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केरल में BJP के 'ओपन-सीक्रेट प्लान' से सकते में कांग्रेस! 10 साल का ख्‍वाब हवा में न रह जाए

BJP in Kerala: केरल में बीजेपी उतनी मजबूत नहीं है जिसका उत्तरी राज्यों में है लेकिन वहां इन दिनों बीजेपी की तैयारियों की चर्चा जरूर है. इन सबके बीच बीजेपी इस बार नए समीकरणों की ओर बढ़ रही है. कुछ एक्सपर्ट्स बीजेपी के इस प्लान को ओपन-सीक्रेट कह रहे हैं.

केरल में BJP के 'ओपन-सीक्रेट प्लान' से सकते में कांग्रेस! 10 साल का ख्‍वाब हवा में न रह जाए
Gaurav Pandey|Updated: Mar 05, 2025, 11:16 AM IST
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Kerala elections: पिछले कुछ सालों से चुनाव-दर-चुनाव जीत रही बीजेपी के संगठन की एक खासियत यह भी है कि भले ही संगठन के चुनाव चल रहे हैं लेकिन चुनावी राज्यों में उसका फोकस जस का तस बना रहता है. इसका एक ताजा उदाहरण केरल से सामने आ गया है. केरल में बीजेपी उतनी मजबूत नहीं है जिसका उत्तरी राज्यों में है लेकिन वहां इन दिनों बीजेपी की तैयारियों की चर्चा जरूर है. कांग्रेस के नेतृत्व वाला यूडीएफ और वाम दलों का गठबंधन एलडीएफ चुनावी तैयारियों में जुट गया है लेकिन बीजेपी भी अपनी मौजूदगी मजबूत करने में लगी है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस बार केरल में परंपरागत दो ध्रुवीय राजनीति में बदलाव के संकेत मिल रहे हैं. बीजेपी के बढ़ते प्रभाव ने कांग्रेस और लेफ्ट दोनों के लिए नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं. लेकिन आखिर कैसे?

बीजेपी कैसे बढ़ा रही वोट बैंक?
असल में यह बात सही है कि बीते दशक में केरल में वाम दल सत्ता में रहे हैं. लेकिन 2019 और 2024 के लोकसभा चुनावों में यूडीएफ ने बेहतर प्रदर्शन किया. देखना होगा कि इसका विधानसभा चुनावों पर कितना असर पड़ेगा. 2019 में यूडीएफ की लोकसभा में सफलता के बावजूद 2021 के विधानसभा चुनाव में एलडीएफ ने सत्ता बरकरार रखी थी. इस बार भी मुकाबला दिलचस्प होने की संभावना है क्योंकि बीजेपी लगातार अपना वोट बैंक बढ़ा रही है. 

मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है?
बीजेपी की रणनीति खासतौर पर नायर और मछुआरा समुदायों पर केंद्रित है जो परंपरागत रूप से एलडीएफ को समर्थन देते रहे हैं. एक्सपर्ट्स का यह भी मानना है कि पहले केरल में केवल यूडीएफ और एलडीएफ के बीच सीधी टक्कर होती थी. लेकिन बीजेपी के तेजी से उभरने के बाद अब यह मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है. बीजेपी ने 2024 लोकसभा चुनाव में त्रिशूर सीट जीतकर अपनी स्थिति मजबूत की है और कई विधानसभा क्षेत्रों में भी पार्टी ने अच्छा प्रदर्शन किया है.

बीजेपी के बढ़ते वोट शेयर से कांग्रेस और लेफ्ट दोनों की रणनीतियों पर असर पड़ा है. 2021 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 12% वोट मिले थे, जबकि 2024 लोकसभा चुनाव में यह बढ़कर 19% हो गया. कांग्रेस रणनीतिकार मानते हैं कि एलडीएफ सरकार के खिलाफ लोगों में नाराजगी है लेकिन यह देखना होगा कि यूडीएफ इसे अपने पक्ष में कितना भुना पाती है. दूसरी ओर एलडीएफ के लिए भी पिछला प्रदर्शन दोहराना आसान नहीं होगा. बीजेपी ने न केवल हिंदू मतदाताओं में अपनी पकड़ बनाई है बल्कि ईसाई समुदाय का समर्थन भी हासिल करने की कोशिश कर रही है. ऐसे में केरल की राजनीति इस बार नए समीकरणों की ओर बढ़ रही है. कुछ एक्सपर्ट्स बीजेपी के इस प्लान को ओपन-सीक्रेट कह रहे हैं. क्योंकि येन-केन-प्रकारेण बीजेपी हिंदू वोटर्स को अपने तरफ खींचती जरूर है.

केरल में चुनाव.. वोट सबको चाहिए..
इन सबके बीच एक और मजेदार घटना पिछले दिनों हुई है. केरल में बीजेपी के प्रति सहानुभूति रखने वाले वोटर्स का एक धड़ा है जो कांग्रेस को नहीं पसंद करता है. सीपीएम की नजर उस पर भी है लेकिन कांग्रेस सीपीआई और लेफ्ट की अंदरूनी राजनीति में इस पर गंभीर मतभेद हैं. पिछले दिनों एक रिजॉल्यूशन के चलते ऐसा हुआ है जिसमें सीपीआई ने बीजेपी के प्रति नरमी दिखाई थी. कहा कि बीजेपी सरकार तनाशाही नहीं कर रही है. यह देखना होगा कि 2026 के विधानसभा चुनावों में इसका क्या असर होता है. 

क्या है केरल का चुनावी समीकरण.. 
केरल में चुनावों की बात करें तो 2021 में वाम मोर्चा एलडीएफ ने 140 में से 99 सीटें जीतकर सत्ता बरकरार रखी थी. जबकि कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट यूडीएफ को 41 सीटें मिली थीं. हालांकि 2024 के लोकसभा चुनावों में सीपीएम को करारी हार का सामना करना पड़ा. जहां एलडीएफ को सिर्फ एक सीट मिली. जबकि यूडीएफ ने 18 सीटें और बीजेपी ने केरल में पहली बार एक सीट जीती. अब निगाहें अगले साल हैं जब बीजेपी एक बड़ी प्लेयर बनकर एंट्री मार सकती है.

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