रिकेट खेलते थे'. 

सोहा अली खान का वर्कफ्रंट 

उन्होंने बताया, 'वे दोनों बहुत कामयाब थे लेकिन उन्होंने कभी ये शो-ऑफ नहीं किया. इस वजह से मुझ पर कभी दबाव नहीं रहा कि मुझे भी कुछ बड़ा करना है. मैं अपनी रफ्तार से सीखती रही, गलतियां करती रही और अपना रास्ता खुद बनाती रही. मुझे कभी भी नंबर वन बनने की टेंशन नहीं हुई'. बता दें, सोहा अली खान हाल ही में नुसरत भरूचा के साथ हॉरर फिल्म 'छोरी 2' में नजर आ रही हैं, जो कुछ दिन पहले ही प्राइम वीडियो पर स्ट्रीम हुई है. 

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