Khybar war Arab History: ईरान और इजरायल में युद्ध के बीच मुस्लिमों और यहूदियों के बीच सदियों से चल आ रही कड़वाहट को फिर उभार दिया है. दोनों समुदायों के बीच कई खूनी जंग लड़ी गई, लेकिन सबसे बड़ा युद्ध 1400 साल पहले हुआ था. अरब इतिहासकारों की मानें तो खैबर यहूदियों का तो मदीना मुस्लिमों का सबसे बड़ा गढ़ था. खैबर के युद्ध में मुस्लिमों ने यहूदियों को बुरी तरह हराया था. ये युद्ध 628 ईस्वी में लड़ा गया था. इस जंग में पैगंबर मोहम्मद और उनको मानने वालों ने इमाम अली के अगुवाई में अरब प्रायद्वीप के खैबर इलाके में यहूदी कबीलाई लोगों को हराया था.
इस्लाम के इतिहास में निर्णायक घटना
खैबर की जंग में ये जीत ऐतिहासिक मानी जाती है. खैबर बेहद संपन्न इलाका था, जो मदीना के लिए खतरा बन सकता था. युद्ध में खैबर इलाके के यहूदी किलों पर मुसलमानों ने जीत हासिल की और मदीना के लिए खतरा बने यहूदियों को खदेड़ दिया था. ये युद्ध दुनिया इस्लाम के उदय के इतिहास की निर्णायक घटना के तौर पर देखी जाती है.
मुसलमानों-यहूदियों में जंग की वजह
दरअसल, मदीना से बाहर निकाले गए खैबर के यहूदी मुसलमानों के खिलाफ बड़े कत्लेआम की तैयारी कर रहे थे. इस युद्ध में गैर मुस्लिम अरब समुदायों को साथ लेकर मदीना पर हमले की साजिश रची गई थी.यहूदियों ने बनू गिफ्तान समूह को साथ लेने की कोशिश की. उन्हें मदीना से लूटे गए हिस्से का आधा देने का वादा किया गया. लेकिन इस साजिश की भनक लगते ही पैगंबर मोहम्मद ने खुद ही खैबर पर हमले का ऐलान कर दिया.
यहूदियों की सबसे बड़ी हार
मुस्लिमों की फौज ने खैबर के किलों पर अचानक चढ़ाई कर दी और यहूदियों को आत्मसमर्पण के लिए मजबूर कर दिया. यहूदी लड़ाकों की दौलत जब्त कर उन्हें जजिया (सुरक्षित रहने की गारंटी के बदले) देने या खैबर से निकल जाने का विकल्प दिया गया. कुछ यहूदियों ने खैबर में रहना कबूल किया और अपनी कमाई का आधा हिस्सा मुस्लिमों को देना कबूल किया.
इस्लाम के प्रचार-प्रसार में अहम
खैबर की जंग ने मुसलमानों की शक्ति के केंद्र के तौर पर मदीना की पहचान को मजबूत किया. साथ ही दुनिया में इस्लाम के प्रचार प्रसार के लिए रास्ता खोल दिया. अरब मुल्कों से भारत की ओर भी मुगलों-तुर्कों और अन्य कबीलाई लड़ाकों ने रुख किया और इस्लामिक साम्राज्य बनाया.
ईरान-इजरायल युद्ध से रिश्ता
इजरायल से युद्ध को ईरान मुसलमानों और यहूदियों के बीच की जंग के तौर पर पेश कर रहा है. ईरान लंबे समय से फलस्तीन के इलाकों पर इजरायल के कब्जे का विरोध करते हुए उससे दुश्मनी निभा रहा है. इजरायल के कब्जे वाले शहर यरूशलम में अल अक्सा मस्जिद भी है. ये मुस्लिम और यहूदी दोनों अपने लिए पवित्र मानते हैं, जिसको लेकर टकराव भी होता रहा है.
अली खामेनेई ने दिलाई याद
ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने युद्ध के बीच X पोस्ट में लिखा था, 'महान हैदर के नाम पर जंग शुरू होती है. अली अपनी जुल्फिकार के साथ खैबर लौटते हैं.' हैदर नाम का प्रयोग अक्सर हजरत अली के लिए किया जाता है. शिया मुसलमान इन्हें पैगंबर मोहम्मद का उत्तराधिकारी समझते हैं. सुन्नी मुसलमान उनको चौथा खलीफा भी (Caliph) मानते हैं.वो पैगंबर के भतीजे और उनकी बेटी जहरा फातिमा के शौहर भी थे. अली का अरबी भाषा में मायने शेर होता है. जबकि जुल्फिकार को इमाम अली की दुधारी तलवार को कहा जाता है. ये इस्लामी रवायत में खुदा का इंसाफ, शक्ति और फतह की निशानी है. शियाओं के जुलूस में इसके पोस्टर-बैनर दिखते हैं. हालांकि यहूदी भी मुस्लिम विरोधी प्रदर्शनों के दौरान अक्सर ऐसे बैनर लहराते हैं, जिनमें लिखा होता है, खैबर तुम्हारे लिए आखिरी मौका था...