Uddhav Raj alliance: राजनीति कब क्या करा दे कुछ नहीं कहा जा सकता है. जब बात महाराष्ट्र की हो तो इसमें रोमांच कुछ ज्यादा ही है. इसी बीच ठाकरे बंधुओं के एकजुट होने की चर्चा जोर पकड़ रही है. उद्धव ठाकरे की शिवसेना UBT ने राज ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना MNS से गठबंधन को लेकर सकारात्मक संकेत दिए हैं. इन सबमें मजे का तड़का यह है कि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने भी राज ठाकरे से रिश्ते मजबूत करने की कोशिशें तेज कर दी हैं. यहां तक कि शिंदे गुट के नेता उदय सामंत ने तो राज से उनके मुंबई स्थित निवास पर मुलाकात की. अब बीएमसी निकाय चुनावों के समीकरणों में हलचल मच गई है.
शिंदे और फडणवीस भी राज ठाकरे से मिल चुके
असल में उदय सामंत ने इस मुलाकात को सिर्फ शिष्टाचार भेंट बताया और राजनीतिक चर्चा से इनकार किया लेकिन यह उनकी राज से चौथी मुलाकात थी जो बीते विधानसभा चुनावों के बाद हो रही है. हालांकि इससे पहले शिंदे और फडणवीस भी राज ठाकरे से मिल चुके हैं. एक्सपर्ट्स का कहना है कि ऐसा भी संभव है कि महायुति गठबंधन में एमएनएस को शामिल करने की तैयारी हो सकती है.
राज ठाकरे के साथ सुलह के लिए तैयार
उधर इस पूरे घटनाक्रम के बीच उद्धव ठाकरे के प्रवक्ता संजय राउत ने भी कहा है कि उनकी पार्टी अब भी राज ठाकरे के साथ सुलह के लिए तैयार है. राउत ने साफ किया कि राज ने पहले प्रस्ताव दिया था और उनकी ओर से सकारात्मक प्रतिक्रिया दी गई थी. उद्धव ठाकरे खुद मराठी मानुष और महाराष्ट्र के हित में पुराने मतभेद भुलाने को तैयार हैं लेकिन यह भी क्लियर किया कि राज को उन ताकतों से दूरी बनानी होगी जो महाराष्ट्र विरोधी हैं. इशारा सीधा बीजेपी और शिंदे गुट की ओर था.
गलतफहमियों को भुलाने को तैयार
यह बात भी सही है कि राज और उद्धव दोनों ही सार्वजनिक मंचों पर बीते महीने एक दूसरे को लेकर नरम रुख दिखा चुके हैं. राज ने महेश मांजरेकर के पॉडकास्ट में कहा कि वह छोटी मोटी गलतफहमियों को भुलाने को तैयार हैं. वहीं उद्धव ने ट्रेड यूनियन के कार्यक्रम में सुलह का समर्थन किया. लेकिन शर्त वही रखी कि बीजेपी और शिंदे गुट से दूरी. इन सबके बीच शिवसेना UBT की सोशल मीडिया पोस्ट ने भी सियासी हलचल पैदा कर दी जिसमें लिखा था कि अब एक होने का समय आ गया है.
देखना है कि क्या होने वाला
फिलहाल एक्सपर्ट्स का कहना है कि एमएनएस पिछले कुछ सालों में कमजोर हुई है. 2024 विधानसभा चुनाव में पार्टी एक भी सीट नहीं जीत पाई. 2017 बीएमसी चुनावों में उसे केवल 7 सीटें मिली थीं. ऐसे में राज ठाकरे के सामने अब दो विकल्प हैं. या तो बीजेपी और शिंदे गुट से हाथ मिलाएं या फिर अपने चचेरे भाई उद्धव ठाकरे के साथ मराठी अस्मिता के नाम पर नई शुरुआत करें. अब बीएमसी चुनाव से पहले देखना है कि क्या होने वाला है.