वुमेंस डे 2024 का मौका है. ऐसे में चलिए आपको हिंदी सिनेमा की सबसे मजबूत महिला से मिलवाते हैं. जिन्होंने 100 साल पहले रुढ़िवादी सोच को तोड़ा. अपने रास्ते खुद बनाए और नया सफर दिया किया. वह 10 दशक बाद भी सबकी प्रेरणा हैं. चलिए इंटरनेशनल वुमेंस डे पर आपको फातिमा बेगम की कहानी से रूबरू करवाते हैं. वह देश की पहली महिला डायरेक्टर और प्रोड्यूसर थीं. उन्होंने उस वक्त फिल्मों में VFX डाला, जब इसका मतलब भी लोगों को नहीं पता होता था.
ये कहना गलत नहीं होगा कि फातिमा बेगम ने फिल्म इंडस्ट्री में औरतों के लिए दरवाजे खोले. वह न सिर्फ फिल्मों के गणित को समझती थीं बल्कि इसके प्रभाव को भी बखूबी जानती थीं. मामूली बात नहीं है कि आज से 100 साल पहले फिल्म बनाना. वो भी एक औरत के लिए. जब औरतों का घर से निकलना तक पाप माना जाता था, उस जमाने में उन्होंने खुद को प्रोडक्शन हाउस खोला, फिल्में बनाईं और सिनेमा के जरिए गहरी छाप छोड़ी.
फातिमा बेगम के शौहर
फातिमा बेगम का जन्म मुस्लिम परिवार में हुआ. आपको जानकर हैरानी होगी कि उनके शौहर जाने-माने नवाब हुआ करते थे. गुजरात के सचिन राज्य के तीसरे नवाब सिद्दी इब्राहिम मुहम्मद याकूत खान थे. लेकिन दोनों की शादी का कोई रिकॉर्ड नहीं मिलता है.
फातिमा बेगम के बच्चे भी मशहूर हस्ती
फातिमा बेगम के तीन बच्चे हुए जुबैदा, सुल्ताना और शहजादी. जुबैदा वहीं हैं जिन्होंने देश की पहली बोलती फिल्म 'आलम-आरा' में लीड रोल निभाया था. वहीं, फातिमा की दूसरी बेटी सुल्ताना भी फिल्म एक्ट्रेस थीं. जिन्होंने कई मशहूर फिल्मों में काम किया था.
कैसे की फातिमा बेगम ने करियर की शुरुआत
फातिमा बेगम ने करियर की शुरुआत की थी उर्दू प्ले के जरिए. उन्होंने साल 1922 में 'वीर अभिमन्यु' में एक्टिंग भी की. ये वो वक्त था जब औरतों फिल्मों में काम ही नहीं करती थीं. एक्टर ही फीमेल का रोल भी प्ले करते थे.
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दो साल बाद बना डाला प्रोडक्शन हाउस
डेब्यू के दो साल बाद ही फातिमा बेगम ने खुद का प्रोडक्शन हाउस खोला. 'फातिमा फिल्म्स' में उन्होंने साल 1926 में 'बुलबुल-ए-पेरिस्तान' नाम की फिल्म का डायरेक्शन किया. देश ही नहीं एशिया में पहला मौका था जब किसी महिला ने खुद का प्रोडक्शन हाउस और डायरेक्शन का काम किया हो.
'बुलबुल-ए-पेरिस्तान' थी महंगी फिल्म
98 साल पहले 'बुलबुल-ए-पेरिस्तान' रिलीज हुई थी. उस जमाने में उन्होंने खूब पैसा फूंककर फिल्म बनाई थी. इतना ही नहीं स्पेशल इफेक्ट्स का इस्तेमाल भी करवाया था. उस वक्त उन्होंने विदेशी तकनीक का इस्तेमाल करके पूरी इंडस्ट्री में दबदबा कायम किया था. आगे चलकर उन्होंने ‘सीता सरदावा’, ‘पृथ्वी बल्लभ’, ‘काला नाग’ और ‘गुल-ए-बकवाली’ और कई बड़ी फिल्मों पर काम किया.
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