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तिब्बत की तबाही में किसका कसूर? चीन ले डूबेगा.. ब्रह्मपुत्र पर बना रहा डैम, भारत ने भी जताई है चिंता

Tibet earthquake: भूकंप का प्रभाव तिब्बत के अलावा भारत, नेपाल, भूटान, और बांग्लादेश में भी महसूस किया गया. यह क्षेत्र भारतीय और यूरेशियाई टेक्टोनिक प्लेटों के टकराव के कारण भूकंप के लिए बेहद संवेदनशील है. इतिहास गवाह है कि इस क्षेत्र में पहले भी बड़े भूकंप आ चुके हैं.

तिब्बत की तबाही में किसका कसूर? चीन ले डूबेगा.. ब्रह्मपुत्र पर बना रहा डैम, भारत ने भी जताई है चिंता
Gaurav Pandey|Updated: Jan 08, 2025, 10:23 AM IST
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China dam Project: चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है. तिब्बत में आए विनाशकारी भूकंप ने एक बार फिर चीन को कटघरे में खड़ा कर दिया है. भूकंप को वैसे तो प्राकृतिक आपदा की श्रेणी में रखा जाता है लेकिन तिब्बत के इस भूकंप ने चीन की डैम निर्माण योजनाओं ने क्षेत्र को सीधे-सीधे विवादों के केंद्र में ला दिया है. चीन ब्रह्मपुत्र नदी पर एक विशाल डैम बनाने की योजना पर काम कर रहा है. यह क्षेत्र भूकंप के लिहाज से अति संवेदनशील माना जाता है और यहां भूकंप का खतरा हमेशा बना रहता है. भारत ने भी इस पर अपनी चिंता जाहिर की है, क्योंकि इस डैम के पर्यावरणीय और सामरिक प्रभाव भारत समेत अन्य पड़ोसी देशों पर भी पड़ सकते हैं.

तिब्बत की तबाही और भूकंप के असर पर नजर डालिए

असल में तिब्बत में आए भूकंप ने तबाही मचा दी. 7.1 तीव्रता के इस भूकंप से 136 लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों घर बर्बाद हो गए. यह भूकंप एवरेस्ट से 80 किलोमीटर उत्तर में स्थित टिंगरी में केंद्रित था. तिब्बत का शिगात्से क्षेत्र, जहां लाखों लोग रहते हैं, इस भूकंप से बुरी तरह प्रभावित हुआ. यह भूकंप हिमालयी क्षेत्र की संवेदनशीलता और चीन की परियोजनाओं के खतरों की ओर इशारा करता है. एक्सपर्ट्स का भी यही मानना है कि इस संभावना से इनकार नहीं कर सकते हैं. 

भूकंप के झटके.. एक नहीं कई देश जद में.. 

यह बात भी देखने वाली है कि भूकंप का प्रभाव तिब्बत के अलावा भारत, नेपाल, भूटान, और बांग्लादेश में भी महसूस किया गया. यह क्षेत्र भारतीय और यूरेशियाई टेक्टोनिक प्लेटों के टकराव के कारण भूकंप के लिए बेहद संवेदनशील है. इतिहास गवाह है कि इस क्षेत्र में पहले भी बड़े भूकंप आ चुके हैं. 2015 में नेपाल में आए भूकंप में 9,000 से अधिक लोगों की जान गई थी.

चीन का डैम और भूकंप का कनेक्शन

रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन जिस क्षेत्र में डैम बना रहा है, वह हाई सिस्मिक जोन में स्थित है. एक्सपर्ट्स का यह भी कहना है कि यह क्षेत्र टेक्टोनिक प्लेटों की गतिविधियों से प्रभावित है और डैम के निर्माण से इनकी स्थिरता पर असर पड़ सकता है. भूकंप के दौरान यदि यह डैम टूटता है, तो यह पूरे क्षेत्र के लिए विनाशकारी साबित हो सकता है.

इस डैम के बारे में क्या-क्या जानकारी आई है..

यह बात तो सही है कि चीन मेडोग काउंटी में ब्रह्मपुत्र नदी पर दुनिया का सबसे बड़ा हाइड्रोइलेक्ट्रिक डैम बनाने की योजना पर काम कर रहा है. इस परियोजना की लागत 13.7 अरब अमेरिकी डॉलर है. डैम का निर्माण उस स्थान पर किया जा रहा है, जहां से नदी भारत के अरुणाचल प्रदेश में प्रवेश करती है. इसे भारत में ब्रह्मपुत्र कहा जाता है जबकि तिब्बत या चीन में अलग-अलग नाम से जाना जाता है. 

भारत पहले ही जता चुका है चिंता

चीन के इस बांच वाली परियोजना पर भारत ने पहले ही अपनी आपत्तियां दर्ज कराई हैं. भारतीय विदेश मंत्रालय ने चीनी अधिकारियों से दो टूक कह दिया है कि इस परियोजना के पर्यावरणीय और सामरिक प्रभावों को ध्यान में रखा जाए. भारत ने यह सुनिश्चित करने की मांग की है कि इस परियोजना से ब्रह्मपुत्र के निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को कोई नुकसान न पहुंचे.

फिर चीन का दावा क्या है.. 

जब डैम को लेकर चिंताएं सामने आईं तो चीन ने दावा किया कि इस परियोजना से पर्यावरण या भूवैज्ञानिक स्थिरता पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा. हालांकि इसके उलट एक्सपर्ट्स और पर्यावरणविद इस दावे से सहमत नजर नहीं आए हैं. इन सबके बीच तिब्बत में आए हालिया भूकंप ने चीन की इन परियोजनाओं की गंभीरता और उनके खतरों को एक बार फिर उजागर किया है. फिलहाल चीन की जिद और पर्यावरणीय खतरों को देखते हुए यह स्पष्ट है कि तिब्बत और आसपास के क्षेत्र में संभावित संकट गहराता जा रहा है. अब सवाल यह है कि क्या यह तबाही केवल शुरुआत है या एक बड़ी समस्या का ट्रेलर है. यह भी वक्त बताएगा. 

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