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Explainer: पृथ्‍वी के अलावा भी ब्रह्मांड में बहुत सारा पानी, लेकिन आया कहां से? तारों की भयानक मौत यानी सुपरनोवा में छिपा था रहस्य!

Science News: एक नई स्टडी में दावा किया गया है कि जब पहले तारों में भयानक विस्फोट (सुपरनोवा) हुआ, तब शायद भारी मात्रा में पानी प्रारंभिक ब्रह्मांड में फैल गया होगा.

Explainer: पृथ्‍वी के अलावा भी ब्रह्मांड में बहुत सारा पानी, लेकिन आया कहां से? तारों की भयानक मौत यानी सुपरनोवा में छिपा था रहस्य!
Deepak Verma|Updated: Jan 23, 2025, 10:47 PM IST
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Science News in Hindi: हमारा ग्रह यानी पृथ्‍वी इस लिहाज से अनोखी है कि अभी तक इसके सिवा कहीं और जीवन नहीं मिला है. धरती पर पानी की मौजूदगी ने जीवन के पनपने लायक वातावरण तैयार किया. तभी तो ब्रह्मांड में जहां-जहां पानी नजर आता है, वैज्ञानिक वहां जीवन की तलाश में जुट जाते हैं. पृथ्‍वी का सारा पानी समूचे ब्रह्मांड में मौजूद पानी के आगे कुछ भी नहीं. एक नई स्टडी दावा करती है कि बिग बैंग के कुछ मिलियन वर्षों बाद ही ब्रह्मांड में पानी की बड़ी मात्रा मौजूद थी.

नई थ्योरी के मुताबिक, जब ब्रह्मांड के शुरुआती सितारे विशाल सुपरनोवा के रूप में फटे, तो उन्होंने शायद भारी मात्रा में पानी छोड़ा. यह पानी ब्रह्मांड में पहली बार जीवन के लिए उपयुक्त वातावरण तैयार कर सकता था.


अपने जीवन के अंत में विशाल तारों में भयानक विस्फोट होता है, जिसे सुपरनोवा कहते हैं. (Photo : NASA)

ब्रह्मांड में पानी कितना पुराना?

NASA के मुताबिक, पानी ब्रह्मांड में सबसे अधिक पाए जाने वाले यौगिकों में से एक है. पृथ्वी के अलावा, वैज्ञानिकों ने मंगल ग्रह की सतह के ऊपर और नीचे, बुध ग्रह की बर्फीली टोपी में, धूमकेतुओं के चारों ओर, और कई चंद्रमाओं की भूमिगत महासागरों में पानी को पाया है. इसके अलावा, अन्य सौरमंडलों के एक्सोप्लैनेट्स और मिल्की वे की इंटरस्टेलर गैस के बादलों में भी पानी खोजा गया है.

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अब तक वैज्ञानिक मानते थे कि यह पानी अरबों सालों में धीरे-धीरे बना, जब हाइड्रोजन ने ऑक्सीजन के साथ मिलकर यौगिक (H2O) बनाया. ऑक्सीजन को तारों के कोर में बनाया गया और सुपरनोवा के जरिए फैलाया गया. लेकिन 9 जनवरी को arXiv प्रीप्रिंट सर्वर पर छपी नई स्टडी में रिसर्चर्स ने एकदम अलग थ्‍योरी पेश की है. 

रिसर्चर्स ने दिखाया कि शुरुआती विशाल तारे (जिनका द्रव्यमान 200 सूर्यों के बराबर था) के सुपरनोवा विस्फोट से ऐसी स्थितियां बन सकती हैं, जहां पानी का निर्माण तुरंत हो सकता था.

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पानी कैसे बना?

रिसर्चर्स का सुझाव है कि इन सुपरनोवा से छोड़े गए हाइड्रोजन, ऑक्सीजन और अन्य तत्वों के घने बादलों के केंद्र में पानी बना. यह पानी मिल्की वे में पाए जाने वाले इंटरस्टेलर स्पेस के पानी की तुलना में 30 गुना अधिक सघन हो सकता था. अगर यह थ्योरी सही है, तो यह ब्रह्मांडीय गैलेक्सी के विकास और बाहरी अंतरिक्ष में जीवन की संभावना को समझने में अहम साबित हो सकती है.

उन्होंने अपनी स्टडी में लिखा, 'हमारे सिमुलेशन्स दिखाते हैं कि बिग बैंग के 100 से 200 मिलियन वर्षों बाद, जीवन का एक प्रमुख घटक - पानी - पहले से ही ब्रह्मांड में मौजूद था.'

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अब भी तमाम सवाल बाकी

इस थ्योरी के साथ एक बड़ी दिक्कत यह है कि वैज्ञानिकों ने अभी तक उन शुरुआती सितारों को सीधे नहीं देखा है, जिन्हें Population III Stars कहा जाता है. ये सितारे अत्यधिक विशाल और गर्म होते थे, लेकिन अब तक केवल इनके अवशेषों से जुड़े सितारों की स्टडी की गई है.

अगर शुरुआती ब्रह्मांड में पानी इतनी बड़ी मात्रा में मौजूद था, तो ब्रह्मांड में आज पानी की मात्रा कहीं अधिक होनी चाहिए थी. इसका मतलब है कि कहीं न कहीं, ब्रह्मांड ने पानी खो दिया होगा.

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कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि ब्रह्मांड ने अपने विकास के दौरान 'ड्राइंग आउट' (सूखने) का दौर देखा होगा, जिसके दौरान बड़ी मात्रा में पानी खो गया. हालांकि, इस प्रक्रिया की वजह अब तक साफ नहीं है. Universe Today की रिपोर्ट के अनुसार, आयनीकरण और अन्य खगोलीय प्रक्रियाओं ने इन पानी के अणुओं को तोड़ दिया हो सकता है. इसका मतलब है कि शुरुआती सुपरनोवा से बना पानी अल्पकालिक रहा होगा.

पृथ्वी पर पानी जीवन का मुख्य घटक है, लेकिन शुरुआती ब्रह्मांड में पानी की मौजूदगी का मतलब यह नहीं है कि इससे बाहरी अंतरिक्ष में जीवन की संभावना बढ़ गई होगी.

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यह नई थ्योरी वैज्ञानिकों के लिए ब्रह्मांड के प्रारंभिक युग को समझने का एक नया नजरिया पेश करती है. हालांकि, यह वर्तमान कॉस्मोलॉजी मॉडलों से टकराती है और इसे साबित करना बेहद मुश्किल होगा. फिर भी, अगर यह सही साबित होती है, तो यह न केवल शुरुआती ब्रह्मांड में पानी के निर्माण को, बल्कि जीवन के विकास में पानी की भूमिका को समझने के लिए एक बड़ा कदम होगा.

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