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पहले पहलगाम हमले पर की कविता, जब होने लगे ट्रोल, तो करण वीर मेहरा बोले- ‘हम डरते नहीं हैं…’

Karan Veer Mehra: टीवी एक्टर करण वीर मेहरा ने पहलगाम हमले के बाद एक वीडियो शेयर किया था, जिसमें वो एक पोयम गाते नजर आए थे, जिसको लेकर उनको काफी ट्रोल भी किया गया था. अब उस वीडियो को लेकर उन्होंने सफाई दी कि उनकी पोयम का मकसद नफरत फैलाना नहीं खत्म करना था. 

ट्रोल होते ही करण वीर मेहरा ने दी सफाई
ट्रोल होते ही करण वीर मेहरा ने दी सफाई
Vandana Saini|Updated: Apr 27, 2025, 08:42 PM IST
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Karan Veer Mehra On Trolling: 'बिग बॉस 18' के विनर और टीवी इंडस्ट्री के जाने-माने एक्टर करण वीर मेहरा ने हाल ही में पहलगाम आतंकी हमले (22 अप्रैल) के बाद एक वीडियो पोस्ट किया था, जिसमें वो अभिनेता आशुतोष राणा की लिखी एक कविता पढ़ते नजर आए. हालांकि, इस पोस्ट के लिए उन्हें काफी ट्रोलिंग का सामना करना पड़ा. कई सेलेब्स जैसे एल्विश यादव और कुशाल टंडन ने भी उनके वीडियो पर तंज कसा. 

अब करण वीर मेहरा ने सामने आकर इस ट्रोलिंग का जवाब दिया है और साफ किया कि उनकी कविता का असली मतलब नफरत फैलाना नहीं, बल्कि खत्म करना था. करण वीर ने अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी पर एक लंबा पोस्ट शेयर कर सफाई पेश की. उन्होंने लिखा, 'अगर कोई कहता है कि आंख के बदले आंख से पूरी दुनिया अंधी हो जाएगी, तो याद रखो आखिरी इंसान के पास अब भी एक आंख होगी. असली सवाल ये है कि क्या आप नफरत की इस चेन को तोड़ना चाहेंगे?'. 

करण वीक ने बताया कविता का मतलब

करण वीन ने समझाया कि उनकी कविता का मकसद नफरत खत्म करना था, न कि किसी का दिल दुखाना. करण वीर मेहरा ने ये भी कहा कि उनका दिल उन परिवारों के साथ है जिन्होंने पहलगाम हमले में अपने अपनों को खोया. उन्होंने कहा, 'जो भी दोषी हैं, उन्हें सबसे कड़ी सजा मिलनी चाहिए. हम डरते नहीं हैं, हम घबराते नहीं हैं'. इसके साथ ही उन्होंने एक्टर सुनील शेट्टी का कोट भी शेयर किया, जिसमें लिखा था, 'अगली छुट्टी कश्मीर में होगी'.

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आशुतोष राणा ने लिखी थी कविता 

करण वीर मेहरा ने जिस कविता को पढ़ा, उसे सालों पहले अभिनेता आशुतोष राणा ने लिखा था. उन्होंने कविता की शुरुआत इन पंक्तियों से की, 'बांट दिया इस धरती को, क्या चांद सितारों का होगा? नदियों को कुछ नाम दिए, बहती धाराओं का क्या होगा?'. कविता में बताया गया कि कैसे आतंकवाद ने देश को धर्म के नाम पर बांट दिया है. आगे कविता में करण वीर कहते हैं, 'शिव की गंगा भी पानी है, आबे जमजम भी पानी है'. 

दिल को छूने वाली कविता 

कविता में वे आगे कहते हैं, 'पंडित भी पिए, मौलवी भी पिए, तो पानी का मजहब क्या होगा?'. उन्होंने ये भी कहा कि सूरज एक है, चांद एक है, सबकी सांसें एक ही हवा से चलती हैं. फिर फिरकापरस्तों से सवाल किया कि क्या अब हवा भी नहीं चलने दोगे? कविता दिल को छूने वाली थी और एकता का संदेश देती थी. कविता का आखिरी हिस्सा सबसे ज्यादा असरदार था. 

कविता को लेकर मचा वबाल 

करण वीर ने पढ़ा, 'नस्लों का करें जो बंटवारा, वो असली धोखेबाज है. सवाल बस एक है - क्या अल्लाह ने मंदिर तोड़ा या राम ने मस्जिद तोड़ी थी?'. उन्होंने दर्द के साथ कहा, 'बांट दिया इस धरती को. कोई हिंदू है, कोई मुसलमान, कोई सिख और कोई ईसाई. लेकिन हमने इंसान ना बनने की कसम खा ली है'. उनका ये वीडियो देखते ही देखते वायरल हो गया. जहां कुछ उनके सपोर्ट में बोले तो कुछ उनको खरी खोटी भी सुना रहे थे. 

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