कहा जाता है कि अगर जीवन में कुछ बनना है तो मेहनत के साथ-साथ किस्मत का साथ देना भी जरूरी है. फिल्मी दुनिया इस बात को साबित करने के लिए सबसे अच्छा उदाहरण है. यहां हर दिन हजारों लोग अपनी किस्मत आजमाने के लिए आते हैं. हालांकि, इसी इंडस्ट्री में कई चेहरे ऐसे भी रहे जिनकी किस्मत उन पर ऐसी मेहबान हुई कि वह रातों-रात चमकता हुआ सितारा बन गए. ऐसे ही एक कलाकार की आज हम बात करने जा रहे हैं, नाम है अशोक पाठक, जिन्हें आप पूरा देश 'पंचायत' के बिनोद के नाम से जानता है.
दो वक्त की रोटी जुटाना भी था मुश्किल
एक समय था जब अशोक कभी रुई बेचकर तो कभी छोटे-मोटे काम करके दो वक्त की रोटी जुटाने की कोशिश करते थे. लेकिन इस स्ट्रगल के बीच उनकी मेहनत उस समय रंग लाई जब उन्होंने वेब सीरीज 'पंचायत' के साथ देशभर के लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच लिया. मासूम से दिखने वाले अशोक गांव के सीधे-सादे बिनोद का किरदार निभाकर इतने मशहूर हुए कि सीरीज की पहचान ही उनके नाम से की जाने लगी.
बिनोद बन देशभर में मशहूर हुए अशोक
अशोक पाठक ने अपने कॉमिक अंदाज से सीरीज में दर्शकों को खूब हंसाया. 'पंचायत' में बिनोद एक ऐसा शख्स दिखाया गया है जो कम ही बोलता है और कम समझता है. सीरीज में बिनोद की जोड़ी भूषण यानी बन राकस के साथ खूब पसंद की गई. बिनोद के रूप में अशोक को इतना पसंद किया गया कि सोशल मीडिया पर उनके जमकर मीम्स वायरल हुए. यहां तक कि बिनोद का जलवा कान्स के रेड कार्पेट पर भी देखने को मिला. इसे आज बेशक उनकी अच्छी किस्मत माना जा रहा है लेकिन अशोक के लिए यह सफर इतना आसान नहीं रहा.
रुई बेचते थे अशोक पाठक
अशोक पाठक ने अपनी निजी जिंदगी में बहुत गरीबी और बेहाली का वक्त देखा है. बिहार एक गरीब परिवार में पैदा अशोक घर चलाने के लिए अपने चाचा के साथ रुई के गट्ठर बेचने का काम किया करते थे. इस काम से उन्हें रोज के 100 रुपये मिलते थे. कुछ समय के बाद वह अपने परिवार के साथ हरियाणा में बस गए. यहां से उन्होंने इंटर की परीक्षा पास की और कॉलेज में पढ़ाई शुरू कर दी. यहीं वो जगह थी जहां से उनकी जिंदगी बदलने वाली थी. कॉलेज में रहते हुए अशोक को थिएटर का शोक चढ़ गया.
40 हजार रुपये से बदली जिंदगी
उन्होंने कई कल्चर फेस्टिवल में हिस्सा लेना शुरू कर दिया. एक बार उन्हें कॉलेज में ही एक प्रोग्राम के लिए 40 हजार रुपये इनाम मिले. इसके बाद अशोक को महसूस हुआ कि उन्हें और कमाई करने के लिए मुंबई का रुख करना चाहिए. इन्हीं 40 रुपयों को लेकर अशोक मुंबई पहुंच गए और लगातार ऑडिशन्स देने शुरू कर दिए. कुछ समय बाद उन्हें छोटे-मोटे रोल्स मिलने लगे. इसी दौरान उन्हें 'पंचायत' में बिनोद का किरदार निभाने का मौका मिला और यहीं से उनकी जिंदगी ने करवट ले ली.
45 दिनों की शूटिंग के बाद भी मंदाकिनी को बाहर करना चाहते थे डायरेक्टर
बिनोद ने पहुंचाया कान्स तक
'पंचायत' के बिनोद से अशोक पाठक इतने मशहूर हो गए कि उन्हें कान्स फिल्म फेस्टिवल में जाने का मौका मिल गया. देखते ही देखते आज अशोक भी एक जाना माना नाम और चेहरे बन गए हैं. बता दें कि इन दिनों 'पंचायत' की सीजन 4 को लेकर काफी चर्चा बनी हुई है. फैंस अभी से इस नए सीजन के लिए बेताब हो गए हैं.
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