Iran Israel conflict impact on India: मई में खुदरा महंगाई दर के छह साल के निचले स्तर पर पहुंचने के बाद इसमें फिर से तेजी देखने को मिल सकती है. ईरान और इजरायल के बीच लगातार बढ़ रहे तनाव से क्रूड ऑयल की कीमत में तेजी आई है. तेल में महंगाई का असर यह होगा कि आने वाले समय में इफ्लेशन रेट एक बार फिर से बढ़ सकता है. इसका असर यह होगा कि सामान की ढुलाई, कच्चा माल और रोजमर्रा की जरूरत की चीजें महंगाई हो जाएंगी. क्रूड ऑयल में नरमी और महंगाई दर के छह साल के निचले स्तर पर पहुंचने से पहले ग्लोबल शिपिंग कंपनियां और व्यापारियों को महंगे माल ढुलाई से राहत मिल रही थी. इसका कारण यह था कि जहाज लंबे केप ऑफ गुड होप रूट की बजाय लाल सागर के रास्ते पर लौट रहे थे.
ऑयल और गैस सप्लाई पर क्या होगा असर?
केप ऑफ गुड होप रूट या 'केप रूट' समुद्री मार्ग है, यह यूरोप से पूर्वी एशिया और हिंद महासागर तक जाता है. पश्चिम एशिया की दो बड़ी शक्तियों के बीच बढ़ते तनाव के बीच ग्लोबल शेयर मार्केट हिला हुआ है. इसका असर भारतीय बाजार पर भी देखा जा रहा है. ऐसे में भारत के लिए तमाम चिंताएं पैदा हुईं हैं. जानकारों का कहना है कि ईरान जवाब में रणनीतिक होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद कर सकता है. यह रास्ता इसलिए खास है क्योंकि दुनिया के 20-25 प्रतिशत तेल की सप्लाई इसी रास्ते से होती है. यह कतर और यूएई (UAE) से आने वाली LNG शिपमेंट के लिए अहम गलियारा है. कतर देश का सबसे बड़ा LNG सप्लायर है. जलडमरूमध्य बंद होने से भारत की ऑयल और गैस सप्लाई दोनों पर असर पड़ सकता है.
भारत के लिए व्यापार से ज्यादा आर्थिक चुनौतियां
ईरान-इजरायल के बीच तनाव से पैदा हुई अस्थिरता से भारत के लिए व्यापार से ज्यादा आर्थिक चुनौतियां खड़ी हो सकती है. कारण यह है कि भारत की क्रूड इम्पोर्ट पर निर्भरता लगातार बढ़ रही है. भारत को 2019 में अमेरिका के बैन के कारण ईरान से अपना तेल आयात बंद करना पड़ा था. दूसरी तरफ गोल्डमैन सैक्स ने अनुमान जताया कि ईरान से तेल की सप्लाई छह महीने के लिए रोजाना 1.75 मिलियन बैरल तक गिर सकती है. यह हालात भारत के लिए चिंता का कारण है, क्योंकि तेल की कीमत बढ़ने और सप्लाई में कमी का असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा. इससे देश की इकोनॉमी पर निगेटिव असर पड़ सकता है.
खुदरा महंगाई दर छह साल के निचले स्तर
एक इनवेस्टर बैंक का मानना है कि यदि OPEC+ तेल की कमी का आधा हिस्सा भी अपनी बची हुई क्षमता से पूरा करता है तो ब्रेंट क्रूड की कीमत 90 डॉलर प्रति बैरल को पार कर सकती है. उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि तेल की सप्लाई सुधरने के साथ 2026 तक कीमतें एक बार फिर से 60 डॉलर प्रति बैरल के करीब आ सकती हैं. देश में खुदरा महंगाई दर छह साल के निचले स्तर 2.82 प्रतिशत पर है. दालों, फलों अैर अनाज की कीमत में कमी के कारण महंगाई दर नीचे आई है. महंगाई में कमी का कारण आरबीआई की तरफ से रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती है. हालांकि, आरबीआई ने यह भी कहा कि ग्रोथ को सपोर्ट करने के लिए एमपीसी के पास कम ही गुंजाइश बची है. यानी अगस्त में होने वाली एमपीसी के दौरान ब्याज दर में कटौती होने की उम्मीद कम ही है.
क्रूड ऑयल इम्पोर्ट 1.5 मिलियन बैरल तक गिर सकता है
एस एंड पी ग्लोबल की तरफ से उम्मीद जताई गई कि अब तक ईरान और इजरायल दोनों ने सीधे तौर पर एनर्जी इंफ्रा को टारगेट करने से परहेज किया है. इजरायल ने एहतियातन अपने लेविथान गैस फील्ड को अस्थायी तौर पर बंद कर दिया है. शुरुआती हमलों में ईरान ने अपनी रिफाइनरियों या स्टोरेज डिपो को किसी तरह का नुकसान होने की खबर नहीं दी. ईरान के पास करीब 2.2 मिलियन बैरल रोजाना क्रूड ऑयल को रिफाइल करने की क्षमता है. मई में ईरान ने करीब 4 मिलियन बैरल कच्चे तेल का उत्पादन किया. एसएंडपी ग्लोबल की तरफ से अनुमान जताया गया कि जून में ईरान का क्रूड ऑयल इम्पोर्ट 1.5 मिलियन बैरल तक नीचे गिरा सकता है.
फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशंस (FIEO) के चेयरमैन एस सी रल्हन ने कहा पिछले कुछ दिनों में लाल सागर के हालात सुधर रहे थे और जहाज सामान्य रूट पर लौट रहे थे. हालांकि, मौजूदा स्थिति ने उम्मीदों पर पानी फेर दिया है. इससे निर्यातकों की चिंता फिर से बढ़ गई है. व्यापारियों को यह डर सता रहा है कि जहाजों को फिर से 'केप ऑफ गुड होप' के लंबे रास्ते का इस्तेमाल करने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है. इस रूट के जरिये शिप आने से माल ढुलाई के खर्च में इजाफा हो जाता है. लाल सागर संकट के कारण पिछले दिनों जहाजों के गंतव्य तक पहुंचने का टाइम 10-14 दिन तक बढ़ गया था. इससे शिपिंग कॉस्ट में बढ़ोतरी हुई थी. जहाजों के लंबी यात्रा तय करने से जहाजों की उपलब्धता कम हो गई और माल ढुलाई की लागत बढ़ गई.