Rahul Gandhi INDIA Alliance: संसद के बजट सत्र के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी काफी आक्रामक थे. केंद्र सरकार की नीतियों को लेकर वह पीएम नरेंद्र मोदी पर लगातार निशाना साध रहे थे. जैसा कि राहुल के बयानों में होता है, उन्होंने अडानी को लेकर मोदी पर तंज कसा, लेकिन दूसरी विपक्षी पार्टियों में इसको लेकर खासा उत्साह नहीं दिखा. इसके बाद जब पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर को लेकर संसद सत्र हुआ, तब तृणमूल कांग्रेस ने शुरुआत में विरोध प्रदर्शन किया था. तृणमूल ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के खिलाफ नहीं थी, लेकिन उसकी चिंता दूसरी थी. उसे सरकार से आश्वासन चाहिए था कि वोटर रिवीजन पर भी चर्चा होगी. अब लग रहा है कि ये मुद्दा ही विपक्षी पार्टियों को एक सूत्र में बांधने का जरिया बनेगा.
वोटर लिस्ट सबके लिए महत्वपूर्ण
पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव के बाद विपक्षी पार्टियों के बीच एकता की कमी की एक ही वजह रही है. चुनाव तक तो बीजेपी विरोध को लेकर सभी एक साथ थे, लेकिन इसके बाद कोई ऐसा मुद्दा नहीं था जो उन्हें एक मंच पर ला सके. कांग्रेस केंद्र की आर्थिक नीतियों पर हमला करती थी तो अखिलेश यादव पीछे हट जाते थे. उन्हें लगता था कि महाकुंभ में बीजेपी सरकार की विफलताओं पर चर्चा ज्यादा जरूरी है. आम आदमी पार्टी को पंजाब और गुजरात की ज्यादा फिक्र थी इसलिए वह कांग्रेस से दूरी बनाकर रखने की रणनीति पर चल रही थी. इंडिया ब्लॉक के मृतप्राय होने का यही असल कारण था, लेकिन अब हालात बदल गए हैं. वोटर रिवीजन अभियान वो मुद्दा बन गया है जो सभी पार्टियों के लिए अस्तित्व का प्रश्न है. कांग्रेस भी यह बात समझ चुकी है और गुरुवार शाम को राहुल गांधी की डिनर पार्टी के आयोजन की भी यही वजह है. इंडिया ब्लॉक में शामिल पार्टियों को डिनर के लिए आमंत्रित करने का यही असली कारण है.
कांग्रेस के साथ आए आप-टीएमसी
दरअसल, कांग्रेस को अंदाजा लग गया है कि क्षेत्रीय पार्टियां उसके साथ सरकार के विरुद्ध तभी खड़ी होंगी जब उस मुद्दे से उनका वास्ता हो. सरकार की नीतियों से अडानी को फायदा दिलाने के आरोप उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी या बंगाल में तृणमूल कांग्रेस को वोट नहीं दिला सकते, लेकिन वोटर लिस्ट में गड़बड़ी का मामला हर राज्य के लिए महत्वपूर्ण है. खासकर इसलिए भी कि लिस्ट से जिन लोगों के नाम हटने का अंदेशा है, उन्हें विपक्षी पार्टियों का वोट बैंक माना जाता है. शायद यही कारण है कि इंडिया ब्लॉक से अलग होने का औपचारिक ऐलान कर चुकी आप भी इस मुद्दे पर कांग्रेस के साथ आ गई. बुधवार को वोटर लिस्ट रिवीजन पर विपक्षी पार्टियों की प्रेस कॉन्फ्रेंस में आप शामिल हुई. और तो और, गठबंधन के नेतृत्व को लेकर कांग्रेस पर खुलेआम आरोप लगा चुकी तृणमूल कांग्रेस भी गुरुवार को राहुल की डिनर पार्टी में मौजूद रहेगी.
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उपराष्ट्रपति चुनाव में दिखेगा असर?
SIR विपक्षी पार्टियों के एकजुट होने का मुद्दा बन गया है. लोकसभा चुनाव के बाद इंडिया ब्लॉक की अनदेखी कर रही कांग्रेस भी इसको लेकर पूरी तरह एक्टिव हो गई है, लेकिन सवाल है कि विपक्षी दलों की एकजुटता का असर क्या होगा. क्या बीजेपी के लिए ये चिंता का विषय हो सकता है. एकजुटता के असर का आकलन फिलहाल मुश्किल है, लेकिन उपराष्ट्रपति के चुनाव में इसका अंदाजा लग सकता है. यदि विपक्षी पार्टियां साझा उम्मीदवार उतारने पर सहमत हुईं तो मान सकते हैं कि उनके बीच रिश्तों पर पड़ी बर्फ पिघली है. बीजेपी के लिए फिलहाल चिंता का कोई कारण नहीं दिखता. उपराष्ट्रपति चुनाव में एनडीए के उम्मीदवार की जीत तय है. एनडीए में किसी तरह के बिखराव के अभी संकेत नहीं हैं, लेकिन बिहार चुनाव के बाद माहौल बदल सकता है. यदि वोटर लिस्ट रिवीजन को लेकर विपक्षी दलों की एकता बनी रही और बिहार चुनाव के नतीजे एनडीए के पक्ष में नहीं आए, तब उसे अपनी रणनीति पर विचार करना होगा. पूरे देश में वोटर लिस्ट के रिवीजन की बात शायद तब ठंडे बस्ते में चली जाए.
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