trendingNow12296062
Hindi News >>Explainer
Advertisement

Explainer: क्या अमेरिका में इंटरनेट से चलती है EVM? भारत वाली मशीन कैसे है अलग; चुनाव आयोग ने कर दिया साफ

Can EVM be Hacked: चुनाव आयोग ने साफ कर दिया है कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन यानी ईवीएम (EVM) को अनलॉक करने के लिए किसी फोन या OTP की जरूरत नहीं होती है. यह पूरी तरह वायरलेस प्रोसिजर है और स्वतंत्र है.

Explainer: क्या अमेरिका में इंटरनेट से चलती है EVM? भारत वाली मशीन कैसे है अलग; चुनाव आयोग ने कर दिया साफ
Sumit Rai|Updated: Jun 17, 2024, 12:41 PM IST
Share

How EVM Works: दुनिया के सबसे अमीर शख्स और बिजनेसमैन एलन मस्क ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन यानी ईवीएम (EVM) पर सवाल उठाया और कहा कि ईवीएम को खत्म कर देना चाहिए, क्योंकि इसे मनुष्यों या एआई के जरिए हैक किया जा सकता है. इसके बाद राहुल गांधी ने एक न्यूज़ पेपर की कटिंग शेयर की, जिसमें ओटीपी के जरिए ईवीएम अनलॉक करने का दावा किया गया था. इस पर चुनाव आयोग ने सफाई दी और कहा कि यह बिलकुल गलत है. ईवीएम में किसी फोन या OTP की जरूरत नहीं है. यह पूरी तरह वायरलेस प्रोसिजर है और स्वतंत्र है.

अमेरिका में नहीं होता ईवीएम का इस्तेमाल

अमेरिका में वोटिंग के लिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन यानी ईवीएम (EVM) का इस्तेमाल नहीं होता है और सुपर पावर होने के बावजूद अमेरिका परंपरागत तरीके से मतदान करता है. सिर्फ अमेरिका ही नहीं, दुनियाभर में करीब 100 देश चुनावों में ईवीएम की जगह अब भी बैलेट बॉक्स का इस्तेमाल करते हैं. हालांकि, पिछले 2 दशक में ईवीएम का इस्तेमाल बढ़ा है और करीब 30 देशों में ईवीएम का इस्तेमाल होने लगा है.

हालांकि, विकसित देशों में शामिल अमेरिका में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन की जगह मतदान के लिए बैलेट पेपर का इस्तेमाल होता है. इसके पीछे सबसे बड़ी वजह ईवीएम पर अमेरिकी नागरिकों का भरोसा नहीं होना है. अमेरिका के लोग मानते हैं कि ईवीएम हैक किया जा सकता है, इसलिए परंपरागत वोटिंग सिस्टम यानी बैलेट से मतदान पर भरोसा करते हैं. दरअसल, अमेरिका में जिन ईवीएम (EVM) का इस्तेमाल किया जाता था, वह इंटरनेट से जुड़ा होता था. इस वजह से किसी साइबर अटैक के जरिए उसमें छेड़छाड़ संभव था.

एलन मस्क के दावे पर चुनाव आयोग की सफाई

ईवीएम का इस्तेमाल बंद करने के एलन मस्क के पोस्ट पर चुनाव आयोग के अधिकारी ने रविवार को कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत में ईवीएम कार्यप्रणाली पर संदेह किया जा रहा है, जबकि यह व्यवस्थित रूप से विकसित हुआ है और इसे सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार करते हउे इसके पक्ष में फैसला सुनाया है. पदाधिकारी ने आगे कहा कि अमेरिका में चुनावी प्रणाली भारत के चुनाव आयोग के बराबर निगरानी प्रदान नहीं करती है, जिसके कर्तव्य संविधान के अनुच्छेद 324 में स्पष्ट रूप से निर्धारित हैं.

चुनाव आयोग के पदाधिकारी ने स्पष्ट किया कि अमेरिका में प्रत्येक राज्य अपनी मतदान पद्धति चुन सकता है और इनमें पेपर बैलेट से लेकर बिना पेपर ट्रेल के डायरेक्ट रिकॉर्डिंग इलेक्ट्रॉनिक (डीआरई) सिस्टम तक शामिल हैं. अमेरिका में इलेक्ट्रॉनिक प्रणालियों का विभिन्न प्रकार से उपयोग किया जाता है, लेकिन कोई भी भारतीय ईवीएम में तकनीकी विशेषताएं शामिल नहीं होती हैं. भारत में ईवीएम अनिवार्य वीवीपीएटी के साथ स्टैंडअलोन मशीनें हैं और इंटरनेट से जुड़ी नहीं हैं. अमेरिका में डायरेक्ट रिकॉर्डिंग इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन यानी डीआरई सिस्टम विविध हैं और अधिकांश इंटरनेट प्लेटफॉर्म पर निर्भर हैं, जो उन्हें भारतीय संदर्भ से स्पष्ट रूप से अलग करती हैं.

अमेरिका से कैसे अलग है भारत की ईवीएम?

लोकसभा चुनाव के दौरान सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के समय चुनाव आयोग के वकील ने अमेरिका और भारत में इस्तेमाल होने वाली ईवीएम में अंतर बताया था. उन्होंने यूरोप के देशों और अमेरिका में हटाई गई ईवीएम और भारतीय ईवीएम की तुलना करते हुए बताया था, 'विदेश में इस्तेमाल होने वाली मशीनें नेटवर्क से जुड़ी होती थीं और इस कारण उन्हें हैक या प्रभावित करना आसान था. जबकि, भारत की ईवीएम स्टैंडअलोन मशीन है, जो किसी भी तरह के नेटवर्क, वाईफाई या ब्लूटूथ से जुड़ी नहीं होती. यहीं कारण है कि इसे हैक नहीं किया जा सकता है. इसके साथ ही विदेशों में ईवीएम प्राइवेट कंपनी बनाती थीं, लेकिन भारत में ईवीएम का निर्माण पब्लिक सेक्टर कंपनी करती है. अमेरिका की ईवीएम में वोट की पुष्टि के लिए कोई सिस्टम भी नहीं लगा था, लेकिन भारत में इसमें वीवीपैट मशीन लगी होती है, जिसके जरिए वो की पुष्टि होती है.

Read More
{}{}