अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इन दिनों पूरी दुनिया में अपने टैरिफ बम को लेकर चर्चा में हैं. भारत-पाकिस्तान संघर्ष में उनके दावे की भारत लगातार हवा निकालता रहा. अब उन्होंने उसकी खुन्नस टैरिफ के जरिए निकालने की कोशिश की है. साथ ही वे पाकिस्तान को भी रिझा रहे हैं. भारत अमेरिकी रिश्तों के लिए यह बेहद नाजुक समय है. उधर भारत-पाक के रिश्तों में पहले से ही पाक प्रायोजित आतंकवाद को लेकर तल्खी है. ऐसे में असीम मुनीर दो महीने के अंदर दूसरी बार अमेरिका जा रहे हैं. इन सबके बीच अजीत डोभाल रूस यात्रा पर हैं. डोभाल पुतिन से मिल रहे हैं. इस यात्रा को कूटनीतिक लिहाज से और भारत के नजरिए से समझने की जरूरत है.
असल में पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर की यह दो महीने में दूसरी अमेरिका यात्रा है. इस बार वे अमेरिका के सेंट्रल कमांड प्रमुख जनरल माइकल कुरिल्ला के फेयरवेल प्रोग्राम में शामिल होंगे जो फ्लोरिडा के टैम्पा में आयोजित होने जा रहा है. यह वही जगह है जहां CENTCOM का मुख्यालय है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि लगातार दूसरी यात्रा इस बात का क्लियर मैसेज है कि अमेरिका और पाकिस्तान के बीच सैन्य संबंधों में एक बार फिर गर्माहट लौट रही है. यह भारत के लिए अलर्ट करने वाली स्थिति है.
इससे पहले जून में मुनीर ने अमेरिका का दौरा किया था. उस समय व्हाइट हाउस में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से दो घंटे की लंच के दौरान उनकी मीटिंग हुई थी. यह मुलाकात बेहद खास मानी गई थी क्योंकि इसमें कोई भी वरिष्ठ पाकिस्तानी अधिकारी मौजूद नहीं था. माना गया कि इस बैठक में क्रिप्टो-ट्रेड और आर्थिक विकास पर चर्चा हुई. लेकिन एक्सपर्ट्स ने साफ कहा कि केंद्र में भारत-पाक के तनाव और क्षेत्रीय सुरक्षा मुद्दे ही रहे.
इधर भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार NSA अजीत डोभाल रूस की यात्रा पर हैं. यह यात्रा ऐसे समय हो रही है जब अमेरिका ने भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया है. पहला 25% टैरिफ 7 अगस्त से लागू हो चुका है और दूसरा 27 अगस्त से लागू होने वाला है. इस बीच डोभाल रूस से एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की अतिरिक्त खेप और Su-57 जैसे अत्याधुनिक 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान पर बातचीत कर सकते हैं.
NSA डोभाल की मॉस्को यात्रा को ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत की सामरिक क्षमताओं को और मजबूती देने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है. उस ऑपरेशन में भारत ने PoK स्थित 9 आतंकी ठिकानों पर सर्जिकल हमले किए थे. जिनमें रूस निर्मित S-400 और ब्रह्मोस मिसाइल सिस्टम का खास योगदान रहा. इन हालातों में भारत रूस के साथ अपनी रणनीतिक साझेदारी को और गहरा करना चाहता है.
एक्सपर्ट्स का कहना है कि डोभाल की यात्रा केवल रक्षा तक सीमित नहीं है. रूस से तेल खरीद और सहयोग पर भी चर्चा हो रही है. इसी पर अमेरिका पहले ही नाखुश है. डोभाल की यात्रा से पहले भारत के राजदूत विनय कुमार की रूस के उप रक्षा मंत्री से मुलाकात हुई थी और अब डोभाल की पुतिन से मुलाकात प्रस्तावित है. दिलचस्प यह है कि ट्रंप के खास दूत स्टीवन विटकॉफ भी मॉस्को में ही मौजूद हैं. अब देखना होगा कि डोभाल पुतिन की मुलाकात में क्या निकलकर आता है.
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