मुझ से पहले कितने शायर आए और आ कर चले गए
कुछ आहें भर कर लौट गए कुछ नग्मे गा कर चले गए
मैं पल दो पल का शायर हूं पल दो पल मेरी कहानी है
धोनी के फैंस और आलोचकों दोनों को पता है कि ये किसका फेवरेट गाना है. मजे की बात यह भी है कि धोनी के बारे में जितना उनके फैंस को पता है उससे कहीं ज्यादा आलोचकों को पता है. 2008 के पहले आईपीएल में जब धोनी सबसे महंगे बिके तभी से इस बात की नींव रख दी जा चुकी थी कि आने वाले कई सालों तक आईपीएल के पर्याय धोनी ही रहेंगे. वही हुआ भी. उस सीजन में भी सीएसके ने फाइनल खेला था. यह अलग बात है कि फाइनल में धोनी की चेन्नई को शेन वॉर्न की राजस्थान ने हरा दिया था. लेकिन उसके बाद जो हुआ वह इतिहास है.. वर्तमान भी है.
पहला आईपीएल तो खत्म हो गया था लेकिन कितना कुछ आना बाकी था इसका अंदाजा अब 17 साल बाद भी नाकाफी लग रहा है. इस 18वें सीजन में सीएसके की शुरुआत अच्छी नहीं हुई. एक के बाद एक चार मैच हार चुकी सीएसके के आलोचकों के निशाने पर सिर्फ और सिर्फ धोनी हैं. वो मैच के आखिर में आते हैं लेकिन तब भी चेन्नई हार रही है. कोई कह रहा तेज खेलना चाहिए.. कोई कह रहा ऊपर बैटिंग करने आना चाहिए. कोई संन्यास तक की सलाह दे रहा है. इन सबके बावजूद भी वो फिर कप्तान बन गए ये रास नहीं आ रहा क्योंकि उनके आलोचक बस इतनी सी बात नहीं समझ पा रहे कि आईपीएल के पीले रंग का मतलब सिर्फ और सिर्फ धोनी है. आखिर क्यों इसे समझना भी बहुत कठिन नहीं है.
यह संयोग ही था कि जब पहले सीजन के दौरान धोनी भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान बन चुके थे और एक बार टी20 में भारत को चैंपियन बना चुके थे. आईपीएल का पहला सीजन भले ही चेन्नई हारी लेकिन उसके बाद 2010-11 में सीएसके लगातार दो बार जीती. यह भी मजेदार था कि उधर टीम इंडिया को वे आईसीसी ट्रॉफियां जिता रहे थे और इधर धीरे-धीरे सीएसके को आईपीएल का पर्याय बनाते जा रहे थे. हुआ भी यही एन श्रीनिवासन और धोनी की जोड़ी ने इंडियन क्रिकेट को वह सब दिखाया जिसे देखने के लिए क्रिकेट प्रेमी कई सालों से बेताब थे.
लंबे बालों वाले माही ने चेन्नई सुपर किंग्स को आईपीएल का बेताज बादशाह बना दिया. उन्होंने 16 साल तक इस टीम की कप्तानी की और कुल पांच बार खिताब दिलाए. बीच में 2016-17 में दो साल जब चेन्नई को बैन किया गया तो यह दौर उनके लिए भी काफी उतार चढ़ाव रहा. इस दौरान वे पुणे की टीम से खेले, एक सीजन में कप्तान रहे जबकि दूसरे सीजन में एक खिलाड़ी के तौर पर खेले. लेकिन 2018 में फिर से चेन्नई की जोरदार वापसी हुई और इस बार धोनी ने फिर चैंपियन बनाया.
2018 के बाद 2021 और 2023 में भी धोनी ने आईपीएल को पीले रंग से रंग दिया. सब कुछ बदल गया था लेकिन अगर कुछ बदला नहीं तो थाला नहीं बदले. उनका स्टाइल नहीं बदला. पिछले सीजन 2024 में वे कप्तान नहीं थे तो भी चेन्नई के प्लेयर DRS के लिए उनकी ही तरफ देखते नजर आए. फिर वो समय भी आया जब लगा कि वे अब संन्यास की कगार पर हैं. पिछले कई सीजन में तो कमेंट्रेटर भी थाह जानने की कोशिश करते कि क्या यह वाला सीजन उनका आखिरी होगा. वे हर बार अपने अंदाज में जवाब देते
ऐसा पहले भी हुआ है जब धोनी ने कप्तानी छोड़ दी थी. 2022 में अचानक उन्होंने जाडेजा को टीम की जिम्मेदारी सौंपी थी. वो भी इसी अंदाज में सीजन शुरू होने से एक-दो दिन पहले ही लेकिन फिर 8 मैचों के बाद ही उन्होंने फिर से कमान संभाल ली थी. पिछले साल उन्होंने कप्तानी छोड़ी.. गायकवाड़ कप्तान बने. फिर इस सीजन में अब गायकवाड़ चोटिल हुए हैं धोनी एक बार फिर आ गए हैं. यह तब हुआ जब उनके आलोचक ये सोच रहे थे कि अब संन्यास का ऐलान आने ही वाला है.
इन सबके बावजूद भी सच यही है कि अब उनकी उम्र के आगे 43 का नंबर लग गया है जो कभी 25-26 या 27 हुआ करता था. कभी ना कभी तो मैदान उन्हें छोड़ना ही होगा. लेकिन सीएसके और सीएसके के फैंस के लिए आज भी माही वही हैं और शायद हमेशा माही वही रहेगा. इसलिए यह भी तय है कि मैदान छोड़ने के बाद भी वे पीले रंग के डगआउट में ही नजर आएंगे. बाकी आज जब टॉस के लिए धोनी जाएंगे तो चेपक स्टेडियम के शोर को नापने वाली मशीन से अंदाजा हो जाएगा कि आज भी वो चेन्नई के लिए क्या हैं.