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Myth vs Reality: क्या वाकई दुनिया का सबसे बड़ा 'टैरिफ किंग' है भारत? आंकड़े दे रहे कुछ और गवाही, जानें ट्रंप के दावे का सच

Trump on India Tariff: क्या भारत वाकई दुनिया का सबसे बड़ा 'टैरिफ किंग' है, जो दूसरे देशों से आने वाले उत्पादों पर भारी कर लगाकर उन्हें अपनी सीमा में बिकने से रोक देता है? इस बारे में आप आज असल आंकड़े जानेंगे तो असलियत जानकर हैरान रह जाएंगे.

Myth vs Reality: क्या वाकई दुनिया का सबसे बड़ा 'टैरिफ किंग' है भारत? आंकड़े दे रहे कुछ और गवाही, जानें ट्रंप के दावे का सच
Devinder Kumar|Updated: Aug 05, 2025, 10:33 PM IST
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Is India Really World Biggest Tariff King: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत को लगातार 'टैरिफ किंग' करार दे रहे हैं. उनका कहना है कि दूसरे देशों से आने वाले इंपोर्ट पर भारत जितना टैरिफ लगाता है, उतना कोई और देश नहीं लगाता, जिसके चलते दूसरे देशों के उत्पाद भारत में एंट्री नहीं कर पाते. इसका अमेरिका को नुकसान होता है और हर साल अरबों डॉलर के बिजनेस से हाथ धोना पड़ता है. लेकिन क्या यह दावा वाकई सही है. क्या भारत वाकई दुनिया में सबसे बड़ा 'टैरिफ किंग' है. एक्सपर्टों के मुताबिक, यह दावा कोरी गप के अलावा कुछ नहीं है. अगर आप वास्तविक व्यापार आंकड़ों और दूसरे देशों के साथ वैश्विक तुलना करें तो पाएंगे कि यह दावा सरासर झूठा है. 

भारत का औसत टैरिफ महज 15.98 प्रतिशत

विश्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, भारत का साधारण औसत टैरिफ लगभग 15.98 प्रतिशत है. इनमें से व्यापारिक वस्तुओं पर वास्तव में लगाए गए शुल्क महज 4.6 प्रतिशत ही हैं, जो आम धारणा से बहुत कम है.  ट्रेड भारित औसत टैरिफ, व्यापार की मात्रा के आधार पर चुकाए गए वास्तविक शुल्कों को मापते हैं. 

दूसरे शब्दों में कहें तो भारत के ज़्यादातर हाई टैरिफ कम इंपोर्ट होने वाली क्षेत्रों, जैसे कृषि या ऑटोमोबाइल पर लागू होते हैं. जबकि आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, भारत को होने वाले अमेरिकी निर्यात का बड़ा हिस्सा दवाइयां, ऊर्जा उत्पाद, मशीनरी और रसायन पर बहुत कम शुल्क लगता है. यह आयात शुल्क भी महज 5-8 प्रतिशत है. इसका मतलब, अमेरिका जिन चीजों को भारत को बेच रहा है, उन पर पहले से ही बहुत कम शुल्क लग रहा है और ट्रंप का दावा झूठ के अलावा कुछ नहीं है.

रिपोर्ट के मुताबिक, स्पेशल इकोनॉमिक जोन, एक्सपोर्ट ओरिएंटिड यूनिट्स और फ्री ट्रेड एग्रीमेंट की वजह से भारत के आयात का एक बड़ा हिस्सा शुल्क-मुक्त होता है. लिहाजा उसे किसी भी सूरत में टैरिफ किंग नहीं कहा जा सकता. 

भारत ने पिछले साल अमेरिका से कितना आयात किया?

आंकड़ों की बात करें तो वित्त वर्ष 2023-24 में, भारत ने अमेरिका से 42.2 अरब डॉलर से अधिक मूल्य की वस्तुओं का आयात किया. इस व्यापार का लगभग 75 प्रतिशत केवल 100 प्रमुख उत्पाद श्रेणियों से आया और इनमें से अधिकांश पर कम या न्यूनतम शुल्क लागू थे.

उदाहरण के लिए, कच्चे तेल और एलएनजी पर 1.1 रुपये प्रति टन और 2.75 प्रतिशत का आयात शुल्क लगा. जो भारत में अमेरिका से होने वाले आयात का 18.25 प्रतिशत है. इसी तरह औद्योगिक मशीनरी पर 7.5 प्रतिशत का शुल्क, आयात का 9.75 प्रतिशत है. वहीं अमेरिकी कोयले पर 5 प्रतिशत शुल्क लगा, जो भारत में होने वाले आयात में 8.8 प्रतिशत का योगदान देता है. चिकित्सा उपकरणों पर 5 प्रतिशत से 7.5 प्रतिशत के बीच शुल्क है, जिसका आयात में 4.6 प्रतिशत हिस्सा है.

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका से आने वाले विमान और उसके पुर्जों पर 2.5 प्रतिशत का कम टैरिफ है, जो कुल आयात का 3 प्रतिशत है. वहीं उर्वरकों पर 7.5 प्रतिशत से 10 प्रतिशत तक टैरिफ है, जो आयात का 1 प्रतिशत है.

