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Nadaaniyan Movie Review: 1 घंटा 59 मिनट की फिल्म, फ्रेश रोमांस लेकर आए इब्राहिम अली खान और खुशी कपूर, आते ही छा गए

सैफ अली खान के बेटे इब्राहिम अली खान की मचअवेटेड फिल्म 'नादानियां' फिल्म ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज हो गई है. इस फिल्म में इब्राहिम के साथ खुशी कपूर लीड रोल में हैं.अगर आपने ये फिल्म अभी तक नहीं देखी है और देखने का प्लान कर रहे हैं तो एक बार रिव्यू जरूर पढ़ लें.  

नादानियां रिव्यू
नादानियां रिव्यू
Zee News Desk|Updated: Mar 07, 2025, 05:22 PM IST
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स्टार: 3
निर्देशक: शौना गौतम 
स्टार कास्ट: इब्राहिम अली खान, दीया मिर्जा, जुगल हंसराज, सुनील शेट्टी, खुशी कपूर, अपूर्वा मखीजा और आलिया कुरैशी
रन टाइम: 1 घंटा 59 मिनट
मीडियम: ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स 

 

Nadaaniyan Review: सैफ अली खान के बेटे इब्राहिम अली खान की डेब्यू फिल्म 'नादानियां' ऑनलाइन स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म पर आ चुकी है. फिल्म इब्राहिम और खुशी कपूर की जोड़ी के साथ दर्शकों का दिल जीत रही है.इस फिल्म में जेन-जी का जनरेशन का वो तड़का लगाया गया है कि फिल्म सीधे यूथ से कनेक्ट कर रही है.लेकिन ये बात तो सोलह आने सच है कि प्यार तो प्यार होता है फिर चाहे आप जेन-जी के हों या फिर नहीं..ये बात तो तय है कि ये मूवी आपके दिल को सीधे छू लेगी. 

इस फिल्म में बॉलीवुड के फ्रेश पेयर इब्राहिम अली खान और खुशी कपूर को कास्ट किया गया है. फिल्म में दोनों एक साथ काफी अच्छे लग रहे हैं. ये खुशी कपूर की तीसरी फिल्म है और वो लगातार एक्टिंग के मामले में निखरती जा रही हैं. इन्होंने फिल्म में अपने इमोशनल किरदार के साथ पूरा जस्टिस किया है. वहीं, इब्राहिम अली खान ने अपनी पहली ही फिल्म में कमाल कर दिया है. उनकी परफॉर्मेंस एकदम नेचुरल है जो मूवी में उनके किरदार के साथ पूरा इंसाफ करती है. 

 
 
 
 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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क्या है 'नादानियां' की कहानी?

नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई फिल्म का निर्देशन नवोदित शौना गौतम ने किया है. फिल्म की कहानी इसके नायक अर्जुन मेहता (इब्राहिम अली खान) और पिया जयसिंह (खुशी कपूर) की कहानी को फॉलो करती है. वे स्कूली जीवन,दोस्ती,पारिवारिक इवेंट्स में हर जगह साथ में दिखते हैं. कहानी की शुरुआत पिया के खुद को एक अजीब स्थिति में पाने से शुरू होती है, उसे अपने दोस्तों को यह समझाने के लिए साबित करना होगा कि वह किसी को डेट कर रही है.

अपनी समस्या को हल करने के लिए पिया,अर्जुन को अपने साथ लाती है, जो एक नया प्रतिभागी और वाद-विवाद टीम का स्कॉलर है. वह अर्जुन को अपना बॉयफ्रेंड बनने के लिए हर महीने रुपए देती है. इस तरह कमर्शियल सिनेमा में 'किराए के बॉयफ्रेंड' की पुरानी कहावत वापस आ जाती है और बस इसी तरह उनकी 'नादानियां' शुरू हो जाती है.

