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अमेरिका की प्याली में 'चीनी कम', जैसे को तैसा वाले फॉर्मूले से ट्रंप कर रहे खुद अपना नुकसान, भारत पर कितनी आंच ?

Donald Trump Tariff:  अमेरिका फर्स्ट की नीतियों पर काम कर रहे ट्रंप ने आते ही टैरिफ का ऐसा चाबुक चलाया कि मैक्सिको, कनाडा से लेकर चीन तक को हिला दिया है, टैरिफ का वार भारत से भी अछूता नहीं रहने वाला है.

 अमेरिका की प्याली में 'चीनी कम', जैसे को तैसा वाले फॉर्मूले से ट्रंप कर रहे खुद अपना नुकसान, भारत पर कितनी आंच ?
Bavita Jha |Updated: Feb 20, 2025, 02:49 PM IST
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America Tariff war: चीन और अमेरिका की बीच 'दुनिया का बॉस' बनने की होड़ कोई नहीं बात नहीं है, लेकिन अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी के बाद सीन बदल गया है. अमेरिका की गद्दी पर बैठते ही डोनाल्ड ट्रंप हंटर पर हंटर चलाए जा रहे हैं. अमेरिका फर्स्ट की नीतियों पर काम कर रहे ट्रंप ने आते ही टैरिफ का ऐसा चाबुक चलाया कि मैक्सिको, कनाडा से लेकर चीन तक को हिला दिया है, टैरिफ का वार भारत से भी अछूता नहीं रहने वाला है.  ट्रंप के इन फैसलों का असर सिर्फ भारत और चीन पर ही नहीं होगा, बल्कि वो खुद अमेरिका भी इसके असर से खुद को बचा नहीं पाएगा. यानी टैरिफ के हंटर से भले चोट चीन को लगेगी, लेकिन दर्द अमेरिका को भी होगा.  पढ़ें-खुल गई पोल, खलनायक बने चीन ने गुपचुप किया ऐसा वार कि लहूलुहान हुआ भारत का शेयर बाजार, AI से भर रहा अपनी जेब

अमेरिका और चीन की लड़ाई  

अमेरिका और चीन के बीच दुनिया का बॉस बनने को लेकर होड़ नई बात नहीं है.  चीन अपनी महत्वाकांक्षी नीतियों की धौंस दिखाने से बाज नहीं आता तो अमेरिका शक्तिप्रदर्शन से पीछे नहीं हटता. अमेरिका में ट्रंप युग की वापसी के साथ ही चीन पर नकेल कसने की कोशिशें तेज हो गई है. इसलिए अमेरिका कई पाबंदियों से चीन की चाल धीमी करने की कोशिश करता है. कभी पाबंदियों के जरिए तो कभी टैरिफ के जरिए अमेरिका चीन के पंख कुतरने से पीछे नहीं हटता. हाल ही में AI के लिए इस्तेमाल होने वाली सेमीकंडक्टर चिप्स को लेकर अमेरिका ने सख्त कानून बनाए ताकि चीन के लिए एआई के क्षेत्र में आगे बढ़ना मुश्किल हो तो वहीं इकोनॉमी पर प्रहार करने के लिए 10 फीसदी टैरिफ बढ़ा दिया.    

आंच तो अमेरिका पर भी आएगी 

अमेरिकी राष्ट्रपति जैसे को तैसा वाली नीति पर काम कर रहे हैं. डोनाल्ड ट्रंप ने रेसिप्रोकल टैरिफ का ऐलान किया, यानी जो जितना टैक्स लगाएगा, उसपर उतना ही टैक्स वो भी लगाएंगे. यानी अगर भारत अमेरिका के कृषि उत्पादों पर 10 फीसदी टैरिफ लगाता है तो अमेरिका भी 10 फीसदी टैरिफ लगाएगा. लेकिन ट्रंप अपने फैसलों से खुद अमेरिका और अमेरिकी लोगों को भी परेशान कर रहे हैं. ट्रंप की टैरिफ बढ़ाने की योजना का सबसे अधिक नुकसान अमेरिकी उपभोक्ताओं को भी होगा.  

ट्रंप के फैसले से अमेरिका का नुकसान  

ग्लोबल बैंक स्टैंडर्ड चार्टर्ड ने भी अपनी एक रिपोर्ट में यह बात कही है. जिसके मुताबिक ट्रंप के टैरिफ बढ़ाने से अमेरिका के लोगों की मुश्किल बढ़ेगी. इंपोर् पर टैरिफ लागत बढ़ने से कंपनियां उसकी भरपाई उपभोक्ताओं पर ही डालेगी, यानी आने वाले दिनों में अमेरिका में मुद्रास्फीति में वृद्धि होगी. महंगाई बढ़ेगी तो इसका सीधा-सीधा नुकसान अमेरिका की अर्थव्यवस्था को होने वाला है.  स्टैंडर्ड चार्टर्ड की रिपोर्ट की माने तो अमेरिका की विनिर्माण क्षमता और रोजगार बाजार पहले से ही दवाब में है. टैरिफ बढ़ने से उसका बोझ उपभोक्ताओं पर पड़ेगा. जिसकी वजह से अमेरिका में महंगाई बढ़ेगी, ग्लोबल ट्रेड की सप्लाई चेन प्रभावित होगी. अमेरिकी की जीडीपी को इसका नुकसान होगा.   रिपोर्ट के मुताबिक टैरिफ बढ़ने से अमेरिकी व्यक्तिगत उपभोग व्यय मुद्रास्फीति को 0.7 फीसदी तक बढ़ा सकता है. अमेरिका की जीडीपी ग्रोथ 1.2 फीसदी तक घट सकती है.  यानी ट्रंप जो दर्द चीन और भारत को देना चाहते हैं उसका दर्द उन्हें खुद भी झेलना पड़ेगा.  

भारत पर भी असर  
ट्रंप के टैरिफ वार को लेकर SBI ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि अगर अमेरिका 15-20 फीसदी की टैरिफ लगाता है तो भारत के निर्यात पर इसका कुल प्रभाव सिर्फ 3-3.5 फीसदी तक सीमित रहेगा. टैरिफ के प्रभाव को कम करने के लिए भारत निर्यात विविधीकरण, मूल्य संवर्धन (Value Addition) और नए व्यापार मार्ग पर विचार कर इसके असल को कम कर सकता है. वहीं गोल्डमैन सैक्स की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका और भारत के बीच रेसिप्रोकल टैरिफ लगने की स्थिति में भारत की जीडीपी पर 0.1% से 0.3% तक का असर हो सकता है.   

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