भारत के टैरिफ की दूसरे देशों से तुलना

सूत्रों का कहना है कि विकसित और विकासशील दोनों ही देशों की तुलना में भारत के टैरिफ़ बहुत ज़्यादा नहीं हैं. भारत का भारित औसत सिर्फ़ 4.6 प्रतिशत है, जो वियतनाम के 5.1 प्रतिशत और इंडोनेशिया के 5.7 प्रतिशत से कम है. जबकि यूरोपीय संघ के 5 प्रतिशत के लगभग बराबर है.

वर्ष 1990 में भारत का औसत टैरिफ़ 80.9 प्रतिशत तक था. हालांकि उसी दौर मे शुरु हुए आर्थिक सुधारों के बाद टैरिफ़ धीरे-धीरे कम होते गए और 1999 तक 33 प्रतिशत तक गिर गए. 2023 तक, भारत का साधारण औसत टैरिफ़ और घटकर 15.98 प्रतिशत हो गया, जबकि व्यापार-भारित औसत 4.6 प्रतिशत रहा. भारत के नियामक और सुरक्षा मानक आमतौर पर यूरोपीय संघ, जापान या चीन जैसे देशों की तुलना में कम प्रतिबंधात्मक हैं.

जानिए अमेरिका लगाता है कितने टैरिफ?

दूसरी ओर, अमेरिका खुद कई महत्वपूर्ण उत्पादों पर बहुत ज़्यादा शुल्क लगाता है. ये टैरिफ, जिनमें से कई 100 प्रतिशत से अधिक हैं, डेयरी, कृषि, कपड़ा और ऑटो सहित कई उत्पादों पर लागू किए जाते हैं, जो भारत जैसे देशों में देखी गई गहरी घरेलू चिंताओं को दर्शाते हैं.

भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ वार पर FAQ

1. भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ विवाद क्या है?
उत्तर: भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ विवाद तब शुरू हुआ जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से आयात होने वाले सामानों पर 25% टैरिफ और अतिरिक्त जुर्माना लगाने की घोषणा की, जो 1 अगस्त 2025 से लागू हो चुका है. यह कदम भारत के कथित हाई टैरिफ, गैर-मौद्रिक व्यापार बाधाओं और रूस से तेल व सैन्य उपकरणों की खरीदारी के जवाब में उठाया गया. भारत ने इसे व्यापार समझौते के जरिए सुलझाने की कोशिश की है, लेकिन तनाव बना हुआ है.

2. अमेरिका ने भारत पर टैरिफ क्यों लगाया?
उत्तर: अमेरिका का कहना है कि भारत दुनिया में सबसे ऊंचे टैरिफ लगाने वाले देशों में से एक है, खासकर अमेरिकी उत्पादों जैसे ऑटोमोबाइल पर 100% तक टैरिफ. इसके अलावा, भारत की गैर-मौद्रिक व्यापार बाधाएं (जटिल नियम-कानून) और रूस से तेल (35-40% आयात) व सैन्य उपकरणों की खरीद को ट्रंप ने अनुचित ठहराया. उनका दावा है कि ये कदम वैश्विक व्यापार और रूस-यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में गलत संदेश देते हैं.

3. भारत पर इस टैरिफ का क्या असर होगा?
उत्तर: टैरिफ से भारत के निर्यात, खासकर ऑटोमोबाइल, रसायन, आभूषण, दवाइयां और खाद्य उत्पादों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. सिटी रिसर्च के अनुसार, भारत को सालाना लगभग 7 अरब डॉलर (61 हजार करोड़ रुपये) का नुकसान हो सकता है. इससे भारतीय अर्थव्यवस्था का व्यापार संतुलन बिगड़ सकता है और छोटे-मध्यम उद्यमों (SME) पर दबाव बढ़ सकता है.

4. अमेरिका को इससे क्या नुकसान हो सकता है?
उत्तर: अमेरिकी उपभोक्ताओं को आयातित भारतीय सामानों की कीमतों में वृद्धि का सामना करना पड़ेगा, जिससे उनकी क्रय शक्ति प्रभावित हो सकती है. इससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर भी नकारात्मक असर पड़ सकता है, खासकर उन उद्योगों पर जो भारतीय आयात पर निर्भर हैं. साथ ही, भारत के जवाबी टैरिफ से अमेरिकी निर्यातक प्रभावित हो सकते हैं.

5. भारत ने इस टैरिफ का जवाब कैसे दिया?
उत्तर: भारत ने जवाबी टैरिफ लगाने के बजाय बातचीत के जरिए समाधान निकालने का रास्ता चुना है. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने रूस से तेल खरीद को बाजार की अस्थिरता का परिणाम बताया और ट्रंप के आरोपों को खारिज किया. भारत सरकार ने कहा कि वह अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए सभी कदम उठाएगी और द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत जारी रखेगी.

(IANS के इनपुट के साथ)

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