What is GDP Recalculation: किसी भी देश की जीडीपी (GDP) ग्रोथ उसकी इकोनॉमिक ग्रोथ की पहचान होती है. माना जाता है कि जिस देश की जीडीपी ग्रोथ (GDP Growth) बढ़ रही है तो उसकी इकोनॉमी मजबूत हो रही है और वह देश आर्थिक रूप से मजबूत हो रहा है. इन दिनों जीडीपी को लेकर अफ्रीकी महाद्वीप का देश नाइजीरिया चर्चा में है. इन दिनों नाइजीरिया की इकोनॉमी पहले के मुकाबले करीब 30% तक बढ़ गई है. जीडीपी में आए इजाफे का असर यह होगा कि दुनियाभर के इनवेस्टर नाइजीरिया का रुख करेंगे. नाइजीरिया की तरफ से किया गया यह कमाल वाकई चौंकाने वाला है.
नाइजीरिया की जीडीपी में क्यों आया बूम?
अमेरिका, चीन और जापान भी नाइजीरिया का मुकाबला इस बारे में नहीं कर पाईं. अब इन आंकड़ों के सामने आने के बाद यह सवाल बनता है कि क्या वाकई नाइजीरिया की इकोनॉमी इतनी तेजी से बढ़ी है या इसके पीछे कोई दूसरी कहानी है. नाइजीरिया की इकोनॉमी में यह बूम आने का कारण वाकई चौंकाने वाला है. ऐसे में इसकी वजह पता होना जरूरी है. आपको बता दें नाइजीरिया की जीडीपी (GDP) में दिख रहा यह बदलाव नाइजीरिया की तरफ से जीडीपी कैलकुलेशन का तरीका बदलने के बाद हुआ है. यह पिछले करीब 10 साल से भी ज्यादा समय में पहली बार किया गया बदलाव है.
नाइजीरिया ने बेस ईयर में किया बदलाव
दरअसल, नाइजीरिया के राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो (NBS) ने 2010 के बजाय 2019 को बेस ईयर चुना है. इससे इकोनॉमी का साइज 372.82 ट्रिलियन का हो गया. पहले वर्ल्ड बैंक की तरफ से इसको लेकर 187.76 अरब डॉलर का अनुमान लगाया गया था. एनबीएस (NBS) ने जीडीपी कैलकुलेशन में डिजिटल सर्विस, पेंशन फंड और इन्फॉर्मल सेक्टर को शामिल किया, जहां नाइजीरिया के अधिकांश लोग काम करते हैं. ये सेक्टर पहले कैलकुलेशन में नहीं थे. उभरती इकोनॉमी को हर कुछ साल में अपनी जीडीपी को फिर से बेस करने की सलाह दी जाती है ताकि इकोनॉमी के सही साइज का पता चल सके.
नए बेस ईयर से नाइजीरिया को क्या फायदा?
नाइजीरिया ने आखिरी बार 2014 में ऐसा किया था, जब वह साउथ अफ्रीका को पीछे छोड़कर अफ्रीका की सबसे बड़ी इकोनॉमी बना गया था. लेकिन 2023 में यह ताज उससे छिन गया. नए बेस ईयर के बाद नाइजीरिया अफ्रीका की चौथी सबसे बड़ी इकोनॉमी बन गया है. साउथ अफ्रीका, मिस्र और अल्जीरिया उससे आगे हैं. जानकारों का कहना है कि विकासशील देश हर 10 साल में इस तरह का बदलाव करते हैं. जानकारों ने बताया कि एग्रीकल्चर अब इकोनॉमी में सबसे बड़ा योगदान दे रही है, क्रूड ऑयल का योगदान महज 5% का है.
जीडीपी रेश्यो 52% से घटकर 40% हो गया
जीडीपी के नए आंकड़ों से नाइजीरिया का लोन से जीडीपी रेश्यो बेहतर हो गया है. पहले यह 52% था, जो घटकर 40% हो गया. यह सरकार के 40% के टारगेट के बराबर और वर्ल्ड बैंक व आईएमएफ के 55% के लेवल से कम है. डिजिटल गतिविधियां, पेंशन फंड और अनौपचारिक सेक्टर जहां 90% से ज्यादा नाइजीरियाई काम करते हैं, अब कैलकुलेशन में शामिल हैं. इस बदलाव से इकोनॉमी की स्थिति साफ होती है.
क्या होगा फायदा?
साल 2023 में नाइजीरिया के राष्ट्रपति बोला तिनुबु ने नायरा का अवमूल्यन किया ताकि विदेशी निवेश को ज्यादा से ज्यादा आकर्षित किया जा सके. इसके बाद नायरा का मूल्य 70% से ज्यादा गिर गया. इसका असर यह हुआ कि नाइजीरिया अफ्रीका की सबसे बड़ी इकोनॉमी की जगह खो बैठा. जानकारों का कहना है कि जीडीपी में ग्रोथ से निवेशकों का भरोसा बढ़ सकता है. लेकिन तेजी से बढ़ती महंगाई दर, बेरोजगारी और क्रूड ऑयल पर निर्भरता जैसी समस्या को सॉल्व करना जरूरी है.
यह देश भी कर रहा बदलाव का प्लान
पिछले हफ्ते, सेनेगल के वित्त मंत्रालय की तरफ से कहा गया कि उसकी तरफ से 2018 के बाद पहली बार अपनी जीडीपी को फिर से आधारित करेगा. यह कदम छिपे हुए लोन के घोटाले के बीच उठाया जा रहा है. इससे देश का कर्ज और बढ़ सकता है. बैंक ऑफ अमेरिका के जानकारों का कहना है कि जीडीपी सुधार और मजबूत आर्थिक प्रदर्शन से कर्ज से जीडीपी रेश्यो बेहतर हो सकता है.
FAQ
Q 1. जीडीपी क्या होती है?
A. जीडीपी (GDP) किसी देश की एक निश्चित अवधि में उत्पादित सभी अंतिम वस्तुओं और सर्विस के कुल मौद्रिक मूल्य को मापता है. यह किसी देश की इकोनॉमी के साइज और हेल्थ का अहम संकेतक है.
Q 2. भारत की जीडीपी कितनी है?
A. मौजूदा समय में देश की जीडीपी 330.68 लाख करोड़ रुपये है. यह 4.19 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के बराबर है.
Q 3. भारत की जीडीपी ग्रोथ कितनी है?
A. देश की जीडीपी ग्रोथ वित्त वर्ष 2024-25 में 6.5% रही है. चौथी तिमाही में यह ग्रोथ 7.4% की रही है.