Indus Water Treaty: पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने एक ऐसा फैसला किया जो 55 साल, तीन जंगों के बाद भी नहीं हुआ था. भारत ने जैसे ही 1960 में हुई सिंधु जल संधि को तोड़ा पूरे पाकिस्तान में हाहाकार मच गया. पाकिस्तानी सरकार और उनकी जनता बौरा गई. खून बहेगा या पानी बहेगा जैसे बयान आने लगे. लेकिन भारत अपने फैसले पर अडिग रहा. पहलगाम आतंकी हमले के 15 दिन बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदर के जरिए मारे गए मासूम लोगों का बदला लिया. अतांकियों के ठिकानों को मिट्टी में मिलाया. इसके बाद लगातार 3 दिन जो कोहराम मचाया उसके बाद पूरी दुनिया दंग है.
पाकिस्तान बिना जंग लड़े मारा जाएगा?
10 मई शाम 5 बजे दोनों देशों के बीच सीजफायर का ऐलान हुआ लेकिन भारत ने पाकिस्तान की पकड़ी हुई 'नस' से हाथ नहीं हटाया. पहले तो पाकिस्तान में सरकार की फैलाई हुई झूठी खबरों पर वहां की जनता नाच-कूद रही थी, लेकिन जब उन्हें होश आया तो पता चला कि भारत ने तो उनकी नस अभी भी पकड़ रखी है. आइए समझते हैं आखिर पाकिस्तान के लिए सिंधु जल संधि नस की तरह क्यों है. इससे उसका क्या नुकसान होने वाला है. भारत से इससे क्या फायदा होगा.
सबसे पहले जानें पाकिस्तान कैसे घुटनों पर आया
सीजफायर के बाद पाकिस्तान ने भारत से अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने की गुहार लगाई है. पाकिस्तान के जल संसाधन मंत्रालय ने भारत के जल शक्ति मंत्रालय को पत्र लिखकर अपील की है कि भारत का यह कदम पाकिस्तान में गंभीर जलसंकट पैदा कर सकता है. पत्र में भारत से अपील की गई है कि वह इस निर्णय पर पुनर्विचार करे. सूत्रों के मुताबिक नियमानुसार यह पत्र भारत के विदेश मंत्रालय को भी भेज दिया गया है, लेकिन भारत ने पाकिस्तान की इस अपील को साफ तौर पर नकार दिया है. यानी अब पाकिस्तान भारत से सिर्फ गिड़गिड़ा सकता है.
पाकिस्तान की नस कैसे है सिंधु जल संधि?
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सिंधु जल संधि के निरस्त होने के बाद पाकिस्तान के सामने पानी का संकट गहरा गया है, क्योंकि उसकी 80% खेती और 33% बिजली उत्पादन सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों पर निर्भर है. पहले सहमति से सिंधु जल संधि के तहत सिंधु, झेलम और चिनाब जैसी पश्चिमी नदियों का पानी पाकिस्तान को मिलता था, जबकि रावी, ब्यास और सतलुज जैसी पूर्वी नदियां भारत के हिस्से में था. ये संधि वर्ल्ड बैंक की मध्यस्थता में बनी थी और दोनों देशों के बीच तीन जंगों के बावजूद बरकरार रही थी. लेकिन भारत ने अब इसे रोककर पाकिस्तान की सबसे बड़ी कमजोरी को निशाना बनाया है.
बर्बाद हो जाएगा पाकिस्तान
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था खेती पर टिकी है, जो उसकी जीडीपी का 24% हिस्सा है और 37% लोगों को रोजगार देती है. अगर सिंधु का पानी रुक गया, तो फसलें सूख जाएंगी, खाने की किल्लत होगी और अर्थव्यवस्था चरमरा जाएगी.
भारत माइंड गेम से पाकिस्तान की निकाल सकता है कचूमर
भारत ने इस संधि को रोककर कई तरह से पाकिस्तान पर कई तरह से दबाव बना दिया है. अब पाकिस्तान सिर्फ भारत से अनुरोध कर सकता है. जैसे उसने गुहार लगाई है.
