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Explained:अब तिल-तिलकर 'मरेगा' पाकिस्तान, रोटी-पानी के लिए तरस जाएंगे 21 करोड़ लोग; भुगतेंगे मुनीर की कारस्तानी

What is Indus Water Treaty: भारत ने पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान पर पहला बड़ा 'हमला' कर दिया है. यह हमला सिंधु जल समझौता को स्थगित करके किया गया है. यह इतना बड़ा अटैक है कि पाकिस्तान अंदर तक कराह उठेगा. 

Explained:अब तिल-तिलकर 'मरेगा' पाकिस्तान, रोटी-पानी के लिए तरस जाएंगे 21 करोड़ लोग; भुगतेंगे मुनीर की कारस्तानी
Devinder Kumar|Updated: Apr 23, 2025, 10:58 PM IST
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Loss to Pakistan due cancellation of Indus Water Treaty: पहलगाम में आतंकी हमले के बाद भारत ने सिंधु जल समझौता को स्थगित करके पाकिस्तान को जबरदस्त चोट दे दी है. बिना युद्ध लड़े पाकिस्तान पर की गई इस स्ट्राइक का असर कितना गहरा होने जा रहा है, यह पाकिस्तान के 25 करोड़ बखूबी जानते हैं. यही वजह है कि भारत के फैसले के बाद वहां के लोगों में घबराहट फैल गई है. एक्सपर्टों के मुताबिक, भारत के इस एक्शन से पंजाब की 17 लाख एकड़ जमीन को पानी मिलना बंद हो जाएगा. जिससे वह जमीन बंजर हो सकती है और वहां पर कोई फसल नहीं उग पाएगी. इसकी वजह से पाकिस्तान के 21 करोड़ लोग भोजन के लिए तरस जाएंगे. उन्हें पीने के लिए पानी का भी गंभीर संकट झेलना पड़ेगा. उन्हें अपने जिहादी जनरल आसिम मुनीर की कारस्तानी का फल भोगना होगा. 

क्या है सिंधु जल समझौता?

भारत ने इस फैसले के जरिए पाकिस्तान को कैसे झटका दिया है, उससे पहले जान लेते हैं कि सिंधु जल समझौता आखिर है क्या? असल में 1947 में अंग्रेजों से आजादी और विभाजन के बाद पानी को लेकर भारत-पाकिस्तान नें विवाद शुरू हो गया था. पाकिस्तान जहां भारत से होकर पाकिस्तान की ओर बहने वाली सभी नदियों के पानी पर अपना हक जता रहा था. वहीं भारत इस पानी का खुद को स्वभाविक दावेदार कह रहा था. 

जब भारत ने रोक दिया था पानी

इस विवाद के बीच भारत ने 1948 में पाकिस्तान की ओर बहने वाली नहरों का पानी बंद कर दिया था. इससे पाकिस्तान में गंभीर जल संकट शुरू हो गया और वहां पर खेती सूखने लगी. लोग पानी के लिए प्यासे मरने लगे. इसके बाद अमेरिकी एक्सपर्ट डेविड लिलियेन्थल की सलाह पर पाकिस्तान ने 1951 में मदद के लिए विश्व बैंक का दरवाजा खटखटाया. 

नदी पानी पर टिकी है पूरी खेती

वर्ल्ड बैंक की मध्यस्थता में करीब 10 साल तक बातचीत का दौर चला. फिर 19 सितंबर 1960 को दोनों देशों के बीच सिंधु जल समझौता किया गया. यह असल में भारत से होकर पाकिस्तान की ओर बहने वाली 6 नदियों के पानी के वितरण का समझौता था. लेकिन इसे सिंधु जल समझौता इसलिए कहा गया, क्योंकि उन 6 नदियों में सिंधु नदी सबसे बड़ी है और उसी पर पाकिस्तान की पूरी खेती टिकी है. 

कैसे हुआ नदी पानी का बंटवारा?