कुछ ही देर में सेट हो जाती है कहानी

फिल्म की कहानी शुरू से ही शायद बहुत जल्दी सेट हो जाती है,जिसमें घटनाएं एक स्थिर, आकर्षक स्पीड के साथ सामने आती हैं,जिससे किसी और चीज के लिए समय नहीं बचता, सिवाय कैंडी-क्यूट रोमांस के लिए जो अभी आना बाकी है. निर्देशक शौना गौतम सुनिश्चित करती हैं कि दर्शकों को नादानियां की दुनिया में बसने के लिए पर्याप्त समय मिले, जिसमें युवावस्था की मासूमियत को कैद करते हुए उसे यंग जेनरेशन की लव और पारिवारिक संघर्षों के साथ बैलेंस किया गया है.

 
 
 
 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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पहला पार्ट दोस्ती में तो दूसरा इमोशनल ड्रामा

पहला भाग हल्का-फुल्का है,जिसमें दोस्ती, स्कूली जीवन और युवा प्रेम पर फोकस किया गया है, जबकि दूसरा भाग इमोशंस में डूबा हुआ है क्योंकि उनके माता-पिता के संघर्ष भी केंद्र में आ जाते हैं। यहां हर किसी के लिए कुछ न कुछ है. कहानी में स्कूल जीवन से बड़ा दिखता है, स्कूल ड्रेस औसत की तुलना में अधिक स्टाइलिश दिखती है और सब कुछ वास्तविकता से दस गुना अधिक ग्लैमरस है.

सुनील शेट्टी, महिमा चौधरी, दीया मिर्जा और जुगल हंसराज जैसे कलाकारों की अहम भूमिका वाली यह फिल्म पुरानी यादों को ताजा कर देती है. इतने लंबे समय के बाद उन्हें स्क्रीन पर देखना खास है, जो कहानी में भावनात्मक गहराई जोड़ता है और जाहिर है, इब्राहिम अली खान और खुशी कपूर को एक साथ देखना एक मजबूत भावना जगाता है, क्योंकि इब्राहिम जहां अपने पिता सैफ अली खान तो वहीं खुशी कपूर अपनी मां श्रीदेवी की झलक दिखाती हैं.

इब्राहिम ने की बेहतरीन एक्टिंग

अपने डेब्यू के माध्यम से इब्राहिम अली खान यह साबित करते हैं कि वह सिर्फ एक स्टार किड से बढ़कर हैं. उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण उनकी एक्टिंग में झलकती है, जो उन्हें लंबे समय में सबसे प्रभावशाली ऑन-स्क्रीन उपस्थितियों में से एक बनाता है. जब भी वे स्क्रीन पर दिखाई देते हैं, तो आप उन्हें देखे बिना नहीं रह सकते, चाहे वह उनकी मुस्कान हो या 'सलाम नमस्ते' से जुड़ा सैफ अली खान का आकर्षण.

दूसरी ओर खुशी कपूर चुलबुली और उत्साही पिया के किरदार में हैं. लेकिन,उनके हंसमुख बाहरी आवरण के नीचे एक गहरा संघर्ष छिपा है,एक टूटे हुए परिवार में बड़ा होना,उन दोस्तों से निपटना जो उन पर विश्वास नहीं करते हैं और खुद को एक नकली रिश्ते में फंसा हुआ पाना, जहां असली भावनाएं अप्रत्याशित रूप से जगह बना लेती हैं। इसे लेकर वह एक लंबा सफर तय करती है.

 

संगीत फिल्म को बहुत जरूरी गहराई देता है,सचिन-जिगर ने 'इश्क में' से लेकर 'तिरकत धूम' तक के कई गानों के साथ एक बार फिर से काम किया है और टाइटल ट्रैक आपको लगभग 'वेक अप सिड' म्यूजिकल कोरस की याद दिलाएगा। पटकथा और भी सटीक हो सकती थी, संवाद अदायगी और भी सहज हो सकती थी, लेकिन कुल मिलाकर कुछ 'नादान' पलों के कारण आपका दिल खुश रहेगा.कुल मिलाकर जीवन की तरह ही उतार-चढ़ाव से भरी हुई 'नादानियां' एक रोलरकोस्टर राइड है. यह एक ऐसी फिल्म है, जो कई स्तरों पर गूंजती है, पुरानी यादें, गर्मजोशी और अपनेपन का एहसास कराती है.

 

 

 

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