भारत अब जब चाहे पानी खोले, बंद करे
अब भारत को पाकिस्तान के साथ पानी के बहाव या बांधों की जानकारी साझा करने की जरूरत नहीं है. इससे पाकिस्तान को बाढ़ या सूखे की चेतावनी नहीं मिलेगी, जिससे उसकी मुश्किलें बढ़ेंगी.
भारत बना सकता है खुद का बांध
भारत अब इन नदियों पर नए बांध बना सकता है या मौजूदा ढांचे को बदल सकता है, जिससे पानी का प्रवाह कम हो सकता है. हालांकि, भारत के पास अभी इतना बड़ा ढांचा नहीं है कि वो पानी को पूरी तरह रोक दे, लेकिन 5-10% पानी रोकने की क्षमता जरूर है.
पाकिस्तान की खेती कर सकता है बर्बाद
भारत बांधों से गाद निकालकर उसे पाकिस्तान की तरफ बहा सकता है, जिससे वहां की खेती को नुकसान होगा. पाकिस्तान के पास पानी का कोई दूसरा बड़ा स्रोत नहीं है. उसकी टरबेला और मंगला जैसी जलविद्युत परियोजनाएं भी सिंधु और झेलम नदियों पर निर्भर हैं. अगर पानी कम हुआ, तो बिजली उत्पादन घटेगा, जिससे उद्योग और आम जिंदगी प्रभावित होगी. पाकिस्तान पहले से ही पानी की कमी से जूझ रहा है और उसकी प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता तेजी से कम हो रही है. ऐसे में भारत का ये कदम उसके लिए बड़ा झटका है.
पाकिस्तान के लिए असली दर्द कश्मीर नहीं, बल्कि सिंधु नदी है
पाकिस्तान ने भारत से जब सिंधु जल संधि को खत्म करने के फैसले पर दोबारा सोचने की गुहार लगाई तो इस मामले में पूर्व राजनयिक महेश सचदेव ने बताया कि भारत इस संधि को रद्द करने या रोकने के बारे में काफी पहले से सोच रहा था. IANS से बात करते हुए सचदेव ने कहा था कि पाकिस्तान के लिए असली दर्द कश्मीर नहीं, बल्कि सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियां हैं. पाकिस्तान की 80% खेती इन नदियों पर निर्भर है. सचदेव ने बताया कि 1960 में बनी ये संधि उस वक्त की परिस्थितियों में हुई थी. तब पश्चिमी देशों और वर्ल्ड बैंक के दबाव में भारत को ऐसी शर्तें माननी पड़ीं, जो देश के हित में कम थीं. अब भारत ने इस संधि को रोकने का फैसला लिया है, जिसके बाद पाकिस्तान इस संधि को बचाने के लिए गिड़गिड़ा रहा है.
पीएम मोदी ने पहले ही साफ कर दिया अब खून और पानी साथ नहीं बहेगा
पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ ने पहले सिंधु जल संधि पर खूब हुंकार भरी थी, इसे 'युद्ध की कार्रवाई' यानी एक्ट ऑफ वॉर बताया था लेकिन भारत का रुख सख्त है. पीएम मोदी ने पहले ही साफ शब्दों में कह रखा है "आतंक और बातचीत साथ नहीं चल सकते, पानी और खून साथ नहीं बह सकते." भारत ने साफ कर दिया कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को पूरी तरह छोड़ नहीं देता, तब तक संधि बहाल नहीं होगी. ऐसे में पाकिस्तान के पास गिड़गिड़ाने, रोने या भीख मांगने के अलावा कोई रास्ता नहीं दिखता, वरना उसकी अर्थव्यवस्था और जनता पानी की कमी से तबाह हो सकती है. अब आगे क्या होगा यह समय बताएगा.