भारत की ओर से तत्कालीन पीएम जवाहर लाल नेहरू और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति अयूब खान ने रावलपिंडी में इस समझौते पर हस्ताक्षर किए. इस समझौते में पश्चिमी नदियों सिंधु, झेलम और चिनाब के समूचे पानी पर पाकिस्तान को अधिकार दिया गया यानी भारत उसका पानी नहीं रोक सकता है लेकिन इन नदियों पर बिजली बनाने के लिए पावर प्लांट जरूर लगा सकता है.

दोनों के बीच बनाया गया आयोग

वहीं पूर्वी नदियों रावी, व्यास और सतलुज के पानी पर भारत को पूरा हक दिया गया. भारत इन नदियों के पानी को जैसे चाहे, वैसे यूज कर सकता है. इस समझौते पर अमल सुनिश्चित करने के लिए दोनों देशों के बीच सिंधु जल आयोग बनाया गया, जिसके तहत साल में एक बार बैठक होना अनिवार्य है. 

भारत के पानी से पाकिस्तान हरा-भरा

पाकिस्तान ने भारत से होकर पाकिस्तान बहने वाली इन छह नदियों को नहरों के जरिए आपस में लिंक करके सिंचाई का जबरदस्त जाल बना रखा है. जिसका फायदा उसकी खेती को मिलता है. इनमें सबसे ज्यादा पानी सिंधु नदी लेकर जाती है, जिसकी वजह से पाकिस्तान में नहरों के इस जाल को सिंधु जल प्रणाली भी कहा जाता है. इसी नदी प्रणाली की वजह से पाकिस्तानी पंजाब में सबसे ज्यादा अन्न उग पाता है. 

बंजर हो जाएगी 17 लाख एकड़ जमीन!

अगर भारत सख्ती और सुनिश्चित योजना के तहत इन 6 नदियों का पानी पाकिस्तान की ओर बहना रोक देता है तो पाकिस्तानी पंजाब की नहरें सूख जाएंगी. इससे नहरों पर निर्भर पंजाब की 17 लाख एकड़ जमीन बंजर बन जाएगी. वहां पर गेहूं, चावल समेत कोई भी फसल या साग-सब्जी पैदा नहीं हो पाएगी. इन नदियों के जरिए ही पाकिस्तान के 21 करोड़ लोगों को पानी की आपूर्ति होती है, जिससे वे पीकर गुजारा करते हैं. ऐसे में उन लोगों को बूंद-बूंद पानी के लिए तरसना पड़ जाएगा. 

टूट जाएगी पाकिस्तान की कमर

पहले से ही आर्थिक तंगी और भुखमरी की मार झेल रहे पाकिस्तान के लिए यह संकट बहुत भारी पड़ सकता है. इसकी वजह से वहां पर अनाज और खाने-पीने की कीमतों में अचानक काफी बढ़ोतरी हो जाएगी, जिसे सह पाना वहां के लोगों के लिए बेहद मुश्किल होगा. आम लोग ही नहीं, पाकिस्तान सेना भी इस संकट से खुद को बचा नहीं पाएगी और उसकी रही-सही कमर टूट जाएगी. 

अब कट जाएगी मुनीर की 'नस'

जिस पाकिस्तानी आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर ने कश्मीर को अपने गले की नस बताते हुए हिंदुओं के खिलाफ जहर उगला था, उसके पास भी इस स्ट्राइक की कोई काट नहीं है. वह चाहकर भी इस मामले में भारत के खिलाफ कोई पलटवार नहीं कर सकता. भारत से युद्ध करके वह पहले ही बांग्लादेश के रूप में अपना आधा हिस्सा गंवा चुका है. अब संभव है कि उसका एक ओर हिस्सा अलग हो जाए. कुल मिलाकर पाकिस्तान के लिए यह पहलगाम हमला बहुत भारी पड़ने वाला है. उसे इस अटैक के लिए ऐसी कीमत चुकानी होगी, जो उसने पहले कभी सोची नहीं थी. 

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